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Ujjain. मध्यप्रदेश में सियासी गर्मी धीरे-धीरे बढ़ रही है तो वहीं बीजेपी में बुजुर्ग उम्मीदवारों के बजाए युवा चेहरों को तरजीह देने का जो नियम बनाया गया है। उसको लेकर कई दिग्गज सांसत में हैं। अब उज्जैन से विधायक पारस जैन ने बयान दिया है कि पार्टी को जिताऊ उम्मीदवार मैदान में उतारने चाहिए भले ही उनकी उम्र ज्यादा क्यों न हो। बता दें कि 10 महीने पहले बीजेपी के आलाकमान ने यह फैसला लिया था कि 70 से ज्यादा उम्र वाले प्रत्याशियों के टिकट काटे जाऐंगे। हालांकि उसके बाद 75 पार वाले सत्यनारायण जटिया को केंद्रीय संसदीय समिति का सदस्य भी बनाया गया। चुनावी बिसात बिछने में अभी काफी लंबा वक्त है, लेकिन पारस जैन का यह बयान पार्टी में विधानसभा की दावेदारी कर रहे लोगों में हलचल पैदा कर रहा है। पारस जैन उज्जैन से 6 बार विधायक चुने जा चुके हैं और अनेक मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी वहन कर चुके हैं।
दरअसल पारस जैन 73 बसंत पार कर चुके हैं, इससे पहले पिछले विधानसभा चुनावों में पार्टी ने वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर को भी आराम दे दिया था। बीजेपी इससे पहले उत्तराखंड, गुजरात और फिर त्रिपुरा में यह फॉर्मूला अपना चुकी है और यह काफी हद तक सफल भी रहा है। ऐसे में पारस जैन ने पार्टी के फॉर्मूले के खिलाफ बोल दिया है, उनकी देखासीखी और भी उम्रदराज नेता अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
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बीजेपी में उम्रदराज नेताओं को टिकट नहीं देने के निर्णय पर पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक पारस जैन से सवाल किया गया था। जैन ने कहा कि जो फैसला पार्टी ने लिया था, उसके बाद 75 वर्ष पार वाले लोगों को भी कहीं न कहीं पदाधिकारी बनाया गया है। बड़ी जवाबदारी भी दी है। इसलिए मुझे लगता है कि 75 साल वाला निर्णय कंपल्सरी नहीं है। मेरा कहना है कि टिकट उन लोगों को दिया जाए जो लोग फिट हैं, चुनाव जीत सकते हैं। जनता जिनको चाहती है। ऐसे प्रत्याशियों को टिकट देने पर कोई एतराज नहीं है। 77 साल की उम्र में सत्यनारायण जटिया को मौका दिए जाने के सवाल पर पारस जैन बोले हमारे सीनियर और वरिष्ठ नेता को मौका दिया है तो मैं कहता हूं बहुत अच्छी बात है। यदि उनको मौका दिया है तो दूसरे लोगों को भी मौका मिलना चाहिए। पारस जैन की दावेदारी के संबंध में किए गए सवाल पर जैन बोले कि यदि पार्टी टिकट देगी तो हम बराबर जीतेंगे। मुझे उम्मीद है कि जनता जिताएगी।
असल में पारस जैन 73 साल के हैं और मध्यप्रदेश विधानसभा में उज्जैन उत्तर की सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे साल 1990, 1993, 2003, 2008, 2013 और 2018 में जीत दर्ज कर चुके हैं। 2005 से 2018 तक वे वन, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण समेत अनेक विभागों के राज्यमंत्री रह चुके हैं। केवल साल 1998 में वे अपने प्रतिद्वंदी राजेंद्र भारती से चुनाव हारे थे।