चंदेरी की मेवा के नाम से मशहूर खिन्नी की बंपर फसल, 100 साल पुराने पेड़; दिल्ली-लखनऊ, भोपाल समेत देश के कई शहरों से आ रहे खरीदार

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BP Shrivastava
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चंदेरी की मेवा के नाम से मशहूर खिन्नी की बंपर फसल, 100 साल पुराने पेड़;  दिल्ली-लखनऊ, भोपाल समेत देश के कई शहरों से आ रहे खरीदार

दिनेश प्रजापति, CHANDERI. चंदेरी की मेवा के नाम से मशहूर मौसमी फल खिन्नी की फसल इस बार बंपर हो रही है। चंदरी मंडी में खिन्नी खूब आ रही है। इसकी आवाज 200 से 300 डालिया (गुट‍्टा) रोज है। जबकि खिन्नी का थोक रेट 70 से 80 रुपए प्रति किलो चल रहा है। खास बात यह है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है मंडी में खिन्नी की आवक बढ़ने लगती है। आवक अधिक होने से इसके दाम भी अभी कम हैं। दिल्ली, लखनऊ, कश्मीर, भोपाल समेत देशभर के कई शहरों के व्यापारी बड़ी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं।



5000 लोगों को मिलता है रोजगार



इस वर्ष खिन्नी की आवक अधिक होने के चलते खिन्नी के भाव कम चल रहे हैं और व्यापारी भी खूब खरीदने के लिए आ रहे हैं। चंदेरी की खिन्नी व्यापारियों द्वारा झांसी, ललितपुर, मुंगावली, अशोकनगर, गुना, इंदौर कानपुर, लखनऊ, ग्वालियर, दिल्ली, कश्मीर, सागर, बीना, भोपाल सहित मध्य प्रदेश के आदि क्षेत्रों में बेचने को ले जाई जाती है। इससे वहां पर विक्रेता को अच्छे दाम मिलते हैं। जहां पर इसे लोग बड़े मांजे के साथ खाते हैं। क्षेत्र में खिन्नी का व्यापार राष्ट्रीय स्तर पर होता है। खिन्नी पूरे देश में चंदेरी मेवा के नाम से मशहूर है। खिन्नी के पेड़ की रखवाली से बेचने तक के व्यवसाय में लगभग पांच हजार लोगों को रोजगार मिला है। क्षेत्र में खिन्नी के पेड़ घर के आंगन, खेत, खलियान और पहाड़ी पथरीली भूमि पर बड़ी संख्या में लगे हुए हैं। हालांकि प्रशासन की उदासीनता के कारण हर साल दर्जनों पेड़ विकास के नाम पर काट दिए जाते हैं।




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बाजार में खिन्नी की बंपर आवक




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गर्मी बढ़ेगी तो आवक बढ़ेगी



खिन्नी व्यापारी और किसान ने बताया रोजाना इस बार 1,00,159  डालिया यानी गुट‍्टों की आवक हो रही है। गर्मी पड़ने पर आवक दोगुनी हो जाती है। खिन्नी का सही दाम ना मिलने पर इसे सुखा लिया जाता है। बरसात के मौसम में सूखी खिन्नी का स्वाद किसमिस जैसा होता है। यहां सुखी खिन्नी का भी व्यवसाय होता है।



100 साल से अधिक पुराने पेड़



चंदेरी के पथरीला क्षेत्र और यहां का मौसम खिन्नी के लिए अनुकूल रहने के कारण यहां पर खिन्नी के पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। कई पेड़ 100 साल से भी अधिक पुराने हैं। खिन्नी के पेड़ पर 20 साल बाद फल आना शुरू होता है। यह पेड़ चंदेरी और आसपास के 10 किमी क्षेत्र में ही होते हैं।


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