BHOPAL. मध्यप्रदेश में कांग्रेस इस बार जबरदस्त चुनावी आगाज करने की तैयारी में है। अब तक कमलनाथ जिस क्षेत्र में गुपचुप चुनाव प्रचार करते रहे। अब उसी क्षेत्र में कांग्रेस हुंकार भरने वाले हैं। धर्म को साधने की कवायद तो पहले ही हो चुकी है, अब उस क्षेत्र में आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में लाने का गेम शुरू हो चुका है।
बुंदेलखंड में चुनावी बिगुल फूंकने की तैयारी में कांग्रेस
कांग्रेस का सीएम फेस कमलनाथ होंगे या नहीं ये भले ही अभी तय न हुआ हो, लेकिन कांग्रेस ये जरूर तय कर चुकी है कि उसके टारगेट वोटर्स कौनसे होंगे। अब उन वोटर्स के बीच जबरदस्त सभा करके चुनावी बिगुल फूंकने की तैयारी है। कांग्रेस के बिगुल की आवाज सबसे पहले गूंजेगी बुंदेलखंड के क्षेत्र में। बुंदेलखंड में जीत के लिए कांग्रेस ने पूरा ब्लू प्रिंट तैयार कर लिया है। किस सीट पर कितनी ताकत लगानी है। किन मुद्दों को उछालना है। कहां बीजेपी कमजोर है। इसका खाका तो तैयार है ही। इस क्षेत्र के आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए कांग्रेस ने बड़ी तैयारी की है। उन्हें रिझाने के लिए मैदान में चेहरा भी दलित नेता का ही चुना है।
कांग्रेस को बुंदेलखंड से काफी उम्मीदें
साल 2018 के चुनाव में सिर्फ 0.1 प्रतिशत से जीती कांग्रेस इस बार बड़ी बाजी खेलने के मूड में है। पिछले चुनाव में भी कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी, कुछ अंचलों में तो बाजी कुछ यूं पलटी थी कि आंकड़े ही उलट-पलट हो गए थे। मालवा, महाकौशल ने तो कांग्रेस का साथ दिया ही था बुंदेलखंड ने भी वफादारी दिखाई थी। दलबदल से सरकार बदलने के पहले कांग्रेस के पास बुंदेलखंड की 26 में से 16 सीटें थीं। जबकि इस चुनाव से पहले कांग्रेस के खाते में सिर्फ 10 सीटें आई थीं। अगले चुनाव के लिए भी कांग्रेस को बुंदेलखंड से ढेर सारी उम्मीदें हैं। इन उम्मीदों की वाजिब वजह भी है जिन्हें कैश कराकर कांग्रेस बुंदेलखंड में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना चाहती है।
सहानुभूति वोट बटोरने की कोशिश में कांग्रेस
कोशिश ये भी है कि बीजेपी के हाथ से जो सीटें फिसल चुकी हैं, उन पर दोबारा उसकी पकड़ मजबूत ना हो सके। हालांकि दलबदल का असर बुंदेलखंड में भी खूब दिखाई दिया। कांग्रेस के दमदार विधायक गोविंद सिंह राजपूत ने खेमा बदला और सुरखी की सीट बीजेपी की झोली में डाल दी। कांग्रेस इस जख्म को भुला नहीं सकी है। इस बार बुंदेलखंड में खासतौर से सागर जिले को टारगेट कर रही कांग्रेस वही पुराने जख्म लेकर वापसी करने वाली है और सहानुभूति वोट बटोरने की पूरी कोशिश में है।
कांग्रेस के पास कई मुद्दे
मुद्दा सिर्फ दलबदल नहीं है। कांग्रेस के पास ऐसे मुद्दों की लिस्ट है जो बीजेपी को बुंदेलखंड में कमजोर कर रही है। 5 साल के अंतराल में कुछ नए फैक्टर्स भी पनप चुके हैं जिन्हें ठीक से कैश करवाया तो कांग्रेस के लिए प्लस प्वॉइंट साबित हो सकते हैं। कांग्रेस का फोकस उन सीटों पर भी है जहां पिछले कई साल से पार्टी सूखा ही झेल रही है। इस सूखे को मिटाने के लिए कमलनाथ की इंटरनल सर्जरी तो जारी है ही, अब नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे यहां बड़ी सभा करने वाले हैं। रायपुर में होने वाले कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद खड़गे सागर की बीना तहसील से मध्यप्रदेश के लिए भी चुनावी बिगुल फूंक देंगे। ये चुनावी आगाज सिर्फ सागर जिले की 8 विधानसभा सीटों पर नहीं बल्कि 50 विधानसभा सीटों पर असर डालेगा।
अनौपचारिक रूप से अलग-अलग सीटों का दौरा कर रहे कमलनाथ
चुनाव प्रचार या चुनावी तैयारियों के मामले में कांग्रेस भले ही बीजेपी से फीकी नजर आ रही हो, लेकिन अंदर की खबर ये है कि कमलनाथ अनौपचारिक रूप से अलग-अलग सीटों का दौरा कर रहे हैं। भले ही उन्हें फिलहाल चुनावी दौरा करार ना दिया गया हो, लेकिन ताल्लुक चुनाव से जरूर है। वे पिछले 2 महीनों में अघोषित रूप से चुनावी प्रचार करते हुए सागर, बड़ा मलहरा, टीकमगढ़, पृथ्वीपुर, ग्वालियर, मुरैना, सिरोंज, बरगी, जबलपुर, उमरिया, सिराली हरदा, खेड़ी बाजार, आमला, बैतूल और सतना का दौरा कर चुके हैं। इसी कड़ी में उनके शिवपुरी, बागेश्वर धाम, छतरपुर और पन्ना के दौरे हुए हैं।
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बुंदेलखंड में आदिवासी-दलित कार्ड खेलेगी कांग्रेस
धार्मिक सियासत का केंद्र बन रहे छतरपुर के बागेश्वर धाम में भी कमलनाथ माथा टेककर धर्म पर बंटते वोटों को बचा चुके हैं। कमलनाथ की इन कोशिशों के साथ अब कांग्रेस की नजर बुंदेलखंड सहित आसपास के सीटों के आदिवासी और दलित वोटर्स पर है। जिन्हें रिझाने के लिए कांग्रेस ने बड़ा प्लान तैयार किया है। सूत्रधार बेशक कमलनाथ होंगे, लेकिन चेहरा मल्लिकार्जुन खड़गे का होगा। जो हिमाचल प्रदेश में जीत के बाद अपनी साख मजबूत कर चुके हैं। अब खड़गे के चेहरे के साथ कांग्रेस बुंदेलखंड में आदिवासी दलित कार्ड खेलेगी। ऐसे देखा जाए तो बुंदेलखंड में कांग्रेस का पक्ष मजबूत करने के लिए इस बार बहुत सारे नए और पुराने फैक्टर्स हैं। जो इस क्षेत्र में बीजेपी की पकड़ ढीली कर सकते हैं और कांग्रेस के लिए प्लस प्वॉइंट साबित हो सकते हैं।
बुंदेलखंड के बड़े मुद्दे
- 2 दशक तक सत्ता में रही बीजेपी बुंदेलखंड में सूखे की समस्या का ठोस हल नहीं ढूंढ सकी है।
इन मुद्दों के अलावा कुछ ताजा हालात भी कांग्रेस का फेवर कर सकते हैं जिसमें खुद बीजेपी के नेता ही जाने-अनजाने कांग्रेस का पलड़ा भारी कर रहे हैं।
बुंदेलखंड में कांग्रेस के लिए मौका!
- चंबल की तरह बुंदेलखंड में भी प्रीतम लोधी मुद्दे पर नाराजगी
सुरखी और बंडा सीट पर कांग्रेस का फोकस कम
अंदर की खबर ये है कि सागर की सुरखी और बंडा सीट पर फिलहाल कांग्रेस का फोकस कम है। भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत यहां मजबूत माने जा रहे हैं। रहली से गोपाल भार्गव यूं तो सीनियर लीडर हैं, लेकिन 70 के फॉर्मूले में फिट नहीं बैठे तो उनका टिकट कट सकता है और उसके बाद कांग्रेस के लिए बड़ा मौका है। सागर विधानसभा सीट और नरयावली सीट पर कांग्रेस बीजेपी का गढ़ उखाड़ फेंकना चाहती है। इसलिए यहां भी जोर-आजमाइश की गुंजाइश है। इससे सटे जिले दमोह में भी बीजेपी के हालात अच्छे नहीं है। यहां पार्टी के सीनियर लीडर जयंत मलैया की नाराजगी भारी पड़ सकती है। टीकमगढ़ जिले में उमा भारती गुस्सा कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकता है। छतरपुर और पन्ना के लिए भी प्लानिंग पूरी की गई है। इस तरह माना जा रहा है कि सारे फैक्टर्स को साधकर कांग्रेस बुंदेलखंड की 26 सीटों सहित महाकौशल और मध्य क्षेत्र की सीटों पर भी जोरदार चुनावी आगाज कर देगी। बुंदेलखंड के 5 जिले और 26 सीटों में कांग्रेस को पुरानी 16 सीटें वापस हासिल करनी है। इसके साथ ही कम अंतर से जीती भाजपाई सीटों पर अपना परफॉर्मेंस मजबूत करना है।
कांग्रेस का मास्टर प्लान बुंदेलखंड में क्या गुल खिलाएगा ?
कमलनाथ ये पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि जिन सीटों पर बीजेपी दशकों से जमी है वहां 6 महीने पहले ही टिकट फाइनल कर दिए जाएंगे। पार्टी की अंदरूनी तैयारियों से जुड़ी खबरों पर यकीन करें तो ये कहा भी जा सकता है कि टिकट के दावेदारों के नाम तय हो चुके हैं। बस ऐलान बाकी है। अब देखना ये है कि बड़ी चुनावी सभा कर जोरशोर में चुनाव में उतरने का कांग्रेस का मास्टर प्लान बुंदेलखंड में क्या गुल खिलाता है।