जितेंद्र सिंह, GWALIOR. मप्र के ग्वालियर जिले में दो थानों का आपसी तालमेल नहीं होने का खामियाजा परिवार वालों को भुगतना पड़ा। दरअसल, 13 मई को लापता एक युवक की मौत के बाद पुलिस ने उसे लावारिस करार देकर दफना दिया। जबकि, परिजनों ने युवक की गुमशुदगी दर्ज करवा रखी थी। अब परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने युवक को मारकर दफना दिया है। वहीं, पुलिस का कहना है कि उन्होंने तो लावारिश लाश मिलने की सूचना कंट्रोल रुम को दे दी थी। जब कोई नहीं आया था उसे दफनाना पड़ा।
8 दिन से अस्पताल में था भर्ती
ग्वालियर के हजीरा निवासी बहादुर सिंह राजपूत (32) को लीवर में समस्या होने के चलते 5 मई को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। 13 मई को परिजनों ने टहलने की बोलकर अस्पताल से बाहर गया तो वापस नहीं लौटा। परिजनों ने उसे तलाशने की कोशिश की, लेकिन कहीं नहीं मिला। थकहारकर परिजनों ने कंपू थाना पुलिस में उसकी गुमशुदगी दर्ज करवा दी।
झांसी रोड थाना में मिली शव
परिजन गुमशुदा युवक को लगातार तलाश कर रहे थे। किसी ने सूचना दी कि युवक को लास्ट टाइम नाका चंद्रबदनी पर देखा गया था। परिजन तलाश करते वहां पहुंचे, कोई खबर नहीं मिली तो नजदीक के थाना झांसी रोड में खोजखबर लेने पहुंच गए। वहां पता चला कि युवक अचेत अवस्था में लावारिश पड़ा मिला था। उसे ट्रॉमा सेंटर लेकर गए थे, लेकिन पुलिस ने उसे मृत घोषित कर दिया। युवक की मौत की सूचना पर परिजनों ने थाने में हंगामा कर दिया।
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एक दूसरे की सीमा से सटे हैं थाने
ग्वालियर का जयारोग्य अस्पताल दो थानों की सीमा में है। कॉलेज और अस्पताल का कुछ हिस्सा झांसी रोड थाने में आता है, जबकि कुछ हिस्सा कंपू रोड थाने की सीमा में है। दोनों थानों की सीमा एक दूसरे से सटी है। बावजूद इसके आपसी तालमेल न होने के चलते एक युवक को परिजन होने के बावजूद लावारिश मानकर दफना दिया गया।
थानों के बीच नहीं तालमेल
झांसी रोड थाना पुलिस का कहना है कि उन्होंने लावारिश शव मिलने की सूचना कंट्रोल रुम को दे दी थी। दो दिन तक शव मोर्चरी में रखा रहा, जब कोई नहीं आया तो शव को दफना दिया है। उन्होंने अपना काम कर दिया था। कंपू थाने ने गुमशुदगी की सूचना नहीं दी तो उनकी गलती नहीं है।
पुलिस पर लापरवाही का आरोप
मृतक युवक की बहन का आरोप है कि हमने पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करवा दी थी। भाई एकदम ठीक था। अचानक उसकी मौत कैसे हो सकती है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने भाई को मारा है। जब कंपू थाने में गुमशुदगी दर्ज थी तो इन्हें कैसे पता नहीं चला। यह पुलिस की लापरवाही है।