Jabalpur. प्रदेश में महिलाओं की पूछपरख पहले से काफी ज्यादा बढ़ गई है, खासकर राजनैतिक पार्टियों की योजनाओं के चलते। राजनैतिक पार्टियां अच्छी तरह से जानती हैं कि यदि इस आधी आबादी को मना लिया गया तो सारे हथकंडे, धु्रवीकरण हो या जातिवाद और संप्रदायवाद सब के सब धरे के धरे रह जाएंगे। यही कारण है कि बीजेपी लाड़ली बहना योजना को गेमचेंजर मानकर चल रही थी, वहीं अब कांग्रेस अपनी नारी सम्मान योजना लेकर महिलाओं के बीच पहुंच रही है। वहीं इन दोनों योजनाओं को लेकर राजनेता एकदूसरे पर छींटाकशी कर रहे हैं। कल छिंदवाड़ा में कमलनाथ ने अपनी इस योजना को लॉन्च किया तो आज बीजेपी की ओर से इस पर तंज किया गया है। तंज करने वाले हैं बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन सिंह चौधरी, जिन्होने कहा है कि लाड़ली बहना योजना के चलते कांग्रेस को इतनी सद्बुद्धि तो आई कि वे नारी सम्मान योजना लाए, वरना कल तक ये लोग नारी को आइटम कहकर संबोधित कर रहे थे।
शिवराज प्रदेश का सबसे बड़ा किसान नेता और किसान चेहरा
बीजेपी किसान मोर्चा के मुखिया दर्शन सिंह ने कहा कि आज प्रदेश में सीएम शिवराज सिंह चौहान से बड़ा कौन सा किसान नेता है, वे ही प्रदेश के किसानों का चेहरा हैं। उनकी किसान हित की योजनाओं से प्रदेश के किसानों का काफी लाभ हुआ है। इसलिए प्रदेश में बीजेपी की सरकार एक बार फिर रिपीट होने जा रही है।
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सीएम की हरदौल देव से की तुलना
बीजेपी किसान मोर्चा अध्यक्ष ने कहा कि मैं हरदौल की नगरी के पास बैठकर यह बोलने का साहस कर रहा हूं कि हरदौल देव ने तो मरने के बाद देवी को सिद्ध किया था, लेकिन प्रदेश में जीते जी यदि बहनों का कोई हरदौल भैया है तो वह केवल और केवल सीएम शिवराज सिंह चौहान है। उन्होंने कहा कि पिछले 18 साल से प्रदेश की महिलाएं जिस तरह अपने भाई सीएम शिवराज सिंह चौहान को आशीर्वाद देती आई हैं, इस बार भी वे उन्हें भरपूर आशीर्वाद देने जा रही हैं।
कौन है हरदौल देव?
हरदौल ओरछा के राजा वीर सिंह देव के बेटे थे, ओरछा के गजट में भी उनका उल्लेख है। कहते हैं कि वीर सिंहदेव ने अपने बेटे जुझार सिंह को अपनी गद्दी सौंपी थी और हरदौल को दीवान बनाया था। लेकिन ओरछा के दुश्मनों ने बड़े भाई जुझार सिंह के कान भर दिए कि हरदौल और उनकी पत्नी के बीच अवैध संबंध हैं। जिसके बाद जुझार सिंह के आदेश पर हरदौल ने अपनी भाभी के मान को रखने के लिए उनके हाथों से विष पी लिया था।
कहते हैं कि हरदौल की बहन अपनी भांजी की शादी का न्यौता लेकर जुझार सिंह के पास गई तो उन्होंने यह कहकर दुत्कार दिया कि वह अपने प्रिय भाई हरदौल को न्यौता दे दे। इस पर बहन दतिया स्थित हरदौल की समाधि पर जाकर रोई तो कहते हैं कि बहन के रोने पर हरदौल प्रकट हुए और उन्होंने अपनी बहन से वादा किया कि वे भांजी की शादी में भात लेकर जरूर आएंगे। कहा जाता है कि हरदौल ने अदृश्य रहकर अपनी भांजी की शादी में भात दिया। इसके बाद से बुंदेलखंड के हर घर में शादी के मौके पर हरदौल को याद किया जाता है और उन्हें शादी में आमंत्रित किया जाता है।