/sootr/media/post_banners/27c44f53859c0ae9ee68d86184c63b5c9fb74f22734b54502d5e13286c4a0cc5.jpeg)
INDORE. मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले द सूत्र ने सर्वे किया है। मूड ऑफ एमपी-सीजी (mood of mp cg) के तहत हमने जाना कि विधानसभा में मौजूदा हालात क्या हैं, जनता क्या सोचती है। अगले विधानसभा चुनाव में क्षेत्र का गणित क्या रहेगा। इसी कड़ी में हमारी टीम मालवा-निवाड़ क्षेत्र पहुंची। टीम ने यहां की राजनीतिक परिस्थितियों को भांपा और जनता की नब्ज तलाशी। इसके आधार पर हमने सर्वे तैयार किया कि यदि आज प्रदेश में चुनाव हुए तो ऊंट किस करवट बैठेगा। हमारे सर्वे में आए रिजल्ट पर हमने प्रदेश की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले जानकारों से उनका मत जानना। आइए हम आपको बताते हैं मालवा-निवाड़ में जनता का मूड।
सर्वे का क्या औचित्य है
12 दिसंबर 2018 को एमपी विधानसभा के चुनाव रिजल्ट आए थे। वर्तमान विधानसभा के आज पूरे 4 साल हो गए हैं। ऐसे में यदि आज चुनाव हो और वही उम्मीदवार मैदान में हों जो 2018 चुनाव में प्रत्याशी थे, तो प्रदेश की राजनीति में क्या बदलेगा, आइए जानते हैं। ये सर्वे आज की परिस्थितियों पर है। इसका 2023 के चुनाव से सीध संपर्क नहीं है क्योंकि चुनाव में अभी पूरा 1 साल बाकी है। हमने ये सर्वे ग्राउंड रिपोर्ट और ऑनलाइन वोटिंग के आधार पर तैयार किया है। सर्वे में हमने जनता से उनकी सीट से पूर्व के उम्मीदवार पर उनका मत जानना चाहा। इसके साथ हमने उन्हें विकल्प दिया कि यदि वे किसी अन्य उम्मीदवार का नाम सुझाना चाहें तो सुझा सकते हैं। इसके साथ ही हमने पूछा था कि आप मुख्यमंत्री के तौर पर किसे देखना चाहते हैं। इस सर्वे में कुछ और चरण भी थे। हमारे सर्वे में एक व्यक्ति एक बार ही वोट कर सकता था। पूरे प्रदेश के सर्वे को हमने 6 अंचलों (मालवा निमाड़, महाकौशल, विंध्य, बुंदेलखंड, ग्वालियर चंबल और मध्य) में बांटा है, जिसका विश्लेषण हम प्रस्तुत कर रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव की स्थिति
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं बीजेपी के खाते में 109 सीटें आई थीं। बीएसपी को दो, सपा को एक और चार सीटें निर्दलियों के पास गई थीं। इस चुनाव में कांग्रेस को 40.89 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को 41.02 फीसदी। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत से कमलनाथ की सरकार गिर गई। इसके बाद बीजेपी की सरकार बनी और शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 26 सीटों पर उपचुनाव हुए। अब विधानसभा में 127 विधायक बीजेपी के हैं। वहीं कांग्रेस के पास 96 विधायक हैं।
मालवा निमाड़ की स्थिति
मालवा निमाड़ मध्यप्रदेश का पश्चिमी इलाका है। इस क्षेत्र में इंदौर और उज्जैन संभाग आते हैं। इंदौर संभाग में 8 जिले (अलीराजपुर, बड़वानी, बुरहानपुर, धार, इंदौर, झाबुआ, खंडवा, खरगोन) हैं। जबकि उज्जैन में 7 जिले (उज्जैन, देवास, आगर मालवा, शाजापुर, रतलाम, मंदसौर, नीमच) आते हैं। इंदौर संभाग में 37 सीटे हैं। वहीं उज्जैन संभाग में 29 सीटें हैं। इन 66 सीटों में से 33 बीजेपी के पास हैं। 30 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं 3 निर्दलीय के पास हैं।
हमारा सर्वे क्या कहता है
मालवा निमाड़ की 66 सीटों पर हमारा सर्वे में क्या कुछ निकला आइए जानते हैं। जिन 33 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, वहां की 17 सीटों पर बीजेपी आज भी मजबूत है। जबकि 13 सीटों पर स्थिति कमजोर है। वहीं 3 सीटों पर बराबरी की टक्कर है। ये स्थिति उन परिस्थितियों में है, जब पिछले उम्मीदवारों को दोबारा मैदान में उतारा जाए। कांग्रेस की 30 सीटों पर हमारा सर्वे ये कहता है। 17 सीटों पर कांग्रेस मजबूत है। 9 सीटों पर कमजोर है। वहीं 4 सीटों पर बराबरी की टक्कर है।
सर्वे पर राजनीतिक विश्लेषकों की टिप्पणी
हरीश दिवेकर- इस क्षेत्र में शहरी इलाका ज्यादा है। इस क्षेत्र में कांग्रेस की तुलना में बीजेपी ज्यादा मजबूत है। पिछली बार कांग्रेस ने किसान कर्जमाफी का मुद्दा उठाया था। इस कारण परिस्थितियां बदली थी क्योंकि यहां पर पाटीदार किसानों का अच्छा दबदबा है। ये सर्वे एंटी इनकम्बेंसी को दिखा रहे हैं, ना कि बीजेपी की स्थिति को। हालांकि कांग्रेस मेंटेन करने की कोशिश कर रही है।
प्रकाश हिंदुस्तानी- मालवा निमाड़ बीजेपी का गढ़ है। 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सफलता का बड़ा करण किसान कर्जमाफी और दिग्विजय-सिंधिया-कमलनाथ का प्रयोग था। इन परिणामों पर नर्मदा यात्रा का भी प्रभाव था। लेकिन इस बार बीजेपी यहां पर मेहनत कर रही है। आदिवारियों को साधने का प्रयास भी हो रहा है। इलाके में इसका परिणाम दिखाई देता है।
संजय गुप्ता- इलाके में जितनी कमजोर सीटें हैं, सभी पर एंटी इनकम्बेसी का असर है। इन सीटों के विधायक 2 से ज्यादा बार जीतकर आए हैं। वह इस बार भी चुनाव लड़ना चाहते हैं। यदि बीजेपी ने अपने चेहरे बदल दिए तो कांग्रेस को बड़ी मुश्किल आएगी। कांग्रेस के लिए अच्छी बात ये है कि पार्टी में गुटबाजी नहीं है। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ मिलकर काम कर रहे हैं। कांग्रेस हमेशा गुटबाजी का शिकार होती थी लेकिन इस बार कमलनाथ सीएम के चहरे हैं, जिन्हें कोई चैलेंज नहीं कर रहा है। इस क्षेत्र में जिसने भी 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटें जीती हैं, उसी की प्रदेश में सरकार बनती है।
#MOOD_OF_MP_CG2022 #MoodofMPCG