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देव श्रीमाली, GWALIOR. अशोकनगर से विधायक जजपाल जज्जी को झूठे जाति प्रमाण पत्र के मामले में राहत मिल गई है, हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के विधानसभा की सदस्यता खत्म करने के फैसले पर डबल बेंच ने रोक लगी दी है। डबल बेंच ने सिंगल बैंच के फैसले पर स्टे जारी किया है। इससे जज्जी की विधायकी की कुर्सी पर मंडरा रहा खतरा कुछ दिनों के लिए टल गया है।
सिंगल बेंच ने दिए थे विधायकी खत्म करने के आदेश
एमपी हाईकोर्ट खंडपीठ की सिंगल बेंच ने बीजेपी विधायक जजपाल सिंह जज्जी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था। साथ ही SP अशोकनगर को आदेश दिया था कि जज्जी के खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने के मामले में केस दर्ज किया हो और विधानसभा की सदस्यता खत्म की जाए। जज्जी ने कीर जाति का जाति प्रमाण पत्र बनवाकर अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ लिया था। इस जाति को पंजाब में आरक्षण हैं, मध्य प्रदेश में नहीं।
जज्जी को डबल बेंच से राहत, केस भी दायर नहीं होगा
जज्जी के वकील अवधेश सिंह तोमर ने बताया कि जाति प्रमाण पत्र को लेकर पहले हो चुकी जांच रिपोर्ट को अदालत के संज्ञान में लाकर विभिन्न तथ्य रखे गए।.इनको सुनने के बाद डबल बेंच ने सिंगल बैंच के आदेश को स्थगित कर रेस्पोंडेंट को नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं। तोमर के अनुसार इसके बाद अब जज्जी की विधानसभा सदस्यता सुरक्षित रहेगी। साथ ही उन पर लगाया गया जुर्माना और एफआईआर की प्रक्रिया भी स्थगित रहेगी।
2018 में जीते थे चुनाव, सिंधिया संग बीजेपी में हुए थे शामिल
2018 में जज्जी ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अशोकनगर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। बीजेपी के हारे उम्मीदवार लड्डूराम कोरी ने 2020 में हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर कर निर्वाचन को चुनौती दी थी। इसमें कहा था कि उन्होंने गलत जाति प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ा। उन्होंने पंजाब का जाति प्रमाण पत्र लगाया था। वहीं, कोरी का तर्क था कि यह जाति पंजाब में अनुसूचित जाति में आती है, एमपी में नहीं। जज्जी 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। विधायक पद से भी इस्तीफा दिया था। बाद में बीजेपी के टिकट पर उपचुनाव जीतकर विधायक बने थे।
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