BHOPAL. अपनी हर अहम बैठक में जिन मंत्रियों को ट्रिपल सर्वे की रिपोर्ट दिखाकर परफॉर्मेंस सुधारने की वॉर्निंग दी जाती है। अब उन्हीं मंत्रियों के बूते बीजेपी ने जीत के लिए नई रणनीति तैयार की है। सबसे अहम जिम्मेदारी चुनिंदा 8 मंत्रियों को सौंपी गई है। इन 8 मंत्रियों की फेहरिस्त में सिर्फ एक सिंधिया समर्थक मंत्री को जगह दी गई है।
बीजेपी की फुलप्रूफ रणनीति
शिवराज कैबिनेट में शामिल मंत्रियों के आराम के दिन अब लद गए हैं। जो मंत्री अब तक चुनावी भागदौड़ से कन्नी काटते रहे। उन मंत्रियों को मैदान में उतारने के लिए बीजेपी ने ही एक फुलप्रूफ रणनीति तैयार की है। जिस पर अमल करते हुए मंत्रियों को ना सिर्फ अपनी विधानसभा सीट को बचाना बल्कि है 200 सीटों पर जीत के पार्टी के मिशन को पूरा करने के लिए भी एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा। मंत्री तो मंत्री तैयारी इस बार जनता को भी अपनी चुनावी रणनीति में जोड़ने की है। जो जाने-अनजाने खुद प्रत्याशी की जीत के लिए दम लगाने वाली है। साम, दाम, दंड, भेद और काम की नीति अपनाते हुए बीजेपी अब एक नया इलेक्शन मोड ऑन कर चुकी है।
पीपीपी मोड पर चुनाव लड़ेगी बीजेपी
अब तक आपने स्कूल, कॉलेज या अस्पतालों को पीपीपी मोड से चलते हुए देखा होगा। पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप। अब इसी पीपीपी मोड पर बीजेपी चुनाव लड़ने की प्लानिंग भी कर रही है। जनभागीदारी यानी जनता के फंड से प्रत्याशी को चुनाव लड़ाने की इस प्लानिंग को इमोशनल टच माना जा रहा है। बीजेपी का मानना है कि विधानसभा क्षेत्र से ही फंड जुटाकर प्रत्याशी को लड़ाने से जनता उससे इमोशनली कनेक्ट भी होगी और उसी को वोट देगी। इस तरह बीजेपी 200 सीटें जीतना और ज्यादा से ज्यादा सीटों पर 50 प्रतिशत वोट हासिल करने की कोशिश में है, लेकिन बीजेपी के लिए इतना ही काफी नहीं है।
मंत्रियों पर बीजेपी की नजर
बीजेपी की नजर अब मंत्रियों पर है, जिन्हें बार-बार ट्रिपल लेयर सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर आगाह किया जाता है। अब उन्हें ही चुनाव की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। अब मंत्रियों के चैन से बैठने के दिन लद चुके हैं। उन्हें संगठन के कामों में हिस्सा लेना है। डबल इंजन सरकार की योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाना है। बूथ की मजबूती के लिए काम करना है। इसके अलावा संगठन ने हर मंत्री को एक*एक जिम्मेदारी सौंपने का फैसला कर लिया है जिसका ब्लू प्रिंट भी तकरीबन तैयार हो चुका है।
बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी कांग्रेस
बीजेपी भले ही खुलकर न कहे लेकिन दिग्गज नेता ये खूब जानते हैं कि इस बार कांग्रेस को शिकस्त देना पहले जितना आसान नहीं है। कांग्रेस खुद भी एक नजर आ रही है दूसरा बीजेपी खुद एंटी इन्कम्बेंसी फेस कर रही है। उस पर कार्यकर्ता भी सुस्त और खफा-सा है। इसका तोड़ बीजेपी को मंत्रियों में दिखाई दे रहा है जिनके जरिए अब बीजेपी ने फिर किला फतह करने की प्लानिंग कर ली है। शिवराज कैबिनेट से बीजेपी ने 8 ऐसे मंत्री छांटे हैं जिन्हें चुनाव से जुड़े जरूरी काम सौंपे गए हैं। इन 8 मंत्रियों में बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ दल बदलकर आए सिर्फ एक मंत्री को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है।
बीजेपी के लिए 2023 का चुनाव चुनौतीपूर्ण
2023 का चुनाव कांग्रेस बीजेपी दोनों के लिए बहुत अहम है और उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। खासतौर से बीजेपी के लिए जिसकी लड़ाई सिर्फ एक मोर्चे पर नहीं। बल्कि कई अलग-अलग लेवल पर उसे अलग-अलग चैलेंज का सामना करना है। दिग्गज नेताओं ने चुनावी कमान संभाल ली है। संगठन चुनावी समर में कूद चुका है। अब सत्तासीन कुछ नेताओं को जगाना और एक्टिव करना है। सीएम शिवराज सिंह चौहान तो पहले से ही एक्टिव हैं। अब उनके मंत्रिमंडल को फील्ड में एक्टिव करने की तरकीब निकाल ली गई है जिसके तहत अब मंत्री ही मैदान में उतर कर अहम जिम्मेदारी संभालेंगे।
मंत्रियों को चुनावी कमान सौंपने के साथ ही शिवराज के 8 महारथियों को सबसे जरूरी काम सौंप दिए गए हैं।
मिशन 2023 पर महारथी
- नरोत्तम मिश्रा - चुनाव के दौरान बीजेपी में आने वाले नेताओं के मामलों को देखेंगे
विधायक चेतन कश्यप को चुनावी फंड इकट्ठा करने की जिम्मेदारी
विधायक चेतन कश्यप को भी चुनावी फंड इकट्ठा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पार्टी ने अहम जिम्मेदारियों के लिए जितने चेहरे चुने हैं सब बीजेपी के पुराने और वफादार हैं। सिर्फ एक ही सिंधिया समर्थक को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के अलावा सभी सिंधिया समर्थक इस पूरी प्लानिंग से बाहर हैं जिस पर कांग्रेस ने आदतन चुटकी ले ही ली है।
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चुनावी मैदान में उतरेंगे मंत्री
हालांकि नई प्लानिंग के साथ बीजेपी चुनावी मैदान में कामयाबी हासिल करने की उम्मीद जता रही है। इस सोच के साथ कि नई जिम्मेदारियों के चलते मंत्री अपने आरामदेह कमरों से बाहर निकलकर एक्टिव नजर आएंगे। इस उम्मीद के साथ कि मंत्रियों के एक्टिव होने से कार्यकर्ताओं तक भी पॉजिटिव मैसेज जाएगा और बीजेपी की जमीन मजबूत होगी। अब देखना ये है कि बीजेपी का ये नया चुनावी पैंतरा चुनावी मैदान में कितना कारगर साबित होता है।
चुनाव से पहले बीजेपी के लिए नई परेशानी !
बीजेपी की सबसे बड़ी लड़ाई फिलहाल कांग्रेस से पहले अपने ही नेताओं के बीच है। जो बुरी तरह कलह, गुटबाजी या नाराजगी का शिकार हैं। जहां नाराजगी नहीं है वहां बड़े नेताओं पर सुस्ती हावी है। यही सुस्ती बीजेपी के लिए मुश्किल और चुनौती दोनों बन रही है। अब बीजेपी मंत्रियों को नई जिम्मेदारी सौंप तो रही है, लेकिन ये कदम भी बीजेपी के लिए फायदे से ज्यादा मुसीबत का सबब न बन जाए। क्योंकि मंत्रिमंडल में भी एक नहीं दो दो धड़े हैं जिनका तालमेल बिगड़ा तो बीजेपी को चुनाव से पहले एक नई परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।