JHABUA. झाबुआ में शिवगंगा संस्था द्वारा आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय हलमा कार्यक्रम में 26 फरवरी, रविवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान पहुंचे। जब सीएम यहां गोपालपुरा हवाई पट्टी पर पहुंचे तो उनके कंधे पर गेती रखी थी। इस समय यहां पार्टी के कार्यकर्ता भी सीएम का स्वागत करने के लिए मौजूद थे। इन्होंने सीएम का फूल मालाओं, बुके आदि से स्वागत किया। इससे पहले राज्यपाल मंगूभाई पटेल लिए कार्यक्रम में नजर आए थे।
हाथीपावा की पहाड़ी पर राज्यपाल ने किया श्रमदान
हलमा कार्यक्रम में राज्यपाल मंगूभाई पटेल शामिल हुए। उन्होंने कंधे पर गेती उठाई थी और आदिवासियों के साथ पैदल चले थे। आयोजन की कड़ी में रविवार को हाथीपावा की पहाड़ी पर राज्यपाल ने श्रमदान भी किया। कार्यक्रम में आयोजन में दूर-दूर से आदिवासी पहुंचे। आदिवासियों ने अनुशासन का परिचय देते हुए छोटे स्थान पर एक कतार में यात्रा निकाली।
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क्यों प्रसिद्ध है हाथीपावा?
कार्यक्रम से पहले हाथीपावा पर शासन ने यहां एक हेलीपेड बनाया है। यहां झूले-चकरी और शेड लगाया गया है। इसके पास ही सनसेट पाइंट भी है। आपको बता दें, हाथीपावा के बड़े क्षेत्र को हरा करने के लिए अभियान की शुरुआत पूर्व एसपी महेशचंद्र जैन ने की थी। लोगों और संगठनों को साथ लेकर पौधे लगाए थे।
क्या है हलमा परम्परा?
हलमा जनजाति-समाज में एक सामूहिक आयोजन को कहा जाता है। जब भी किसी परिवार या गांव क्षेत्र में कोई आपत्ति आती है या व्यक्ति को या गांव क्षेत्र को सहायता की आवश्यकता होती है। तो पूरे के पूरे गांव के लोग एक जगह एकत्र होकर उसकी सहायता करते हैं। जैसे कि किसी गांव में तालाब बनाना है, कुंआ खोदना है या फिर किसी किसान के पास खेत जोतने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। ऐसे में पूरे गांव के लोग एकत्र होकर एक साथ मिलकर उस काम को पूरा करने के लिए जुटते हैं। कई दिनों, महीनों के काम को कुछ ही समय में पूरा कर देते हैं। उसके बदले में कोई पारिश्रमिक नहीं लिया जाता। खुशी से व्यक्ति उन एकत्रित लोगों को नाश्ता या भोजन अपनी इच्छा शक्ति से करवा देता है। इस सामूहिक प्रयास को ही हलमा कहा जाता है।
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