संजय गुप्ता, INDORE. मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारी में जुटी बीजेपी ने इस बार 200 सीट हासिल करने का लक्ष्य रखा हो, लेकिन पार्टी को इस बार कांग्रेस से ज्यादा पार्टी के भीतर ही टिकट को लेकर मचने वाली उठापटक से डर लग रहा है। इस भीतरघात की आशंका हाल ही में कटनी में हुई प्रदेश कार्यकारिणी बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ही जता दी। जानकारी के अनुसार उन्होंने बैठक में कहा कि बीजेपी को इस बार कांग्रेस से नहीं बीजेपी से ही खतरा है, क्योंकि पार्टी के पास इस बार हर विधानसभा में कम से कम पांच-छह उम्मीदवार है जो विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में बहुत ही सोच-समझकर आगे बढ़ना होगा। यानि यह तय है कि इस बार पार्टी के अंदर टिकट को लेकर जमकर जोर आजमाइश होने जा रही है, खासकर गुजरात फार्मूले से पार्टी आगे बढ़ेगी तो ऐसे में पुराने नेता टिकट बचाने की जुगत में रहेंगे तो वहीं पार्टी से जुड़े युवा इसे सुनहरा अवसर मानकर जोर लगाएंगे।
मुरलीधर फिर बोले- सोशल मीडिया पर एक लाख फॉलोअर चाहिए
उधर बीजेपी प्रदेश प्रभारी पी. मुरलीधर राव ने फिर कहा कि किसी को टिकट के लिए यहां-वहां भटकने की जरूरत नहीं है, इस बार पार्टी खुद ही उम्मीदवार तलाश लेगी, आप लोग बस मैदान में काम करो। उन्होंने साथ ही कहा कि सोशल मीडिया पर एक लाख फॉलोअर तो होने ही चाहिए, जो फॉलोअर नहीं बना सकता, वह वोट कैसे लेगा? इसलिए भोपाल और यहां-वहां के चक्कर छोड़कर मैदान में काम करो, पार्टी खुद सही उम्मीदवार ढूंढ लेगी।
हारे हुए प्रत्याशी को टिकट नहीं मिलना लगभग तय
इस बैठक में यह बात भी लगभग स्पष्ट हो चुकी है कि बीते चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों को पार्टी टिकट नहीं देगी और खासकर वह तो दावेदारी भूल ही जाएं, जो बड़े अंतर से पिछला चुनाव हारे हैं, ऐसे में चुनाव के दौरान इन सभी की भूमिका पार्टी के हित में जाएगी या खिलाफ यह चुनाव के दौरान ही पता चलेगा, लेकिन विजयवर्गीय के बयान से यह तय है कि पार्टी इस बात को लेकर भी चिंता में है।
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- विधानसभा देपालपुर- यहां साल 2003 से बीजेपी के टिकट पर लगातार मनोज पटेल ही उम्मीदवार रहे हैं, चार चुनाव में उनका रिकार्ड दो जीत और दो हार का है। बीता चुनाव वह कांग्रेस के विशाल पटेल से नौ हजार वोट से हारे थे। यानि वह टिकट की दावेदारी में खतरे में है, उनके पक्ष में एक ही गणित है कि वह सीएम शिवराज सिंह चौहान के काफी करीबी हैं।
विधानसभा एक- यहां से साल 2008 से सुदर्शन गुप्ता ही उम्मीदवार रहे हैं, लेकिन 2008 और 2013 की जीत के बाद वह साल 2018 में बीता चुनाव संजय शुक्ला से वह 8163 वोट से हार गए थे, यानि वह भी खतरे में हैं, उनके साथ भी वही बात कि सीएम उन्हें पसंद करते हैं। लेकिन उषा ठाकुर खुद यहां से टिकट की चाहत रखती है, क्योंकि वह साल 2003 में यहां चुनाव जीत चुकी है, और इसके साथ ही कई नए दावेदार यहां पर सक्रिय हो चुके हैं।
विधानसभा दो- यहां से साल 2008 से लगातार रमेश मेंदोला जीत रहे हैं और उनकी जीत प्रदेश में सबसे ज्यादा वोट वाली होती है। उनके टिकट को लेकर केवल यही संशय है कि यदि पार्टी तीन बार के जीते विधायक भी बदलना चाहे और किसी युवा को लाना चाहिए, हालांकि यह दूर की कौड़ी लगती है।
विधानसभा तीन- यहां बीजेपी के लगातार टिकट बदलते रहे हैं। साल 2003 में राजेंद्र शुक्ला हारे थे, तो 2008 में गोपी नेमा हारे, साल 2013 में उषा ठाकुर 13,818 वोट से जीती, फिर बीजेपी ने साल 2018 में यहां से आकाश विजयवर्गीय को टिकट दिया और वह 5751 वोट से जीते। लेकिन कमलनाथ सरकार के समय सामने आया उनका बल्ला कांड ज्यादा चर्चा में रहा। बीजेपी के कई दावेदार यहां से भी दावेदारी के लिए लगे हुए हैं कि यदि आकाश का टिकट कटा तो वह आ जाएं, खुद उषा ठाकुर भी विधानसभा एक और तीन में से एक जगह से टिकट वापस पान चाहती है।
विधानसभा चार- यहां से पहले लक्ष्मणसिंह गौड़ जीतते रहे हैं, उनके निधन के बाद यह सीट साल 2008 से ही उनकी पत्नी मालिनी गौड के पास है। विधानसभा दो की तरह ही यहां चार से भी भारी मतों से बीजेपी जीतती है। लेकिन यह पार्टी के ऊपर है कि वह चेहरा बदलना चाहती है या नहीं, वैसे मालिनी खुद पुत्र एकलव्य के लिए टिकट चाहती है लेकिन पार्टी परिवारवाद से बचना चाहेगी। पहले ही कैलाश विजयवर्गीय अपनी जगह पुत्र को टिकट दिला चुके हैं। पार्टी के पास वैसे दावेदारों की कमी नहीं है।
विधानसभा पांच- साल 2003 से ही यहां से महेंद्र हार्डिया चुनाव लड रहे हैं और जीत रहे हैं, हालांकि साल 2018 की जीत, जीत जैसे नहीं थी मात्र 1132 वोट से ही जीते थे। ऐसे में यहां पार्टी नए दावेदार ढूंढ रही है। यहां भी पार्टी के पास कई दावेदार मौजूद है।
विधानसभा राउ- साल 2008 में ही यह सीट बनी है। पहला चुनाव बीजेपी से जीतू जिराती जीते थे लेकिन साल 20013 और 2018 में कांग्रेस के जीतू पटवारी जीत रहे हैं। बीते चुनाव में बीजेपी से मधु वर्मा लड़े और 5703 वोट से हारे थे। इस बार भी टिकट बदलना लगभग तय है। लेकिन खाती समाज के अधिक वोट के चलते वापस जिराती को टिकट देंगे या नया चेहरा लाएंगे, इस पर असमंजस है, क्योंकि गुजरात चुनाव में दो माह लगातर प्रचार कर अपने जिम्मे वाली सीट जिताकर वह फिर से दावेदारी में आ चुके हैं।
विधानसभा महू- यह सीट साल 2008 में कैलाश विजयवर्गीय के महू जाने के बाद से बीजेपी के पास है, वह साल 2008, 2013 में खुद जीते और साल 2018 में उषा ठाकुर यहां से 7157 वोट से चुनाव जीती। हालांकि ठाकुर साल 2003 से ही चुनाव लड रही है और तीन बार अलग-अलग सीट से चुनाव लडी (विधानसभा एक फिर विधानसभा तीन और फिर महू सीट) और तीनों बार जीती। लेकिन नए चेहरे की तलाश से टिकट उलझ सकता है।
विधानसभा सांवेर- यह सीट साल 2018 में कांग्रेस की ओर से तुलसी सिलावट ने केवल 2945 वोट से जीती तो फिर उपचुनाव में 50 हजार से ज्यादा वोट से बीजेपी के प्रत्याशी बनकर जीती। ऐसे में बीजेपी के वह अभी सभी पैरामीटर के दायरे में आ रहे हैं। वैसे वह खुद भी अपने पुत्र को सक्रिय कर उनके लिए फील्डिंग कर रहे हैं।