मालवा-निमाड़ में बीजेपी की 57 तो कांग्रेस की 21 सीट पर नजर, 2000 से कम वोट से हार-जीत वाली 10 सीटें बनाएंगी किंग 

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Sanjay gupta
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मालवा-निमाड़ में बीजेपी की 57 तो कांग्रेस की 21 सीट पर नजर, 2000 से कम वोट से हार-जीत वाली 10 सीटें बनाएंगी किंग 

INDORE. बात शुरू करते हैं कांग्रेस के युवा स्टार प्रचारक और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से, 76 साल की उम्र में युवा इसलिए क्योंकि जिस तरह वह एक-एक सीट पर मैदान नाप रहे हैं। ऐसे में कई युवा उनकी फिटनेस के आगे पानी भरते हैं। उम्र की बात इसलिए भी क्योंकि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और फिर कृषि मंत्री कमल पटेल ने उन्हें और कमलनाथ के लिए बुढउ शब्द का उपयोग किया, बदले में कांग्रेस नेता लक्ष्मणसिंह ने युवा स्टार प्रचारक का दर्जा दिया। अब मुद्दे पर आते हैं, कांग्रेस ने तय किया है कि वह लगातार हारने वाली 70 सीटों पर तीन माह पहले ही प्रत्याशी तय कर देगी और इन सीटों पर घूम रहे हैं दिग्गी राजा। इसमे से 21 सीटें आती है मालवा-निमाड़ में, जिस पर कांग्रेस की नजर है। वहीं बात बीजेपी की करें तो उनकी नजर साल 2013 की स्थिति में जीती गई यहां की 57 सीटों पर हैं, क्योंकि उन्हें पता है ग्वालियर और विंध्य इस बार शायद वैसी सीटें नहीं दें, जो 2018 में दी थी और सत्ता में आना है तो उन्हें मालवा-निमाड़ में अपने पुराने जोरदार भगवा रंग में आना ही होगा। 



हम क्यों और किन दस सीटों की बात कर रहे हैं



बीजेपी के 57 के आंकड़े और कांग्रेस के 21 के आंक़ड़े के उलट हम बात कर रहे हैं इस रीजन की दस सीटों की, यह वह सीटें हैं जहां पर कांग्रेस या बीजेपी की हार-जीत दो हजार और इससे कम वोटों से हुई थी। यानि यह सीट कभी भी किसी भी खाते में जाने की स्थिति बनती है। यह सीट दोनों में से किसी भी दल को इस रीजन का किंग बना सकती है। इसमें से मुश्किल कांग्रेस के लिए है, क्योंकि इन दस सीटों में से सात सीट कांग्रेस के खाते में मामूली वोट अंतर से गई थी और तीन बीजेपी के खाते में गई थी। अब एक और मुश्किल कांग्रेस की,  क्योंकि कांग्रेस के टिकट पर नेपानगर से सुमित्रा कासडेकर ने जीती और फिर बीजेपी में जाकर उपचुनाव में बीजेपी से जीत ली और सांवेर में भी यही हुआ तुलसी सिलावट पहले कांग्रेस से जीते और उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर जीत गए। 



यह है दस सीटें 2018 के चुनाव के लिहाज से अहम...



कांग्रेस की यह मामूली अंतर वाली ये सात जीत



खंडवा की मांधाता सीट कांग्रेस ने 1236 वोट से जीती, बुरहानपुर की नेपानगर सीट कांग्रेस ने 1264 वोट से जीती, शाजापुर की शाजापुर सीट कांग्रेस ने 932 वोट से जीती, अलीराजपुर की जोबट सीट कांग्रेस ने 2056 वोट से जीती, इंदौर की सांवेर सीट कांग्रेस ने 2745 वोट से जीती, मंदसौर की सुवासरा सीट कांग्रेस ने 350 वोट से जीती,  उज्जैन की तराना सीट कांग्रेस ने 2209 वोट से जीती। (इसमें नेपानगर और सांवेर सीट बीजेपी ने 2020 के उपचुनाव में अपने खाते में भारी वोटों से कर ली) रतलाम की जावरा सीट 511 वोट से बीजीपी जीती, इंदौर पांच 1132 वोट से जीती और मंदसौर की गरोठ सीठ बीजेपी 2108 वोट से जीती थी। 



अब कांग्रेस की चिंता वाली 21 सीटों की बात करते हैं



इंदौर जिले की इंदौर दो, इंदौर चार, इंदौर पांच, महू, धार जिले की धार, खंडवा जिले की हरसूद, खंडवा, पंधाना, बुरहानपुर की बुरहापुर सीट, उज्जैन की उज्जैन उत्तर व उज्जैन दक्षिण, रतलाम की रतलाम सिटी, देवास की देवास, खातेगांव व बागली, शाजापुर की शुजालपुर सीट, नीमच की नीमच व जावद, मंदसौर की मंदौसर व मल्हारगढ़ और आगर-मालवा की सुसनेर सीट। यह वह सीटें हैं जो लंबे समय से कांग्रेस के पास नहीं आई है। जैसे इंदौर दो की बात करें तो 1993 से,  इंदौर चार 1990 से तो इंदौर पांच 2003 से ही कांग्रेस से दूर रही है। कई सीटें तो अब बीजेपी के मजबूत किले में तब्दील हो चुकी है। 



मालवा-निमाड़ में यह हैं 66 सीटें दांव पर



जिला आगर- सुसनेर, आगर , जिला शाजापुर- शाजापुर,  शुजालपुर,  कालापीपल,  जिला देवास- सोनकच्छ,  देवास,  हाटपिपलिया, खातेगांव, बागली, जिला खंडवा- मांधाता, हरसूद, खंडवा, पंधाना, जिला बुरहानपुर- नेपानगर, बुरहानपुर, जिला खरगोन- भीकनगांव,  बड़वाह,  महेश्वर, कसरावद, खरगोन, भगवानपुरा, जिला बड़वानी- सेंधवा, राजपुर, पानसेमल, बड़वानी, जिला अलीराजपुर- अलीराजपुर, जोबट, जिला झाबुआ- झाबुआ, थांदला, पेटलावद, जिला धार- सरदारपुर, गंधवानी, बदनावर, धार, धरमपुरी, कुक्षी, मनावर, जिला इंदौर- देपालपुर, इंदौर क्षेत्र क्रमांक 1, 2, 3, 4, 5, महू, राऊ, सांवेर, जिला उज्जैन- नागदा, महिदपुर, तराना, घट्टिया, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, बड़नगर, जिला रतलाम- रतलाम ग्रामीण, रतलाम शहर, सैलाना, जावरा, आलोट, जिला मंदसौर- मंदसौर, मल्हारगढ़, सुवासरा, गरोठ, जिला नीमच- मनासा, नीमच, जावद।


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