मध्यप्रदेश में बीजेपी को मिला हिंदुत्व का नया चेहरा, धीरेंद्र शास्त्री बनेंगे उमा का तोड़! क्या होगा कांग्रेस का तरीका?

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश में बीजेपी को मिला हिंदुत्व का नया चेहरा, धीरेंद्र शास्त्री बनेंगे उमा का तोड़! क्या होगा कांग्रेस का तरीका?

BHOPAL. मध्यप्रदेश में बाबा बागेश्वर धाम की सूरत अब बदल रही है। यूं तो ये धाम पहले से ही भक्तों से भरापूरा रहता है था, लेकिन अब यहां आम भक्तों से ज्यादा सियासी भक्तों का आना-जाना है। बाबा बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री ने जब से सनातन का चेहरा बनने की कवायद शुरू की है। तब से बागेश्वर धाम की तस्वीर बदली हुई है। बीजेपी को कभी सनातन धर्म से एतराज था नहीं। कांग्रेस ने भी इस पर जो रुख अख्तियार किया है उसके बाद बाबा, कांग्रेस और बीजेपी के बराबर खड़े नजर आ रहे हैं।



धार्मिक बाबा बनेंगे सियासी मठाधीश!



दिव्य दरबार और प्रेत दरबार लगाने वाला एक बाबा अचानक पूरे देश की सुर्खियों का केंद्र बन जाता है। शुरुआत बीजेपी के एक फैसले से होती है। वो फैसला बाबा को लाइमलाइट जरूर दिलाता है, लेकिन वो शोहरत नहीं कि जिसके बाद उनके नाम का जयकारा पूरे देश में सुनाई दे। फिर अचानक बाबा के दिव्य दरबार पर उंगली उठती है। उंगली उठाने वाले तो कहीं बहुत दूर पीछे छूट जाते हैं और बाबा इतनी आगे पहुंच जाते हैं कि सिर्फ एक दो प्रदेश नहीं, देश की राजधानी से लेकर कई जगहों पर सिर्फ बाबा का ही नाम सुनाई देता है। अब बहुत जल्द बाबा के धार्मिक दरबार में सियासी भक्तों का मेला भी दिखाई देने वाला है। सत्ताधारी पार्टी के आला नेता तो बाबा के आगे शीश झुकाए बैठे ही हैं। कांग्रेस भी सिर नवाने को तैयार है। अब बहुत जल्द आप सब खुद को हनुमानजी का चेला बताने वाले एक धार्मिक बाबा को सियासी मठाधीश बनते देख सकते हैं।



कैसे बीजेपी के एक सियासी फैसले ने छतरपुर में सिमटे बाबा धीरेंद्र शास्त्री को पूरे देश का रिलिजियस हीरो बना दिया।



दिल्ली के जंतर-मंतर पर भक्त सनातन धर्म की कमान थामकर राजधानी पहुंचे थे। नारा कुछ अजीब-सा था, लेकिन सोशल मीडिया और मीम्स के दौर में बड़ा कैची सा सुनाई पड़ता है। नारा कुछ इस तरह था कि हिंदू जागो, पागल बन जाओ अपने धर्म के लिए। धर्म के प्रति समर्पण की बात तो लंबे समय से होते आई है धर्म के लिए पागल बन जाओ का नारा दिया है बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने। जो अपनी कथाओं में, अपनी सभाओं से तो भक्तों की भीड़ खींच ही रहे हैं। डिजिटल दुनिया के भी खासे धुरंधर हैं जिसे देखकर उन्हें यूट्यूबर बाबा कहें तो भी गलत नहीं होगा। शायद इसी वजह से वो ऐसा नारा गढ़ने में कामयाब हुए जो लोगों को हिट कर रहा है।



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दिल्ली में गूंजा धीरेंद्र शास्त्री का नाम



मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ा में कथा बांचने वाले बाबा अचानक इस कदर फेमस हुए कि उनका नाम दिल्ली में गूंज रहा है। वाराणसी के मंदिरों में उनके लिए कीर्तन हो रहा है। प्रयागराज के संतों के बीच वो सनातन की अलख जगाते हैं और समर्थन लेकर आते हैं।



कैसे सुर्खियां बटोरते गए धीरेंद्र शास्त्री



आज हम फरवरी 2023 में खड़े हैं। जरा याद कीजिए फरवरी 2022 यानी ठीक 1 साल पहले तक धीरेंद्र शास्त्री का नाम कितने लोग जानते थे। महज 26 साल का एक युवा जो अपने धाम में कथा सुनाता था वो कैसे धीरे-धीरे सुर्खियां बटोरता गया और जाने या अनजाने में सनातन का पोस्टर बॉय बन गया। या यूं कहें कि सनातन धर्म और हिंदुत्व को बचाने के लिए गॉड मैन बन गया।



चुनावी साल में सियासी भक्त लगाएंगे चक्कर



अब धीरेंद्र शास्त्री वो करने जा रहे हैं जो कोई और बाबा शायद ही पहले कर पाएं हों। सनातन के जयघोष के लिए बाबा ने पावर प्ले करने की प्लानिंग कर ली है। इस प्लानिंग के तहत 13 फरवरी से 19 फरवरी तक बागेश्वर धाम में बड़ा धार्मिक जलसा होने वाला है जिसमें देशभर के मशहूर और प्रसिद्ध कथावाचक शामिल होंगे। रामलीला होगी तो रासलीला भी दिखाई देगी। शिवरात्रि पर बड़ा मेला लगेगा। बहुत कम समय की भागदौड़ में धीरेंद्र शास्त्री ने 21 बड़े धर्मगुरू, कथावाचक और भजन गायकों को एक जगह इक्ट्ठा करने में कामयाबी हासिल कर ली है। सिर्फ धर्म से जुड़े लोग ही क्यों चुनावी साल में बाबा के दरबार सियासी भक्त भी चक्कर लगाते नजर आएंगे।



बीजेपी उमा से पहले लेगी धीरेंद्र का नाम



आपको याद होगा कुछ महीनों पहले बीजेपी ने अपने एक नेता को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। ये नेता थे प्रीतम लोधी। उस वक्त प्रीतम लोधी पर चर्चा करते हुए उमा भारती ने कहा था कि कौन धीरेंद्र शास्त्री। वो बागेश्वर धाम को तो जानती हैं, लेकिन धीरेंद्र शास्त्री को नहीं जानती और आज के हालात देखिए। जो लोग और खासतौर से आज की युवा पीढ़ी जो उमा भारती के नाम को बहुत नहीं जानती। वो सनातन के नाम पर उमा भारती से पहले शायद धीरेंद्र शास्त्री का ही नाम लेंगी। विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी की कोशिश है कि वो हिंदूवादी पार्टी की जगह राष्ट्रवादी पार्टी कहलाए। तो, क्या ये मान लिया जाए कि हिंदुत्व की पताका बीजेपी ने धीरेंद्र शास्त्री को सौंप दी है या बाबा ने उसे खुद ही लपक लिया है। मसला चाहें जो हो बाबा के दर पर  प्रदेश के आला मंत्री जमीन पर बैठे नजर आ ही चुके हैं और बहुत जल्द कांग्रेस के बड़े नेता भी ऐसे ही नजर आ सकते हैं।



धीरे-धीरे सत्ता के केंद्र में आ रहे बागेश्वर धाम



धर्म से राजनीति चलती है, राजनीति से धर्म नहीं (ये बाइट यूट्यूब पर उपलब्ध है)। महज 26 से 27 साल की उम्र के बीच धीरेंद्र शास्त्री इस गूढ़ रहस्य को समझ गए चुके हैं। बाबा का विधिवत पॉलिटिकल लॉन्च नहीं हुआ है, लेकिन धीरे-धीरे वो सत्ता के केंद्र में आते नजर आ रहे हैं।



देश के सनातन हीरो बने धीरेंद्र शास्त्री



धीरेंद्र शास्त्री जिस बागेश्वर धाम के कथावाचक हैं। वहां तक जाने के लिए सड़क तो थी, लेकिन पक्की नहीं। अब अगर आप बाबा के दरवाजे जाएंगे तो चमचमाती और चकाचक सड़क से होकर गुजरेंगे। ये बाबा की महिमा भर नहीं है। ये उन सियासी भक्तों का भी प्रताप है जो बहुत जल्द बाबा की शरण में नजर आएंगे। कुछ दिन पहले बीजेपी ने ब्राह्मणों को अपशब्द कहने वाले नेता प्रीतम लोधी को निष्कासित किया था। उसके बाद एक कथा के दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने लोधी की टिप्पणी का जवाब दिया। उसके बाद से धीरेंद्र शास्त्री लगातार सुर्खियों का हिस्सा बनते जा रहे हैं। प्रीतम लोधी तो इस मामले में कहीं पीछे छूट गए। प्रीतम लोधी के बाद नागपुर में अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगा तब भी धीरेंद्र शास्त्री खबरों में छाए रहे। फिर अचानक उन्होंने सनातन और हिंदुत्व की पताका फहराना शुरू की। कभी बुंदेलखंड तक सिमटे धीरेंद्र शास्त्री इसके बाद पूरे  देश के सनातन हीरो बन गए हैं। सवाल ये है कि क्या धीरेंद्र शास्त्री सिर्फ अपने विरोधियों को या चैलेंज करने वाले को जवाब दे रहे हैं या अभी जो कर रहे हैं वो उन्हें एमपी की सियासत का अहम चेहरा बनाने वाला है। क्या वो आने वाले चुनाव में वोट पॉलराइजेशन का केंद्र हो सकते हैं।



बाबा के दरबार में दिखते रहते हैं नेता



13 फरवरी से बागेश्वर धाम में होने वाले धार्मिक आयोजन में बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के आने की भी संभावना है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की वो तस्वीरें वायरल हो ही चुकी हैं जिसमें सोफे पर बैठे 26 साल के धीरेंद्र शास्त्री के सामने वो जमीन पर बैठे नजर आ रहे हैं। बीजेपी के नेताओं का बाबा के दर पर फेरा लगाना हैरान भी नहीं करता। क्योंकि, धीरेंद्र शास्त्री में जोश में या होश में बीजेपी के एजेंडे को ही आगे बढ़ा रहे हैं।



कमलनाथ ने धीरेंद्र शास्त्री पर दिया बैलेंस रिएक्शन



धीरेंद्र शास्त्री बीजेपी का एजेंडा हाईजैक कर चुके हैं। उससे पहले की बीजेपी भी धीरेंद्र शास्त्री को हाईजैक कर लें कांग्रेस ने भी सही समय पर सही दांव चल दिया है। खुद को हनुमान भक्त और सॉफ्ट हिंदुत्व का पक्षधर बताने वाले कमलनाथ ने धीरेंद्र शास्त्री पर बैलेंस रिएक्शन दिया है। अब खबर है कि वो भी बहुत जल्द बागेश्वर धाम में शीश झुकाए नजर आ सकते हैं। आने वाले कुछ दिनों में प्रदेश में बड़े-बड़े धार्मिक शख्सियतों का डेरा जमने वाला है। धर्म के दरवाजे से राजनीति में हुंकार भरने वालों के लिए ये एक अच्छा मौका है।



चुनावी साल में धीरेंद्र शास्त्री को अनदेखा करना मुश्किल



धर्म जब राजनीति और राजनेताओं पर हावी होता है तो थोड़ा सियासी रंग तो उस पर भी चढ़ता ही है। सनातन धर्म और हिंदुत्व की खातिर पाकिस्तान तक में जाकर कथा करने का दावा करने वाले धीरेंद्र शास्त्री को भी कुछ लोग बीजेपी के बाबा कहने लगे हैं। कुछ अटकलें ऐसी हैं कि बीजेपी के लिए फायरब्रांड उमा भारती की कमी को फायरब्रांड पंडित धीरेंद्र शास्त्री पूरा करेंगे। ये अटकलें सच साबित हों उससे पहले कांग्रेस एक्टिव हो चुकी है। महत्वकांक्षा पंडित धीरेंद्र शास्त्री जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं उसे देखते हुए ये अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है कि चुनावी साल में उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकेगा।


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