मध्यप्रदेश में बीजेपी का मिशन-2023 फेल करेगी युवाओं की नाराजगी? जानिए किन मुद्दों को लेकर नाराज है युवा मतदाता

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Harish Divekar
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मध्यप्रदेश में बीजेपी का मिशन-2023 फेल करेगी युवाओं की नाराजगी? जानिए किन मुद्दों को लेकर नाराज है युवा मतदाता

BHOPAL. मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों को चुनावी साल में युवाओं की याद आई है। इस मामले में दोनों ने अपना-अपना दांव खेल लिया है। ताज्जुब की बात ये है कि 19 साल सत्ता में रही बीजेपी युवा वोटर्स को अपना बनाने की जी तोड़ कोशिश कर रही है, लेकिन व्यापमं घोटाले की आग और बेरोजगारी का मुद्दा बीजेपी के इरादों पर पलीता लगा रहे हैं। रोजगार के लिए की गईं ढेरों योजनाएं भी युवाओं की नाराजगी को कम करने में बेमानी ही साबित होती दिख रही हैं।





पहली बार वोट डालने वाले युवाओं पर नजरें





चुनाव से पहले मध्यप्रदेश की वोटर लिस्ट और लंबी होने वाली है। इसकी वजह हैं वो युवा वोटर्स जो इस चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले हैं। कांग्रेस और बीजेपी दोनों की ही नजर पहली बार वोट डालने वाले इन वोटर्स पर टिकी हैं। 18 से 39 साल के वोटर्स को युवा वोटर्स की कैटेगरी में रखा गया है। जो कुल मतदाताओं को 52 फीसदी हिस्सा है। 35 लाख के करीब नए युवा मतदाताओं के जुड़ने की भी संभावना है। इस बड़ी संख्या को देखते हुए बीजेपी युवा वोटर्स को जोड़ने की पूरी तैयारी में है।





कांग्रेस और बीजेपी कर रहीं सभी को रिझाने की कोशिश





चुनाव से पहले हर वर्ग, हर तबके और जाति को रिझाने की कोशिशें दोनों ओर से जारी है। कांग्रेस के लिए सत्ता में वापसी करने के लिए एक-एक मतदाता जरूरी है तो 19 साल से राज कर रही बीजेपी के लिए भी इस बार जंग आसान नहीं है। इसलिए हर मतदाता पर फोकस किया जा रहा है। इसमें युवा वोटर्स भी शामिल हैं, जिन्हें अपने साथ मिलाने के लिए दोनों दल तेजी से कोशिश कर रहे हैं।





28 सीटों के उपचुनाव तक प्रदेश में युवा वोटर्स की ‘ताकत’





20 से 29 की उम्र के 27.38 फीसदी और 30 से 39 की उम्र के 25.58 फीसदी वोटर्स थे जिनकी संख्या अब काफी ज्यादा होगी। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि युवा वोटर्स निर्णायक भूमिका में होंगे। ये युवा ही तय करेंगे कि प्रदेश में किसकी हुकूमत काबिज होगी। इस अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता जिसे ध्यान में रखते हुए अब युवा वोटर्स दोनों दलों की चुनावी रणनीति का हिस्सा बन चुके हैं।





पीएम मोदी की लोकप्रियता युवाओं के बीच कैश कराने की तैयारी





बीते विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक फीसदी वोट ने हार और जीत की हेराफेरी कर दी थी। कई सीटों पर प्रत्याशियों की हार जीत का अंतर भी 5 से 8 फीसदी ही रहा था। युवा वोटर चुनावों की इस आंकड़े में 8 से 10 फीसदी का हिस्सा रखता है जिनके वोट से हार जीत की बिसात आसानी से उलट-पलट हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए अब बीजेपी पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को युवाओं के बीच कैश कराने की तैयारी में है।





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मध्यप्रदेश का युवा नाराज है!





बीजेपी के लिए भी युवाओं के दिल में जगह बनाना अभी बहुत आसान नहीं है क्योंकि मुद्दा युवाओं के भविष्य से जुड़ा है। इंदौर में युवा भर्ती सत्याग्रह कर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। हाल ये है कि या तो भर्ती के लिए परीक्षा हुई नहीं है और जिनकी हो गई है उनकी भर्तियां भी शुरू नहीं हुई है। इस वजह से प्रदेश में कई पद खाली पड़े हैं, लेकिन वहां भी युवाओं को रोजगार नहीं दिया जा रहा। सीएम शिवराज ने घोषणाएं तो बहुत की लेकिन बेरोजगारों का गुस्सा शांत करने के लिए वो घोषणाएं नाकाफी ही साबित हो रही हैं।





इंदौर में भर्ती सत्याग्रह कर चुके हैं युवा





इंदौर में कुछ महीनों पहले युवाओं ने भर्ती सत्याग्रह शुरू किया था। इस सत्याग्रह में उमड़ी युवाओं की भीड़ देखकर शासन से लेकर प्रशासन के हर नुमाइंदे के हाथ-पैर फूल गए। उस दिन ये स्पष्ट हो गया था कि युवाओं की नाराजगी किस कदर बढ़ती जा रही है। भर्ती प्रक्रिया में सुधार, रोजगार पोर्टल, बेरोजगारी भत्ता, राज्य भर्ती आयोग, घोटालों पर रोक के अलावा MPPSC द्वारा आयोजित अन्य परीक्षाएं जैसे राज्य वन सेवा परीक्षा 2019-20-21, राज्य इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा की प्रक्रिया जल्द पूरी करने की मांगों को लेकर युवा सड़कों पर उतरे। युवाओं का ये हुजूम देखकर बीजेपी का फोकस युवा वोटर्स पर शिफ्ट हो गया।





डेब्यू वोट कास्ट करने वाले युवाओं पर दोनों दलों की पैनी नजर





युवा वोटर कितने जरूरी हैं इसका अंदाजा ऐसे लगाइए कि 28 सीटों के उपचुनाव से पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नए रोजगार देने का ऐलान कर दिया था। उस वक्त सत्ता का ताजा-ताजा मजा चख चुकी कांग्रेस ने भी युवा संवाद कार्यक्रम कर युवाओं को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उनकी कंम्प्यूटर क्रांति की याद दिलाई। इस बार भी डेब्यू वोट कास्ट करने वाले मतदाताओं पर दोनों दल की पैनी नजर है क्योंकि अपने वोट से ये मतदाता चुनावी आंकड़ों में बड़ा हेरफेर कर सकते हैं। लिहाजा युवाओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में अपने साथ जोड़ने के लिए बीजेपी ने तैयारी शुरू कर दी है। इसकी जिम्मेदारी पार्टी ने अपनी युवा विंग को ही सौंपी है।





युवा और बीजेपी की रणनीति







  • युवा मोर्चा को ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ने की जिम्मेदारी



  • होस्टलों में रहने वाले युवाओं से संवाद स्थापित करने की तैयारी


  • मंत्रियों को अपने अपने क्षेत्र को होस्टल्स का निरीक्षण करने के निर्देश


  • युवाओं की बीच लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इमेज को भुनाने की तैयारी






  • यूथ शिवराज सरकार से नाराज





    इस तैयारी के साथ बीजेपी ने युवा वोटर्स को लेकर लंबी चौड़ी प्लानिंग की है, लेकिन हार-जीत के एक फीसदी के अंतर को पाटने के लिए चला गया बीजेपी का ये दांव खाली भी कहा जा सकता है। क्योंकि एमपी का यूथ शिवराज सरकार से नाराज माना जा रहा है। इसके अलावा जिस युवा मोर्चे को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है। वही युवा मोर्चा बीजेपी में फिलहाल बहुत कमजोर दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं नाराजगी के और भी बहुत से कारण हैं।





    शिवराज सरकार से युवाओं की नाराजगी क्यों ?







    • व्यापमं घोटले को लेकर युवाओं में अब तक सरकार के खिलाफ नाराजगी है



  • वादे के बावजूद प्रदेश में बेरोजगारी कम नहीं हुई


  • चुनाव से पहले सरकारी भर्ती के ऐलान लेकिन भर्ती प्रक्रिया धीमी


  • पार्टी के पास दमदार युवा नेतृत्व की कमी






  • बीजेपी को नई नौकरियां देने की जरूरत





    जानकारों की मानें तो बीजेपी लाख कोशिश कर ले, लेकिन अपनी माइक्रोलेवल की प्लानिंग के बावजूद वो युवा वोटर्स की कसौटी पर खरी उतरने से चूक रही है। युवाओं की नाराजगी दूर करने के लिए बीजेपी को सबसे पहले नई नौकरियां देने की जरूरत है, लेकिन चुनाव में समय इतना कम बचा है कि इस नाराजगी को दूर करना आसान नहीं है।





    आरपार की लड़ाई के मूड में है मध्यप्रदेश का युवा





    कांग्रेस सरकार गिराने के बाद हुए उपचुनाव से पहले सीएम शिवराज ने ये वादा किया था कि वो युवाओं को रोजगार देंगे। महज 5 महीने पुराने आंकड़े देखें तो प्रदेश में 11 फीसदी से ज्यादा ग्रेजुएट युवा नौकरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश के सालभर पुराने इकोनॉमिक सर्वे के अनुसार प्रदेश में बेरोजगार युवाओं की संख्या साढ़े 5 लाख से ज्यादा बढ़ी है। इस बड़े अंतर को खत्म करने के लिए शिवराज सरकार को कई जतन करने होंगे। अफसोस की समय कम है। दूसरी तरफ नौकरी की चाह रखने वाले युवा अब आरपास की लड़ाई के मूड में हैं जिन्हें भोपाल आकर सीएम हाउस के सामने प्रदर्शन करने से भी रोकना मुश्किल हो सकता है। क्या उस वक्त बीजेपी युवा मतदाताओं पर डंडे या पानी की तेज बौछार बरसा पाएगी। युवाओं की नाराजगी की ढेरों वजह है। ऐसे में बीजेपी के लिए ये कवायद फिलहाल आसान नजर नहीं आती।



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