MP में सरकारी स्कूलों की किताबों को हाईटेक ढंग से किया जाएगा ट्रैक, ऐप के जरिए किताबों की होगी निगरानी, एसा करने वाला पहला राज्य

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Chandresh Sharma
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MP में सरकारी स्कूलों की किताबों को हाईटेक ढंग से किया जाएगा ट्रैक, ऐप के जरिए किताबों की होगी निगरानी, एसा करने वाला पहला राज्य

Bhopal. प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरे या न सुधरे लेकिन बच्चों को ज्ञान प्राप्त कराने वाली पुस्तकों की वितरण प्रणाली पर निगरानी रखने शिक्षा विभाग हाईटेक ढंग से निगरानी की व्यवस्था लागू करने जा रहा है। राज्य शिक्षा केंद्र ने इसके लिए ऑनलाइन टेक्स्ट बुक वितरण ट्रैकिंग एप तैयार किया है। जिसके जरिए हर एक किताब की टैकिंग की जाएगी। राज्य, जिला और विकासखंड स्तर पर मॉनीटरिंग की जाएगी। जमीनी स्तर पर यदि यह संभव हो पाया तो मध्यप्रदेश ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य होगा। 



इसी सत्र से होगी शुरूआत




इस एप के जरिए 2023-24 सत्र से पहली कक्षा से लेकर 12वीं क्लास तक की पाठ्य पुस्तकों को ट्रैक करेगा। पहले फेज में किताबों की ट्रैकिंग प्रणाली में मप्र पाठ्य पुस्तक निगम के डिपो से किताबों को विकासखंड स्तर पर भेजने की प्रक्रिया की निगरानी होगी। वहां विकासखंड समन्वयक द्वारा एप के माध्यम से किताबों के बंडल पर लगे जीओ टैग फोटो के साथ रिसीविंग दर्ज करेंगे। अगर किताबें क्षतिग्रस्त और कम मात्रा में पहुंचती हैं तो 15 दिनों के अंदर इसकी जानकारी मोबाइल एप के जरिए दर्ज करना होगी। 




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  • विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से डिस्पैच होंगी किताबें




    इस एप के जरिए स्कूल में हर क्लास के अनुसार विद्यार्थियों की तादाद दर्ज करनी होगी। बीआरसी की ओर से इसी संख्या के आधार पर डिस्पैच ऑर्डर तैयार किए जाएंगे। विकासखंड स्तर से जैसे ही स्कूल का डिस्पैच ऑर्डर लॉक होगा, तो संबंधित स्कूल के संस्था प्रमुख को मोबाइल एप पर उनके लाग इन पर दिखाई देने लगेगा। इसके अलावा किताबों को ट्रांसपोर्ट करने के लिए रूट चार्ट तैयार किया गया है। जिसके माध्यम से ट्रैकिंग हो सकेगी। मोबाइल एप पर कक्षा अनुसार विद्यार्थियों के नाम भी प्रदर्शित होंगे। इसी के मुताबिक किताबों का वितरण भी होगा। 



    7 करोड़ किताबें छपती हैं हर साल



    बता दें कि मप्र पाठ्य पुस्तक निगम सरकारी स्कूलों में निशुल्क किताबों का वितरण करने हर साल 7 करोड़ पाठ्यपुस्तकें छपवाता है। हर साल किताबों के वितरण में कोताही, कम मात्रा में किताबें मिलने और बच्चों को किताब नहीं मिलने की बातें सामने आती हैं। इस समस्या को देखते हुए यह ट्रैकिंग सिस्टम बनवाया गया है। ताकि हर बच्चे को पढ़ने के लिए नई किताबें उपलब्ध हो सकें। 


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