BHOPAL. डायरेक्टर राजकुमार संतोषी की फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' रिलीज होने वाली है। इसकी भिड़ंत रिपब्लिक डे पर फिल्म 'पठान' से होगी। संतोषी ने कहा कि मुझे डर था कि सीबीएफसी (सेंसर बोर्ड) इस फिल्म को पास नहीं करेगी। हालांकि, सीबीएफसी ने फिल्म देखने के बाद इसमें एक शब्द का भी बदलाव नहीं किया है। वहीं मध्यप्रदेश में फिल्म को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद कांग्रेस खुलकर विरोध में उतर गई है। राजधानी में किसी भी सूरत में टॉकीजों में फिल्म को रिलीज नहीं होने की बात कांग्रेसी कह रहे हैं। इसके चलते भोपाल में फिल्म के डायरेक्टर राजकुमार संतोषी का पुतला फूंका।
फिल्म में मुस्लिम समाज और गांधीजी के बारे में आपत्तिजनक दृश्य दिखाए गए
फिल्म को भोपाल में किसी भी टॉकीज में रिलीज नहीं होने देने कांग्रेस ने फिल्म को भोपाल में किसी भी टॉकीज में रिलीज नहीं होने देने की चेतावनी भी दी है। अनुसूचित जाति विभाग कांग्रेस ने एमपी नगर में डायरेक्टर संतोषी और शिवम त्रिवेदी के पुतले फूंके। इस फिल्म में मुस्लिम समाज और गांधीजी के बारे में आपत्तिजनक दृश्य व संवाद दिखाए गए हैं। फिल्म में मनगढ़ंत बातें भी बताई गई हैं। ये फिल्म देश को बांटने का काम करेगी। हम यह फिल्म भोपाल में किसी भी टॉकीज में लगने नहीं देंगे।
दोस्त असगर वजाहत के प्ले 'गोडसे@ गांधी डॉट कॉम' से आया विचार
फिल्म की कहानी भारत को मिली आजादी के इर्द-गिर्द घूमती है। मेकर्स ने इस फिल्म के जरिए नाथूराम गोडसे का पक्ष भी रखने की कोशिश की है। संतोषी ने कहा कि इस फिल्म का विचार हमारे दोस्त असगर वजाहत के प्ले 'गोडसे@ गांधी डॉट कॉम' से आया। हालांकि वो प्ले बहुत ज्यादा स्टेज पर नहीं हुआ। मुझे व्यक्तिगत लगा कि गोडसे का पक्ष पूरी तरह लोगों के सामने नहीं आ पाया है। गोडसे को फांसी दी गई, पर गोडसे को गांधी जी की हत्या का कदम उठाने पर क्यों मजबूर होना पड़ा?
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गोडसे के कोर्ट में दिए तर्क किए फिल्म में उपयोग
संतोषी ने कहा कि असगर वजाहत के प्ले के साथ-साथ गोडसे के जो तर्क कोर्ट में थे, वो भी हमने फिल्म में उपयोग किए हैं। गोडसे के वैसे सारे बयान, जो कोर्ट में रिकॉर्ड हुए हैं। बंटवारे के लिए कौन-कौन जिम्मेदार थे, उस पर गांधी जी की दलील और सफाई लोगों को फिल्म में देखने को मिलेगी।
सदा चिन्मय मंडलेकर ने किया है गोडसे का रोल
राजकुमार संतोषी ने कहा, 'मैंने फिल्म में किसी का पक्ष नहीं लिया है। मैंने सच को रखा है। गोडसे के रोल के लिए मेरी पहली पसंद सदा चिन्मय मंडलेकर रहे। मुझे मराठी एक्टर ही चाहिए था, जिससे गोडसे के एक्सेंट में मराठी टच रहे। विष्णु करकरे के किरदार के लिए भी हमने मराठी एक्टर को ही लिया। इसके अलावा गांधी जी के लिए गुजराती एक्टर दीपक अंतानी को कास्ट किया है।
आमोद राय ने जेलर के रोल के लिए 20 किलो वजन बढ़ाया
फिल्म में बिहार को भोपाल के पास स्थित पंचमढ़ी में रीक्रिएट किया गया है। इस फिल्म में असगर वजाहत के प्ले के अलावा गांधी जी के द्वारा लिखी गई किताबों से भी गांधी जी के तर्क तैयार हुए हैं। गोडसे के कोर्ट में बयानों पर जो किताब 'ह्वाए आई किल्ड गांधी' है, वो भी तथ्य के तौर पर फिल्म में लिए गए हैं। गोडसे को तो वैसे अंबाला जेल में रखा गया था, पर वो भोपाल के जेल में रीक्रिएट की गई। वहां जेल प्रवास वाले सीक्वेंस को 12 से 15 दिनों में शूट किया गया। इसमें मैं जेलर आमोद राय के रोल में हूं। उसके लिए मैंने तकरीबन 20 किलो वजन बढ़ाया और अपनी मूंछें भी बढ़ाईं।