सीएम शिवराज सिंह चौहान ने फिर खेला अवैध कॉलोनियों को वैध करने का चुनावी दांव, 25 लाख लोगों पर पड़ेगा सीधा असर

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Shivasheesh Tiwari
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सीएम शिवराज सिंह चौहान ने फिर खेला अवैध कॉलोनियों को वैध करने का चुनावी दांव, 25 लाख लोगों पर पड़ेगा सीधा असर

अरुण तिवारी, BHOPAL. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर बड़ा चुनावी दांव खेला है। इस दांव से बीजेपी अगले विधानसभा चुनाव में पौं बारह करने की तैयारी कर रही है। सरकार के इस फैसले का सीधा असर सूबे की सात हजार कॉलोनी के 25 लाख लोगों पर पड़ेगा। सरकार ने लोगों से अवैध कॉलोनियों को वैध करने का वादा किया है। इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी है। पिछले विधानसभा चुनाव के पहले भी सरकार ने इस तरह का वादा किया था लेकिन निभाया नहीं।



मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की इस घोषणा ने एक बार फिर अवैध कॉलोनी में रहने वाले लोगों के मन में उम्मीद जगा दी है कि उनकी कॉलोनी भी अब वैध होगी। उनको वो तमाम बुनियादी सुविधाएं मिलेंगी जिन पर उनका हक है। लेकिन ये सब इतना आसान नहीं है। ये मामला इतना पेचीदा है कि पहले हुई घोषणा के बाद भी इस पर अमल नहीं हो पाया। इसके पीछे का बड़ा कारण है कि अवैध को वैध करने का कोई नियम ही नहीं है। जनवरी 2022 में विधानसभा में पास हुए विधेयक में भी अवैध कॉलोनियों को अनाधिकृत माना गया है और इन अनाधिकृत कॉलोनियों में हुए निर्माण को वैध करने के लिए नियम बनाए गए हैं। नियमानुसार कार्रवाई हो भी गई तो निर्माण वैध होगा न कि कॉलोनी। सरकार अब नियमों के सरलीकरण की बात करने लगी है। 



भोपाल में 24 साल में तीन गुना बढ़ी अवैध कॉलोनियां



राजधानी भोपाल में 1998 में जिन 209 अवैध कॉलोनियों को चिन्हित किया गया था। 2022 में भी सिर्फ उन्हीं कॉलोनियों में बिल्डिंग परमीशन दी जा रही है। जबकि अवैध कॉलोनियों की संख्या तीन गुनी हो गई है। नगर निगम के अधिकारियों के मुताबिक भोपाल में अवैध कॉलोनियों की संख्या 593 है। लेकिन सरकार इन कॉलोनियों को वैध तो छोड़िए अनाधिकृत कॉलोनी भी नहीं मानती। इनमें से सिर्फ 209 कॉलोनियों के ले आउट ही नगर निगम के पास हैं। यहीं वजह हैं कि इन्हीं अवैध कॉलोनियों में बमुश्किल बिल्डिंग परमीशन जारी हो पाती है। बाकि बची 400 कॉलोनियों का रिकॉर्ड नगर निगम के पास ही नहीं है।



2016 में हुआ था सर्वे



1998 के बाद 2016 में सर्वे किया गया था। इस सर्वे के मुताबिक भोपाल में अवैध कॉलोनियों की संख्या 209 से बढ़कर 320 हो गई थी। यानी 111 अवैध कॉलोनियां बढ़ गई और जिम्मेदार सोते रहे। इतना ही नहीं 2022 खत्म होने को है। यानी 6 साल में नगर निगम इन कॉलोनियों के ले आउट तक जमा नहीं कर सकी। यहीं वजह हैं कि ये 111 कॉलोनियां अनाधिकृत की श्रेणी में भी नहीं है। इन कॉलोनियों में किसी भी हाल में बिल्डिंग परमीशन जारी ही नहीं की जा सकती।



कानून बनने के बाद सर्वे में सामने आई 250 कॉलोनियां



जनवरी 2022 में बने कानून के मुताबिक अवैध कॉलोनी काटने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी है। जिला प्रशासन की देखरेख में कॉलोनी का डेवलमेंट होना है। प्रक्रिया शुरु हुई तो अकेले भोपाल में ही 250 से ज्यादा नई अवैध कॉलोनियां की जानकारी सामने आई। जिन्हें बनाने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।



अवैध कॉलोनियों में ऐसे मिलती ही बिल्डिंग परमीशन



नगर निगम सिर्फ उन्हीं अवैध कॉलोनियों में बिल्डिंग परमीशन जारी करता हैं जिन्हें चिन्हित किया गया है। यानी भोपाल की सिर्फ 209 चिन्हित अवैध कॉलोनियों में ही परमीशन जारी होती है। इसके लिए नजूल एनओसी, वार्ड एनओसी, रजिस्ट्री की कॉपी, कॉलोनी का लेआउट, प्लॉट या निर्माण की फोटो के साथ आर्किटेक्ट के जरिए आवेदन करना होता है।    



ये है नियमों की पेचीदगी



एक तरफ नगरीय प्रशासन के अधिकारी कह रहे हैं कि बिल्डिंग परमीशन लेने के लिए नजूल की एनओसी लेना जरूरी नहीं है। लेकिन बिल्डिंग परमीशन के अधिकारी इस बात को नहीं मानते। अनाधिकृत कॉलोनी में बिल्डिंग परमीशन लेने के लिए नजूल एनओसी लगानी ही पड़ती है। हालांकि कैमरे के सामने सिटी प्लानर भी नजूल एनओसी के बिना बिल्डिंग परमीशन देने की बात कहते हैं, लेकिन हकीकत ये हैं कि नजूल की एनओसी के बिना आर्किटेक्ट आवेदन ही नहीं लेता। 

दूसरी तरफ सरकार ने ही कंपाउंडिंग की लिमिट 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दी है। जिसका खमियाजा सबसे ज्यादा अवैध कॉलोनी के रहवासियों को उठाना पड़ रहा है। सालों पुरानी इन कॉलोनियों में निर्माण तो हो चुके हैं। अब यहां रहने वाले लोग निर्माण को वैध कराने के लिए बिल्डिंग परमीशन लेना चाहते हैं। लेकिन कंपाउंडिंग की लिमिट कम होने की वजह से ऐसा संभव ही नहीं है।



इंदौर में तीसरी बार हो रही है प्रक्रिया



नगर निगम अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया तीसरी बार कर रहा है। पहली प्रक्रिया कोविड काल के दौरान की जा रही थी, इसमें नोटिफिकेशन जारी कर दावे-आपत्ति बुलाने शुरू किए गए लेकिन इसी दौरान हाईकोर्ट ने शासन द्वारा इस संबंध में जारी नियम के एक बिंदु को खारिज कर दिया, इसके बाद पूरी प्रक्रिया खत्म हो गई। फिर नगर निगम ने इस नियम में बदलाव के बाद नगर निगम चुनाव के पहले 2022 की शुरूआत में फिर यह प्रक्रिया की लेकिन आचार संहिता लगने के बाद यह फिर रूक गई। आखिर में एक सितंबर 2022 को नगर निगम ने 196 कॉलोनियों को चिन्हित कर इनके अवैध से वैध करने की प्रक्रिया की सूचना जारी की और दावे-आपत्ति बुलाए। लेकिन अब मामला इन कॉलोनियों में आ रही जमीन की नजूल एनओसी लेने को लेकर अटका हुआ है। 



400 से ज्यादा अवैध कॉलोनी



इंदौर में 400 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां है, जिसमें से पहले चरण में 196 कॉलोनियों को वैध करने के लिए चुना गया है। नगर निगम के एमआईसी सदस्य राजेश उदावत का कहना है कि अब अवैध से वैध करने में कोई समस्या नहीं है, नजूल एनओसी के कारण थोड़ा मामला अटका हुआ है, जिसे लेकर प्रशासन से मुलाकात हो चुकी है। यह होते ही बाकी ले आउट और कितना शुल्क लेना है, यह सभी तय कर एक-दो माह में प्रक्रिया कर ली जाएगी। नियमों के तहत सरकारी जमीन और ग्रीन बेल्ट की जमीन पर कॉलोनी नहीं हो सकती है। इसे वैध भी नहीं किया जा सकता है, अधिकांश कॉलोनी इसी तरह से अवैध बसी है, यानि एक बडा हिस्सा वैध हो ही नहीं सकता। 



सबसे ज्यादा अवैध कॉलोनी वाले जिले




  • भोपाल — 600


  • इंदौर — 400

  • सागर — 359

  • शिवपुरी — 182

  • उज्जैन — 165

  • रतलाम — 157

  • देवास — 140

  • अशोक नगर — 105



  • एक दशक में कैसे बस गईं अवैध कॉलोनियां




    • 10 सालों में 30 जिलों में 226 कॉलोनाइजर पर एफआईआर दर्ज की गई हैं। इन जिलों में अभी 3610 अवैध कॉलोनी दर्ज हैं।


  • 10 सालों में इंदौर में 40, जबकि भोपाल में 45 कॉलोनाइजर पर एफआईआर हुई।

  • सबसे कम धार में 1 व खंडवा में 3 हुई हैं।

  • धार जैसे जिले में 52 कॉलोनियां हैं पर एफआईआर एक पर की गई है।

  • दतिया में तो कोई भी रजिस्टर्ड कॉलोनाइजर नहीं है, 32 अवैध कॉलोनी हैं। 10 सालों में 10 पर एफआईआर की है।

  • इंदौर-भोपाल के बाद सबसे ज्यादा 359 अवैध कॉलोनी सागर जिले में हैं। एफआईआर 5 पर हुई।

     


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