BHOPAL. न्यूज स्ट्राइक में जो हमने 2 दिन पहले बताया था, वो मध्यप्रदेश की सत्ता में वो सच होता नजर आ रहा है। ये बयान उस तूफान की आहट है जिसे बीजेपी अब तक अनदेखा करती रही। वो तूफान बस आने को है। कोई घड़ी तो टाइमर फिक्स कर दीजिए, क्योंकि इंतजार बहुत ज्यादा नहीं करना होगा। चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन सियासी भूचाल आने में चंद दिन या हो सकता है चंद घंटे का ही वक्त बचा हो और बीजेपी एक ऐसा दिग्गज नेता, जो आज से नहीं बरसों से पार्टी का वफादार है। जिसके परिजनों ने पार्टी की नींव मजबूत करने में खुद को खपा दिया। वो दिग्गज, पार्टी के लिए त्याग करने वाले अपने पिता की तस्वीर हाथ में लेकर बीजेपी से कांग्रेस में शामिल होता नजर आ सकता है।
नाराजगी जता रहे दिग्गज
हमने पिछले ही एपिसोड में हमने बताया था कि बीजेपी के कितने ही दिग्गज नेता अपनी पार्टी को खुलकर नाराजगी दिखाने की तैयारी में हैं। ये नाराजगी सिर्फ बयान या शक्ति प्रदर्शन के जरिए नहीं होगी। क्योंकि, बात अब बात बहुत आगे बढ़ चुकी है। अब बीजेपी के उन नेताओं के सब्र का घड़ा भर चुका है जो अब तक वफादारी निभाते रहे। ये बयान और इनमें सुनाई दे रही तल्खी और हताशा इसी बात की गवाही दे रहे हैं।
2020 वो साल था जब मध्यप्रदेश की सियासत ने सबसे बड़ा उलटफेर देखा। अब वही उल्टफेर फिर दिखाई देने वाला है। दल बदलने का ऐतिहासिक दौर फिर प्रदेश की राजनीति में हो सकता है। वो भी बीजेपी के उस नेता के साथ जिसकी जड़ें पार्टी में बहुत गहरी हैं और नाम राजनीति की दुनिया में बहुत बड़ा।
सुर्खियों में दीपक जोशी
दीपक जोशी खबरों में बहुत तेजी से जगह बना रहे हैं। दीपक जोशी बीजेपी में हाटपिपल्या से विधायक रहे हैं और शिवराज कैबीनेट में मंत्री भी। 2018 में दीपक जोशी चुनाव हारे और कांग्रेस के मनोज चौधरी जीते। 2020 में दल बदलकर बीजेपी में आ गए। इसके बाद से दीपक जोशी के सियासी भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है। दीपक जोशी के पिता कैलाश जोशी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। बीजेपी को मध्यप्रदेश में पैर जमाने में जिन दिग्गजों का नाम है उसमें कैलाश जोशी का नाम हमेशा अव्वल होगा। अब उन्हीं की तस्वीर हाथ में लेकर दीपक जोशी ने बीजेपी से कांग्रेस का फासला लांघने की तैयारी कर ली है। इस मसले पर मैंने खुद दीपक जोशी से चर्चा की और जवाब क्या मिला खुद ही सुन लीजिए।
6 मई को कांग्रेस जॉइन करेंगे दीपक जोशी
एक और सियासी इतिहास रचने के लिए दीपक जोशी ने 6 मई की तारीख मुकर्रर की है। इस वक्त तक उन्हें मना लिया गया तो समझिए की बीजेपी बड़ा डैमेज कंट्रोल करने में कामयाब रही। क्योंकि दीपक जोशी का जाना सिर्फ एक नेता का दल बदलना नहीं है। बल्कि उस गेट का खुल जाना है जो हर नाराज भाजपाई को एक नया रास्ता दिखाने वाला है। क्योंकि बीजेपी की चुनावी हांडी में नेताओं की नाराजगी का उबाल इस कदर है कि बीजेपी के अनुशासन का ढक्कन भी उसे रोकने में नाकाम हो सकता है।
चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके अनूप मिश्रा
अनूप मिश्रा पहले भी ये ऐलान कर चुके हैं कि चुनाव तो लड़ेंगे। ये पार्टी को सोचना है कि वो टिकट कहां से देगी। एक और नेता जो द सूत्र के सामने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। चुनावी मैदान में सक्रिय ये नेता ही नहीं। इनके अलावा पार्टी के पुराने ऐसे दिग्गज भी नाराजगी छुपाने के मूड में नहीं है। इतने वरिष्ठ नेता की नाराजगी पार्टी की जमीनी तस्वीर साफ बयां करती है। हालांकि अब बीजेपी डैमेज कंट्रोल के लिए मैदान संभाल रही है। दीपक जोशी की बगावत खुलकर सामने आई तो पहले पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने उन्हें बीजेपी का अभिन्न अंग बताया। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी डैमेज कंट्रोल में जुटे नजर आए।
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दिग्गजों की नाराजगी छुपेगी नहीं
बीजेपी लाख कोशिश कर ले ये जताने की दीपक जोशी का जाने की खबर महज अफवाह या वो यू टर्न ले चुके हैं। लेकिन ये अनदेखा नहीं कर सकती कि दिग्गजों की नाराजगी अब छुपने वाली नहीं है। और कांग्रेस उनमें से बहुतों के लिए पलक पावड़े बिछाकर बैठी है। कांग्रेस का दांव सही पड़ा और बीजेपी के नेताओं की नाराजगी को यूं ही हवा मिलती रही तो आने वाले चुनाव में बिसात पूरी तरह पलटी हुई भी नजर आ सकती है।
जैसे को तैसा
अंग्रेजी में कहते हैं टिट फॉर टैट, यानी जैसे को तैसा। 2020 में बीजेपी ने सारी सियासी मर्यादाओं को ताक पर रख कर दलबदल करवाया। इस बार यही कांग्रेस करे तो बीजेपी उसे खरी-खोटी सुना भी नहीं सकेगी। 2018 में कांग्रेस की जीत के पोस्टर बॉय बने थे ज्योतिरादित्य सिंधिया। दलबदल के सबसे बड़े चेहरे भी वही रहे। दीपक जोशी का कद कुछ मायनों में सिंधिया से छोटा हो सकता है। लेकिन कैलाश जोशी के बेटे और शिवराज कैबिनेट में बरसों तक मंत्री रहने वाले नेता का दलबदल करना कोई छोटी सियासी घटना नहीं होगी। बीजेपी के बागी और नाराज नेताओं के लिए वो एक साहसी कदम उठाने वाले पोस्टर बॉय जरूर बन सकते हैं। और कौन जाने कल को दीपक जोशी पर ये शेर फिट बैठे कि वो अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मंगर, लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया।