भोपाल. यहां के भरुआ गांव में रहने वाली एक नाबालिग बच्ची को धार में पीथमपुर में बेचने की खबर सामने आई है। नाबालिग ने बताया कि उसे 1 लाख 70 हजार में बेचा गया था। बच्ची ने बड़ी बहादूरी से खूद को बचाया और सही मौका मिलने पर वहां से भाग आई। पीथमपुर में 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है।
मां की मौत के बाद से झेल रही हिंसा
15 साल की बच्ची की मां के गुजर जाने के बाद से ही स्थिति खराब हो गई थी। पिता शराब पीकर आते और उसके साथ मारपीट करते थे। इसके कारण बच्ची घर छोड़ कर पीथमपुर चली गई थी। वहां रास्ते में इधर-उधर घूमते वक्त उसे गांव का एक युवक आशीष मिल गया, जिसे वह पहले से जानती थी।
आशीष उसे अपनी मौसी राधा बाई के घर ले आया। जहां पर करीब डेढ़ महीने तक आशीष की मौसी ने उसे रखा और कुछ दिन बाद नेमीचंद्र नाम के व्यक्ति के साथ भेज दिया। नाबालिग ने बताया कि मौसी ने नेमीचंद्र पर उसे साथ लेकर जाने का दबाव बनाया था। इसके बाद वह नाबालिग को नालछा के रहने वाले कृष्णा के घर ले जाकर छोड़ आया।
बच्ची ने खुद को बहादुरी से बचाया
नाबालिग ने बताया कि कृष्णा के घर पहुंचने पर उससे घर का काम करवाया जाता था, उसके मना करने पर उससे मारपीट की जाती थी। इतना ही नहीं नाबालिग को जान से मारने की धमकी भी दी जाती थी।
कृष्णा ने भी कई बार नाबालिग के साथ जबर्दस्ती करने की कोशिश की थी। बच्ची ने हौसला दिखाते हुए उसे डंडा और चाकू दिखाकर अपने-आप को कई बार बचाया। इसके बाद कृष्णा ने उसे धमकाते हुए कहा कि नेमीचंद्र से उसे 1 लाख 70 हजार रुपए में खरीदने की बात कबूली।
हौसला दिखाया और चंगुल से भाग निकली
इस प्रताड़ना से परेशान होकर बच्ची ने वहां से निकलने का फैसला किया और 14 अगस्त की देर रात खिड़की कूदकर भाग निकली। इसके बाद वह गांव पहुंची और अपने परिजन को पूरा घटनाक्रम बताया। इसके बाद पुलिस ने अपहरण, मानव तस्करी और पॉक्सो (POCSO) एक्ट में 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।