BHOPAL. आपने अंधविश्वास के बारे में तो कई कहानियां सुनी होगी। लेकिन राजनीति में अंधविश्वास के कई किस्से मशहूर हैं। यूपी में तो नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी जाना तय माना जाता था, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इस मिथक को तोड़ दिया था। ऐसा ही एक मिथक मध्यप्रदेश में भी है, लेकिन एमपी के सीएम इस मिथक को तोड़ नहीं पाए उलटे इसके शिकार हो गए हैं।
जानिए क्या है मिथक
इछावर नगर का मिथक एक बार फिर बरकरार होता नजर आया है। नसरुल्लागंज के पिपलानी आए सीएम शिवराज सिंह चौहान का हेलीकाप्टर खराब मौसम की वजह से उड़ान नहीं भर सका, नतीजतन सीएम शिवराज सिंह चौहान को सड़क मार्ग से इछावर होते हुए राजधानी भोपाल जाना पड़ा। इछावर में विधायक करण सिंह वर्मा के बेटे विष्णु वर्मा सहित अनेक बीजेपी नेता सीएम का स्वागत करने के लिए सड़क पर खड़े रहे। इतने लोगों को सड़क पर खड़ा देख सीएम का काफिला रुका तो सही लेकन सीएम ने जमीन पर पैर नहीं रखा। कार में बैठे-बैठे ही सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपना स्वागत करा लिया।
18 साल में कभी इछावर नहीं गए शिवराज
आपको बता दें कि राजधानी भोपाल के नजदीकी जिले सीहोर की इछावर विधानसभा के बारे में कहा जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री इछावर नगर में आता है उसके बाद उसे अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा है। ऐसा ही वाक्या दो-तीन मुख्यमंत्रियों के साथ घटित हो चुका है। यही कारण है कि अपने 18 साल के लंबे कार्यकाल के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इछावर नगर नहीं आए।
दिग्विजय ने किया था मिथक तोड़ने का प्रयास
इछावर के इस मिथक को तोड़ने का प्रयास तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किया था। साल 2003 में 15 नवंबर को आयोजित सहकरी सम्मेलन में शामिल होने इछावर आए थे। इस दौरान पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मंच से ही संबोधित करते हुए कहा कि था कि मैं मुख्यमंत्री के रूप में इछावर के इस मिथक को तोड़ने आया हूं। उनकी यात्रा के बाद वे मुख्यमंत्री नहीं रहे। साल 2003 में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा और प्रदेश की सत्ता में बीजेपी की सरकार काबिज हो गई। इसी तरह पूर्व सीएम उमा भारती और वीरेन्द्र कुमार सकलेचा को भी इछावर आने पर अपनी कुर्सी गंवाना पड़ी थी।
इसलिए है इछावर को लेकर मिथक
इछावर के लोगों के अनुसार इछावर का इतिहास बहुत पुराना है। इछावर का नाम पहले लक्ष्मीपुर हुआ करता था, इछावर नगर के चारों कोनों पर चार श्मशान, चार बावड़ी, चार मजारे, चार गेट अलग-अलग नामों से हुआ करते थे। समय के साथ यह स्मृति खत्म हो गई। कालखंड में गोंड राजा की बस्ती हुआ करती थी, उनका बुर्ज भी था। उनकी मीनारें भी थी। ये सत्य है कि यहां आने के बाद सीएम पद पर नहीं रह सकते हालांकि ऐसा क्यों है इस बात की जानकारी नहीं है।