BHOPAL. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों में जीत के लिए बीजेपी ने एक बड़ा प्लान तैयार किया है। इस प्लान के तहत पार्टी विधानसभावार जातिगत गणना करा रही है। किस विधानसभा में किस-किस जाति वर्ग के लोगों की संख्या क्या है और उनका किस पार्टी के प्रति रुझान है। ये दो बिंदुओं पर खास तौर पर काम किया जा रहा है। पार्टी इस गणना के आधार पर अगले चुनाव के टिकट तय करेगी। इस गणना में ये पता लगाया जाएगा कि किस जाति को टिकट देने से जीत की गारंटी मिलेगी और यदि दूसरी जाति के लोग चुनाव में खड़े होते हैं तो उनको कैसे मनाया जाएगा। जिला अध्यक्ष ये रिपोर्ट संगठन को सौंपेंगे जिसके आधार पर आगे रणनीति बनाई जाएगी।
पार्टी ने बनाया समरसता समूह
इस पूरी रणनीति को अंजाम देने के लिए बीजेपी ने समरसता समूह बनाया है। इस समरसता समूह में मंत्री मंत्री गोपाल भार्गव, तुलसी सिलावट, मोहन यादव, भारत सिंह कुशवाह, सांसद गजेंद्र पटेल, विधायक रामपाल सिंह और प्रदीप लारिया को शामिल किया गया है।
2 दर्जन सीटों पर पड़ेगा असर
साल 2018 के चुनाव में बीजेपी महज 7 सीटों से सत्ता में आने रह गई थी, लेकिन नुकसान उसे 30 से ज्यादा सीटों का हुआ था। पार्टी ने इस बात का अध्ययन किया है कि 2018 के रिजल्ट में यदि इस जातिगत समीकरण को साधा होता तो करीब 2 दर्जन सीटों का उसे फायदा हो जाता। ये वो सीटें हैं जो पार्टी के उम्मीदवार सिर्फ इसलिए हार गए क्योंकि उनके खिलाफ दूसरी जाति के लोग खड़े हो गए थे और उन्होंने पार्टी के परंपरागत वोटों को आपस में बांट लिया था जिससे उन्हें नुकसान हुआ।
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उदाहरण नंबर एक : राजनगर विधानसभा सीट
छतरपुर जिले की राजनगर सीट से बीजेपी ने ब्राह्मण उम्मीदवार अरविंद पटेरिया को उम्मीदवार बनाया ,था लेकिन जातिगत समीकरण से वे मात खा गए और कांग्रेस के उम्मीदवार विक्रम सिंह नातीराजा से महज 732 वोटों से चुनाव हार गए। बीजेपी जातिगत समीकरण ना साध पाने से चुनाव हार गई। सपा उम्मीदवार नितिन चतुर्वेदी ने ब्राह्मण वोट का लिए। इसके अलावा विनोद पटेल ने बसपा से चुनाव लड़कर 28 हजार वोट हासिल कर लिए। इसके अलावा अजय मिश्रा, कुलदीप सिंह, बाला प्रसाद और सूरज पटेल ने बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाकर बीजेपी उम्मीदवार को हरा दिया।
उदाहरण नंबर 2 : बड़ा मलहरा विधानसभा सीट
बीजेपी अपनी परंपरागत सीट बड़ा मलहरा भी जातिगत समीकरणों के चलते हार गई। यहां पर बीजेपी की ललिता यादव जो उस वक्त राज्यमंत्री थीं वे कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह लोधी से 15 हजार 719 मतों से हार गईं। बीजेपी की हार में अन्य समाजों के उम्मीदवार खड़े होने का बड़ा कारण रहा। बीएसपी उम्मीदवार हरि कृष्णा ने 15 हजार वोट काटे। सुनील घुवारा ने 3 हजार वोट, लक्ष्मण ठाकुर ने 2 हजार, राजा विश्वकर्मा ने 2 हजार, मनोज ठाकुर ने 1 हजार और महेश सोनी ने साढ़े 600 वोट काटकर बीजेपी को चलता कर दिया।