अविनाश तिवारी, REWA. रीवा में राष्ट्रीय राजमार्ग-30 के निर्माण में किए गए व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार की एक बानगी मनगवां सोहागी मार्ग की देखी जा सकती है। विभागीय अधिकारी एवं निर्माण एजेंसी की मिलीभगत से न केवल सड़क का घटिया निर्माण किया गया है बल्कि उसकी डिजाइन भी बदल डाली। 15 दिन पहले हुए भीषण सोहागी बस हादसे के बाद की गई जांच के नाम पर रिपोर्ट पेश कर बंसल कम्पनी को क्लीन चिट तक दे दी गई है।
निर्माण के नाम पर लीपापोती
गौरतलब है कि मनगवां से सोहागी तक बनाई गई राजमार्ग की सड़क में किए गए घटिया निर्माण कार्य से आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। करोड़ों की लागत से बनने वाली फोरलेन सड़क में निर्माण एजेंसी बंसल कम्पनी एवं एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने जमकर लीपापोती की है। आए दिन हो रहे सड़क हादसे एवं जगह-जगह बनने वाले गड्ढे गुणवत्ताहीन सड़क की कहानी बयां कर रही हैं।
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निर्माण एजेंसी को क्लीन चिट
21 अक्टूबर को सोहागी पहाड़ में हैदराबाद से गोरखपुर जा रही बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। जिसमें 15 से ज्यादा लोग मौत के आगोश में समा गए थे। सड़क हादसे के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग की गुणवत्ता पर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने निर्माण एजेंसी के घटिया निर्माण एवं डिजाइन बदलने की जांच का आवेदन दिया था। जांच के बाद जो रिपोर्ट पेश की गई है उसमें जांच अधिकारियों ने निर्माण एजेंसी को क्लीन चिट दिला दी है।
मेड़ बंधान जैसी बन गई आकृति
मनगवां से सोहागी राष्ट्रीय राजमार्ग की निर्माण एजेंसी द्वारा बनाई गई सड़क की गुणवत्ता दबी हुई सड़क एवं मेड़ बंधाननुमा आकृति से लगाई जा सकती है। हालांकि निर्माण एजेंसी दिखावे के लिए गाहे-बगाहे मेंटेनेंस कार्य में लगी रहती हैं। सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि सोहागी पहाड़ में जिस तरह से सड़क में गड्ढे एवं मेड़ बंधान जैसी आकृति बन गई है वो डामर पोतने से ठीक नहीं हो पाएगी। जानकारों का मानना है कि अक्सर जो पहाड़ में सड़क हादसे हो रहे हैं। उसकी मुख्य वजह धंसी हुई सड़क और उनमें मेड़ जैसी बनी हुई आकृति है। वाहन के पहिए जब उसमें जाते हैं तो अनियंत्रित होकर पलट जाते हैं।
मौके पर माना घटिया निर्माण
सड़क हादसे के बाद 28 अक्टूबर को मौके पर जांच करने आए एमपीआरडीसी के सहायक प्रबंधक हेमंत सिंह गौतम ने यह स्वीकार किया था कि रोड का निर्माण गुणवत्ताहीन है। सड़क में जगह-जगह गड्ढे और अन्य सूचना से संबंधित नोटिस बोर्ड पर गलतियां स्वीकार करते हुए उन्हें सुधारे जाने का उल्लेख मौका पंचनामा में किया गया था। ताज्जुब की बात ये है कि जब अंतिम जांच रिपोर्ट सड़क परिवहन मंत्रालय को सौंपी गई उसमें डिविजन मैनेजर एमके जैन ने ऐसी कोई बात का उल्लेख जांच प्रतिवेदन में नहीं किया। डिजाइन गुणवत्ता के विषय में सिर्फ संभावनाओं के आधार पर क्लीन चिट दे दी गई।
वाहन चालकों को ठहराया हादसे का जिम्मेदार
सोहागी पहाड़ में होने वाले सड़क हादसे में जो रिपोर्ट यातायात पुलिस सौंपी गई है। उसमें न तो निर्माण एजेंसी एवं एमपीआरडीसी के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया गया बल्कि सड़क में चलने वाले वाहन चालकों को इसका जिम्मेदार बताया गया है। ताज्जुब की बात ये है कि जब वहां पर किसी भी तरह के सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए हैं। ऐसी स्थिति में वाहन चालकों को दुर्घटना का जिम्मेदार ठहराना कितना सही है। बहरहाल पुलिस ने इस पूरे मामले में वाहन चालकों को जिम्मेदार ठहराते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है। हालांकि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच के लिए एक बार फिर से सामाजिक कार्यकर्ता ने पत्राचार शुरू कर दिया है।