बालाघाट के चिन्नौर चावल और गौरीशंकर बिसेन की है अलग पहचान, कांग्रेस की हालत खस्ता, जानें यहां का इतिहास और मिजाज

author-image
Shivasheesh Tiwari
एडिट
New Update
बालाघाट के चिन्नौर चावल और गौरीशंकर बिसेन की है अलग पहचान, कांग्रेस की हालत खस्ता, जानें यहां का इतिहास और मिजाज

BALAGHAT. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले द सूत्र एक मुहिम चला रहा है। मूड ऑफ एमपी-सीजी (mood of mp cg) के तहत हमने जाना कि विधानसभा में मौजूदा हालात क्या हैं, जनता क्या सोचती है। अगले विधानसभा चुनाव में क्षेत्र का गणित क्या रहेगा। इसी कड़ी में हमारी टीम बालाघाट विधानसभा सीट पर पहुंची-





बालाघाट को जानें





वैनगंगा नदी के किनारे बसा बालाघाट शहर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। बालाघाट की पहचान धान की बंपर पैदावार है। जीआई टैग वाला लजीज चावल चिन्नौर भी बालाघाट में ही पैदा होता है। बालाघाट विधानसभा सीट को पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन का गढ़ कहा जा सकता है। 1985 से 2018 तक गौरीशंकर बिसेन, बालाघाट सीट से 7 बार विधायक रह चुके हैं। इसके साथ ही बिसेन बालाघाट संसदीय सीट से दो बार सांसद भी चुने जा चुके हैं। बालाघाट सीट में बालाघाट और लालबर्रा दो ब्लॉक हैं।





बालाघाट का सियासी मिजाज





बालाघाट विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही है। यहां कांग्रेस की हालत नाजुक है। यहां पिछले दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही है। गौरीशंकर बिसेन को पूर्व सांसद कंकर मुंजारे की पत्नी अनुभा मुंजारे ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर टक्कर दी थी। साल 1998 और 2004 के विधानसभा चुनाव में गौरीशंकर बिसेन के सांसद बनने के बाद बालाघाट सीट पर कांग्रेस के अशोक सिंह सरस्वार ने जीत दर्ज की थी, तो वहीं साल 2003 से 2018 के बीच हुए चार विधानसभा चुनाव में गौरीशंकर बिसेन ने यहां से जीत दर्ज की।





बालाघाट सीट पर राजनीतिक समीकरण 





बालाघाट सीट पर गौरीशंकर बिसेन हमेशा जीते हैं। लेकिन बिसेन अगला विधानसभा चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं। गौरीशंकर चाहते हैं कि उनकी बेटी मौसम को बीजेपी से प्रत्याशी बनाया जाए। मौसम लंबे समय से बालाघाट की राजनीति में सक्रिय हैं, तो वहीं अपने पिता गौरीशंकर बिसेन की राजनीतिक वारिस भी हैं। गौरीशंकर बिसेन अपने मन की बात तो बोल चुके हैं। लेकिन मौसम के लिए विधानसभा की राह उतनी आसान नहीं रहेगी। बालघाट में कांग्रेस इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार पर दांव लगा सकती है। सरस्वार की इलाके में बेहतर छवि से बीजेपी पर भारी पड़ने का अनुमान है, तो वहीं कांग्रेस की तरफ से विशाल बिसेन भी टिकट की आस में हैं।





बालाघाट सीट पर जातिगत समीकरण 





बालाघाट विधानसभा सीट पंवार जाति बाहुल्य सीट है। गौरीशंकर बिसेन पंवार समाज से ही आते हैं। लिहाजा जातिगत आधार पर भी उन्हें फायदा मिलता है। पंवार समाज के अलावा इस सीट पर लोधी और मरार समाज के वोट भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 





बालाघाट की जनता का मूड जानने के लिए क्लिक करें.. बालाघाट विधानसभा सीट पर क्या है जनता का मिजाज, आज चुनाव हुए तो कौन जीतेगा ?





बालाघाट सीट के मुद्दे





बालाघाट शहर की सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक है। शहर में दो रेलवे क्रॉसिंग हैं। जिन पर रेलवे ओवर ब्रिज नहीं है। लिहाजा दिनभर यहां आधे-आधे घंटे का जाम लगता रहता है। बालाघाट शहर की सड़कों की हालत भी ठीक नहीं है। कई इलाके ऐसे हैं जहां बारिश में जलभराव की स्थिति बन जाती है। रोजगार भी बालाघाट की एक बड़ी समस्या है। शहर के आस-पास कोई बड़ा उद्योग या इंडस्ट्रियल एरिया न होने की वजह से युवाओं के लिए रोजगार की समस्या बनी हुई है। बालाघाट में धान की बंपर पैदावार होती है। रबी और खरीफ दोनों ही सीजन में किसान धान ही पैदा करते हैं। लेकिन सरकार सिर्फ एक सीजन में ही समर्थन मूल्य पर धान खरीदती है। इसके कारण किसानों को एक सीजन की धान कम कीमत पर बेचनी पड़ती है।



 



MP News मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव MP Assembly Election 2023 Madhya Pradesh Assembly Election Gaurishankar Bisen mp election Mood of MP CG mp chunav Mood_of_MP_CG2022 balaghat assembly seat