Katni. कटनी के जिला अस्पताल में हुए अग्निकांड मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। एक माह पहले ही शुरू हुए 150 बिस्तरों वाले अस्पताल में फायरसेफ्टी के उपकरण नहीं थे। वहीं फायर एनओसी भी नहीं ली गई थी। भवन निर्माण और इलेक्ट्रिफिकेशन के अलग-अलग ठेके हुए थे और बिना टेस्टिंग के ही इसे हैंडओवर कर दिया गया था। मामला सरकारी अस्पताल का था इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने भी निरीक्षण करना मुनासिब नहीं समझा। बताया जा रहा है कि अस्पताल में आग एयर प्यूरीफायर से लगी थी। कलेक्टर ने मामले में जांच के लिए 6 सदस्यीय टीम का गठन किया है। उधर मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए कलेक्टर और संबंधित अधिकारियों से हादसे पर जवाब तलब किया है।
दरअसल नई बिल्डिंग समेत पूरे अस्पताल में इस बात के सूचना बोर्ड नदारद पाए गए कि यदि अस्पताल में आग लग जाए या कोई आपात स्थिति बने तो उसे कैसे नियंत्रित करना है। मेन गेट के अलावा भी आप कैसे सुरक्षित बाहर निकल सकते हैं, इस बारे में भी कोई जानकारी देने वाले सूचना पटल नदारद पाए गए। जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में भी यही हाल हैं। यहां भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। वार्डों में सिर्फ छोटे-छोटे अग्निशमन यंत्र रखे पाए गए।
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पुराने भवन में भी सुरक्षा की अनदेखी की जा रही है। पुरानी बिल्डिंग में भी फायरसेफ्टी के इंतजाम नहीं पाए गए। पड़ताल में पाया गया कि नई बिल्डिंग में मरीजों और परिजनों के आने जाने के लिए सिर्फ एक ही गेट का उपयोग किया जाता है। साइड से एक गेट भी बना है लेकिन वह अधिकांश समय बंद रहता है।
एसडीएम की अगुवाई में जांच कमेटी करेगी पड़ताल
इधर अग्निकांड के बाद कलेक्टर अवि प्रसाद ने 6 सदस्यीय टीम का गठन किया है। टीम में एसडीएम प्रिया चंद्रावत, अधीक्षण यंत्री अयूब खान, कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी हरि सिंह, सीएमएचओ डॉ प्रदीप मुढ़िया, एसडीओ पीडब्ल्यूडी बीके गौतम और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सब इंजीनियर राजेश डोंगरे शामिल हैं। टीम अग्निकांड की जांच कर रिपोर्ट शासन को पेश करेगी।