देव श्रीमाली,GWALIOR. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक और अशोक नगर विधानसभा से बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी की मुसीबतें फिर बढ़ गईं है। ग्वालियर हाईकोर्ट से उन्हें बड़ा झटका लगा है। उनके द्वारा चुनावों में गलत जाति प्रमाण-पत्र को लेकर दायर याचिका को स्थगित करने के लिए याचिका दायर की थी। इस याचिका को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने निरस्त कर उनके खिलाफ चल रहे केस को जारी रखने के रास्ता साफ कर दिया।
क्या है पूरा मामला
कट्टर सिंधिया समर्थकों और अशोक नगर विधानसभा से विधायक जगपाल सिंह जज्जी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अशोकनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ की सरकार को गिराकर बीजेपी में शामिल हो गए और जजपाल सिंह जज्जी भी सिंधिया के साथ बीजेपी में चले गए। इसके बाद उस साल 2020 में जजपाल सिंह जज्जी ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उनके खिलाफ बीजेपी नेता लड्डू राम कोरी ने एक याचिका में कहा कि बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी पंजाब के रहने वाले हैं और उन पर कीर जाति का प्रमाण-पत्र मौजूद है, जो पंजाब में अनुसूचित जाति की श्रेणी में आती है, लेकिन मध्यप्रदेश में यह जाति सामान्य वर्ग में आती है, इसलिए जगपाल सिंह को मध्यप्रदेश में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। वह मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं और इनका प्रमाण-पत्र भी वहीं बनेगा और मान्य होगा।
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जज्जी ने केस स्टे करने का दिया आवेदन
जाति प्रमाण पत्र को लेकर की गई याचिका को चुनौती देने के लिए विधायक जगपाल जज्जी ने कोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था और याचिका की सुनवाई पर स्टे का आग्रह किया। विधायक ने अपने आवेदन में कहा कि जाति प्रमाण पत्र की वैधता के मामले में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में प्रकरण विचाराधीन है और इस मामले को लेकर सुनवाई चल रही है, तो सिंगल बेंच चुनाव याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकती। हाईकोर्ट ने विधायक के इस आवेदन को स्वीकार करने से इंकार कर दिया।