BHOPAL. प्रदेश में दिन में भले हल्की-सी तपिश है, लेकिन रात में ठंडक बरकरार है। सर्द-गर्म के इस मौसम में वायरल घुसपैठ कर डॉक्टरों की चांदी कर रहा है। उधर, बिहार सीएम के नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने का बीड़ा उठाए घूम रहे हैं। पाकिस्तान अपनी माली हालात से हैरान-परेशान है। दिल्ली में शराब नीति पर CBI मनीष सिसोदिया को पेल रही है तो एमपी में उमा ने शिवराज की नींद उड़ा रखी है। खबरें तो और भी हैं, आप तो बस सीधे नीचे उतर आइए और जानिए मंत्रालय-पीएवक्यू में कौन किसकी टंगड़ी खींचने में लगा है।
बयानवीर हैं कि मानते नहीं
बीजेपी हाईकमान बयानवीर नेताओं से भारी परेशान है। हालात ये हैं कि पीएम से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक समय-समय पर बयानवीर नेताओं को नसीहत देते रहते हैं, लेकिन बयानवीर नेता हैं कि मानते नहीं। पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के हिन्दू राष्ट्र के बयान के बाद आनन-फानन में नड्डा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस कर सांसदों को साफ शब्दों में कहा है कि सनातन धर्म या धार्मिक मामलों से जुड़े मामलों में बयानबाजी ना करें, जरूरत होने पर पार्टी प्रवक्ता इस पर बात करेंगे। नड्डा की नसीहत के दूसरे दिन ही साध्वी सांसद ने कहा कि वक्फ बोर्ड को सनातन बोर्ड बनाया जाए। चाहने वालों ने बयान दिल्ली पहुंचा दिया है। वैसे आपको बता दें साध्वी को कोई फर्क नहीं पड़ता, इससे पहले एक बयान पर मोदी जी भी उनसे नाराज हो चुके हैं। उनकी बल्लेबाजी लगातार जारी है।
पीएचक्यू का इकबाल कमजोर
खाकी वाले साहब लोगों में चर्चा जोरों पर है कि इकबाल तो मंत्रालय का मजबूत है, पीएचक्यू का कमजोर। दरअसल मुखिया को कुर्सी पर बैठे 1 साल पूरा हो रहा है, लेकिन पीएचक्यू में अफसर तो छोड़िए पेपर वेट तक नहीं बदला। डीआईजी की डीपीसी हुए 3 महीने हो चुके हैं। अफसर नई पोस्टिंग के लिए अपना बेडरोल बांधकर तैयार हैं, लेकिन लिस्ट है कि जारी ही नहीं हो रही। हालात ये है कि कई जिलों में 2-2 डीआईजी और आईजी पदस्थ हैं। खाकी वाले अफसर तो अब ये मानने लगे हैं कि अब पीएचक्यू की जगह मंत्रालय वाले साहब के यहां हाजिरी लगाई जाए तो लिस्ट आ सकती है।
कार चलाना सीख रहे साहब
मंत्रालय से ऊंचे ओहदे से रिटायर हुए साहब ड्राइवर का पैसा बचाने के लिए अब कार चलाना सीख रहे हैं। दरअसल साहब ने पहले पुनर्वास के लिए हाथ-पैर मारे थे, लेकिन पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला। साहब समझ गए कि अब सरकारी सुविधाएं ओवर हो गई हैं। साहब ने तत्काल निर्णय लिया कि कार सीखी जाए, कम से कम 15 हजार महीना ड्राइवर का खर्चा तो बचेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें ये साहब बड़े साहब के चहेते थे, लेकिन रिटायरमेंट के अंतिम समय में कुपोषण पर दिया गया बयान सरकार के लिए मुसीबत बन गया। अब चाहकर भी बड़े साहब इनकी मदद नहीं कर पा रहे हैं।
बिल्ल्यिों लड़ाई में बंदर का फायदा
आपने वो कहानी तो सुनी होगी कि रोटी के बंटवारे पर बिल्लियों की लड़ाई में बंदर जज बनकर पूरी रोटी खा जाता है। ऐसा ही कुछ इन दिनों खाकी वर्दी वाली मैडमों के साथ हो रहा है। दोनों एक-दूसरे के खिलाफ जमकर मोर्चा खोले हुए हैं। अब इस विवाद को निपटाने के लिए खाकी वर्दी वाली बड़ी मैडम मैदान में आ गई हैं। ये विवाद निपटता है कि नहीं ये तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन बड़ी मैडम को जानने वाले कहते हैं कि मैडम अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए ये खेल खेलती रहती हैं, पहले लड़वाओ फिर राजीनामा करवाकर अपनी धाक जमाओ। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक जमाने में बड़ी मैडम का रुतबा इकतरफा रहा है।
बड़े साहब पर भारी हैं ये साहब
बड़े साहब का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छे अफसरों के पसीने छूट जाते हैं, लेकिन मंत्रालय में एक ऐसे अफसर भी हैं, जो बड़े साहब को ठेंगे पर रखते हैं। हम आपको बता दें ये साहब चंबल से वास्ता रखते हैं, चंबल बोले तो भारी-भरकम नेताओं का इलाका। बड़े साहब ने हॉट सीट पर बैठते ही अच्छे-अच्छों को निपटा दिया, लेकिन इन साहब का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे। अब ये साहब सीधे मामा की टीम में भी शामिल हो गए हैं, तो अब इन पर हाथ डालना और मुश्किल हो गया है।
शराब कारोबारी पर मेहरबानी
मंत्रालय के अफसरों में चर्चा है कि प्रदेश के बड़े शराब कारोबारी पर मेहरबान कौन। मालवा की एक बड़ी शराब फैक्ट्री मालिक सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं। दूसरे शराब फैक्ट्री के मालिक ने जांच एजेंसी से इसकी शिकायत की है। इसमें बताया गया कि बड़े साहब के चहेते तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर ने महाराष्ट्र की ब्रांडेड बीयर कंपनी को बिना कोई टैक्स लिए बोटलिंग करने का लायसेंस दे दिया। प्रारंभिक छानबीन में करोड़ों का गोलमाल निकला। जांच एजेंसी कोई कदम उठाती उससे पहले ऊपर से संदेशा आ गया। इस मामले में शांत रहिए।