द सूत्र की पड़ताल: बाढ़ में बह गए भ्रष्टाचार के पुल, जांच के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति!

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द सूत्र की पड़ताल: बाढ़ में बह गए भ्रष्टाचार के पुल, जांच के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति!

अगस्त के शुरुआती दिनों में हुई तेज बारिश में ग्वालियर-चंबल में करोड़ों की लागत से बनकर तैयार हुए 6 पुल बह गए। इनमें से चार पुल शिवराज सरकार (Shivraj government) के दौरान ही बनाए गए। विपक्ष ने मुद्दा उठाया और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। सरकार ने भी जांच के लिए एक कमेटी घोषित कर एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। पर सवाल ये है कि आखिर इस तरह की जांच से होता क्या है? क्या वाकई दोषियों पर कार्रवाई होती है? या जांच के आदेश सिर्फ मामले को दबाने के काम आते हैं? द सूत्र की इस खास रिपोर्ट को देखिए और समझिए कि कैसे आम जनता से वसूले गए टैक्स का किस तरह गलत इस्तेमाल किया जाता है। लापरवाह अधिकारी और इंजीनियर्स कैसे आसानी से इन जांच के चंगुल से निकलकर बाहर आ जाते हैं।

बीमारी से नहीं सिस्टम से हारी ‘जिंदगी’

मध्यप्रदेश के पुल (mp bridges) कितने मजबूत हैं इसकी बानगी देखने को मिली सिंगरौली के रौंदी में। यहां कार के गुजरते ही एक पुल टूट गया। दरअसल हाल ही में 7 अगस्त को अनिल साहू 3 साल के बेटे अमर की तबीयत बिगड़ने पर उसे अस्पताल ले जा रहे थे। इस दौरान रास्ते में कार एक पुल से गुजरी, और पुल ढह गया। कार में सिर्फ 4 लोग सवार थे। हादसे में बच्चे की मौत हो गई और बाकी लोग घायल हो गए। जिस पुल के टूटने से ये हादसा हुआ उसका निर्माण 2018-19 में साढ़े तीन करोड़ की लागत से हुआ था।

अगस्त के पहले सप्ताह में बाढ़ में बहे थे ये छह पुल...

1. रतनगढ़-बसई का पुल 5.9 करोड़ की लागत से 2010 में बना था।
2. इंदरगढ़-पिछोर का पुल 10 करोड़ की लागत से 2013 में बना था।
3. श्योपुर-बड़ौदा का पुल 3.94 करोड़ की लागत से 2013 में बना था।
4. भिंड के गोरई-अडोखर का पुल 13.71 करोड़ की लागत से 2017 में बना था।
5. दतिया-सेवढ़ा पर 1982 में पुल बना था। लागत का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
6. श्योपुर जिले में गिरधरपुर-मानपुर में 1985 में पुल बना था। लागत का रिकॉर्ड नहीं है। 

कमलनाथ ने उठाए सवाल

नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि प्रदेश के दतिया जिले में बारिश से रतनगढ़ और संकुआ पुल बहना बेहद गंभीर और चिंताजनक है। करोड़ों की लागत से हाल ही में बने पुल बारिश के पानी में पत्ते की तरह बह गए, कैसा निर्माण कार्य? इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो जवाबदेही तय हो।

मंत्री भार्गव ने दिए जांच के आदेश

पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव (gopal bhargav) ने दतिया के रतनगढ़ बसई में सिंध नदी पर बने पुल और इंदरगढ़ पिछोर मार्ग पर निर्मित पुल के क्षतिग्रस्त होने की जांच का आदेश दिए। अधीक्षण यंत्री सेतु मंडल एमपी सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है, जो 7 दिन के अंदर जांच कर अपना प्रतिवेदन देगी. समिति में कार्यपालन यंत्री सागर संभाग पीएस पंत और एसडीओ सेतु संभाग भोपाल अविनाश सोनी को भी शामिल किया गया है।

इसलिए नहीं रुक रहा भ्रष्टाचार

निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार नहीं रुकने की वजह उपर से नीचे तक सबकी मिली भगत होना है। द सूत्र की पड़ताल में ऐसे 50 से ज्यादा पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर्स के मामले सामने आए जो तत्कालीन भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार और सरकार को लाखों रुपए का नुकसान पहुंचाने के लिए जांच में दोषी पाए गए, लेकिन कांग्रेस सरकार आते ही इन्हें दोषमुक्त कर दिया गया। अब सवाल ये है कि अनियमितता और लापरवाही करने वाला कौन है?

एक नजर इन इंजीनियर्स के मामलों पर 

मामला 01 : श्योपुर के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री पीएस झानिया पर आरोप था कि कराहल-सरारी-बरगंवा मार्ग का डामरीकरण का काम घटिया तरीके से किया गया। काम का भौतिक सत्यापन कराए बगैर ठेकेदार को अनुबंध की पहली किश्त में 1 करोड़ 21 लाख 58 हजार का भुगतान कर दिया। घटिया निर्माण के चलते सरकार को कुल 71.30 लाख की हानि हुई। जांच में ईई झानिया को क्लीनचिट देकर मामला समाप्त कर दिया। 

मामला-2

इंदौर के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री निर्मल श्रीवास्तव, एसडीओ मजहर अनीफ, उपयंत्री बीएम महाजन पर आरोप था कि उन्होंने राजीव गांधी चौराहा से राउ बायपास चौराहे तक घटिया सड़क का निर्माण कराया। काम पूरा होने से सड़क का एक बहुत बड़ा भाग क्षतिग्रस्त हो गया। जांच में दोनों इंजीनियर्स को क्लीनचिट देकर मामला समाप्त कर दिया। 

मामला-3

होशंगाबाद के तत्कालीन एसडीओ पीके जैन, उपयंत्री एसके जैन पर आरोप था कि सेहरा, कामठी, छेड़का तक घटिया सड़क बनाई। कई जगह सड़क में क्रेक आने से सड़क क्षतिग्रस्त हो गई। ठेकेदार से सड़क की मरम्मत करवाने के चलते दोनों इंजीनियर्स को क्लीनचिट देकर मामला बंद कर दिया। 

मामला-4

होशंगाबाद के तात्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री होशंगाबाद एसके पाटिल, पिपरिया एसडीओ जीपी पटले, उपयंत्री एसके साहू पर घटिया सड़के बनाने का आरोप था। प्रारंभिक जांच में कई सड़कें क्षतिग्रस्त मिली, वहीं कई सड़कों की मोटाई निर्धारित मापदण्ड से कम मिली। जांच अधिकारी ने कहा कि ठेकेदार से सड़क ठीक करवा ली गई है ऐसे में संबंधित इंजीनियर्स पर कोई मामला नहीं बनता। उन्होंनं चेतावनी देते हुए मामले को बंद कर दिया।

मामला-5

ग्वालियर के तत्कालीन प्रभारी कार्यपालन यंत्री रामशरण राजौरिया पर आरोप था कि बजट से ज्यादा ठेकेदार को 1 करोड़ 18 लाख 2454 रुपए का भुगतान कर दिया। इतना ही नहीं स्वीकृत कार्य से हटकर काम करवाया। परिणामतः न तो सड़क बन सकी और न ही व्यय की गई राशि का उपयोग किया जा सका। जांच अधिकारी ने कहा कि इंजीनियर राजौरिया की गल्ती जानबूझकर की जाना प्रतित नहीं होती ऐसे में इन्हें चेतावनी देकर छोड़ा जाता है।

इधर...उद्घाटन से पहले ही बह गया था पुल

अब चौंकिएगा मत !!! 29 अगस्त 2020 को सिवनी जिले के सुनवारा गांव से गुजरी बैनगंगा नदी पर एक पुल बनाया गया। 3 करोड़ 7 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ ये पुल उद्घाटन के एक दिन पहले ही बह गया। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधीन आने वाली ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण का है। इस पूल को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भोपाल की एसवी कंस्ट्रक्शनस नाम की कंपनी ने इसे बनाया था। पुल के बहते ही सबसे पहले ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के जीएम जेपी मेहरा और असिस्टेंट मैनेजर एसके अग्रवाल को सस्पेंड कर दिया गया। एक साल बीत गया लेकिन प्राधिकरण मामले की जांच पूरी नहीं कर सका है। 

ऐसे समझिए पूरे लचर सिस्टम को

1. ठेकेदार पर क्या कार्रवाई हुई पता ही नहीं
प्राधिकरण के चीफ जनरल मैनेजर बीएस चंदेल का कहना है कि विभागीय जांच में समय लगता है। उन्होंने दावा किया कि पुल बनाने वाले ठेकेदार पर कार्रवाई की है, लेकिन जब उनसे पूछा की क्या कार्रवाई की, तो उन्हें ये याद ही नहीं की क्या कार्रवाई की।

2. विभाग से लिखित में जवाब लेने की नसीहत
इस संबंध में जब रूलर रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी की सीईओ तन्वी सुंद्रीयाल से बात की तो पहले उन्होंने इस मामले में कुछ भी बोलने से इंकार किया। बाद में उन्होंने विभाग से लिखित में जवाब लेने की बात कही।

3. मंत्री ने भी नहीं दिया कोई जवाब
इस संबंध में द सूत्र की टीम पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया को भी कॉल किया, पर उन्होंने कॉल नहीं उठाया। इसके बाद उन्हें व्हाट्सएप पर मैसेज भी किए, पर इसका भी कोई रिप्लाई नहीं आया। 

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