भोपाल में आयुर्वेदिक रामबाण इलाज का दावा कर बुजुर्गों से ठगे 42 लाख, घूम-घूमकर दर्द से पीड़ित बुजुर्गों को बनाते थे शिकार

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Rajeev Upadhyay
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भोपाल में आयुर्वेदिक रामबाण इलाज का दावा कर बुजुर्गों से ठगे 42 लाख, घूम-घूमकर दर्द से पीड़ित बुजुर्गों को बनाते थे शिकार

Bhopal. भोपाल क्राइम ब्रांच ने राजस्थान जाकर एक ऐसे गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया है जो घुटनों के दर्द से पीड़ित बुजुर्गों को दर्द से निजात दिलाने का झांसा देते थे। गिरोह के सदस्य आयुर्वेदिक थैरेपी के नाम पर बुजुर्गों के घुटनों में निडिल के जरिए चीरा लगाते और मुंह से मवाद खींचने का ढोंग करते थे। इस गिरोह ने एसबीआई बैंक के पूर्व मैनेजर और एक अन्य शख्स को यही झांसा देकर दोनों से 21-21 लाख रुपए ठग लिए। शिकायत पर पुलिस ने इस गिरोह के 4 सदस्यों को राजस्थान जाकर गिरफ्तार किया है। 



पुराना है फंडा पर हाईटेक ढंग से की ठगी



मध्यप्रदेश में अनेक शहरों में इस तरह की थैरेपी देकर यह गिरोह पहले कुछ हजार रुपए ही ठगता था, लेकिन भोपाल में तो इन्होंने हद ही कर दी। दो बुजुर्ग पीड़ितों की इन्होंने सैकड़ों बार थैरेपी की और लाखों रुपए अपने खातों में जमा करवा लिए। जब पीड़ित लोगों को ठगी होने का अंदेशा हुआ तो उन्होंने पुलिस में शिकायत की जिसके बाद इस गिरोह का भंडाफोड़ हो गया। हालांकि पुलिस का मानना है कि अभी इस गिरोह में कई लोग शामिल हो सकते हैं। 




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    पीड़ितों ने अपनी शिकायत में बताया था कि गिरोह की सदस्यों की बोलचाल राजस्थानी लग रही थी। जिसके बाद भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम ने जोधपुर में डेरा डाला और वहां से सावरलाल जाट नाम के शख्स को दबोचा। बाद में उसकी निशानदेही पर कोटा से मोहम्मद इमरान, मोहम्मद जमीर, मोहम्मद जावेद को भी धर दबोचा। 



    डेरा बनाकर रहता है पूरा कुनबा




    पुलिस ने बताया कि यह गिरोह राजस्थान में पूरा का पूरा डेरा बनाकर रहता है। घुमंतू जाति के ये लोग किसी भी अज्ञात शख्स के डेरे के पास आने पर सचेत हो जाते थे। जिस कारण पूरे गिरोह की गिरफ्तारी नहीं हो पाई। पुलिस का यह भी मानना है कि गिरोह का खुलासा हो जाने के बाद इनसे पीड़ित और भी लोग सामने आ सकते हैं। तब जाकर पता चलेगा कि इन्होंने कितने लोगों को इस प्रकार ठगा है। 



    थैरेपी के बाद मिल जाता है थोड़ा आराम




    पीड़ितो का कहना है कि इस गिरोह की थैरेपी लेने के बाद एक दो दिन दर्द से आराम मिल जाता था। इसलिए वे बार-बार यह थैरेपी कराने गिरोह के सदस्यों से संपर्क करते थे। जब गिरोह ने यह देख लिया कि शिकार जाल में पूरी तरह उलझ गया है तो इन्होंने थैरेपी के बदले हजारों रुपए लेना शुरू कर दिया था। 




     


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