हरीश दिवेकर, BHOPAL. इंदौर के सरकारी लॉ कॉलेज से जेएनयू की तुलना करके धार्मिक कट्टरवाद फैलाने का आरोप लगने के बाद प्राचार्य ने अपना इस्तीफा दे दिया है। पूरा विवाद एक किताब को लेकर हैं, जिसमें लिखा है कि विश्व हिंदू परिषद जैसे हिंदू संगठन बहुमत का राज्य स्थापित करना चाहते हैं। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा एमपी में पूरी हुई, अब राजस्थान में एंट्री करेगी। उधर, मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के मंदिरों में मोबाइल किए बैन। आईपीएल में 12 प्लेयर खेल सकेंगे, लेकिन विकेट 10 ही गिराए जा सकेंगे। देश और दुनिया में खबरें तो और भी हैं। आप तो सीधे नीचे उतरकर राजनीतिक और अफसरशाही के रोचक किस्सों में गोते लगाइए।
डरा रही है मामा के चॉपर की आवाज
मामा का धुआंधार दौरा और चॉपर की आवाज अब मैदानी अधिकारियों को डरा रही है। कारण कि मामा समझ चुके हैं कि जनता की वाहवाही लूटना है जनता के बीच जाकर मैदानी अधिकारियों को सस्पेंड कर दो तो ताली बजने लगती हैं। इसलिए मामा चॉपर लेकर निकल पड़े हैं। जनता भी खुश रहे और मैदानी अमले में गलत संदेश न जाए, इसलिए कुछ अधिकारी-कर्मचारियों को फूल माला देकर सम्मानित करने का फॉर्मूला भी लगाया जा रहा है। यानी बैलेंस बनाकर चॉपर से चौंकाया जा रहा है। ये अंदर की बात है कि क्या मामा का वाकई औचक निरीक्षण है या फिर पहले से बनाई गई स्क्रिप्ट पर काम हो रहा है। आपको बता दें 17 साल पहले भी मामा ने नायक फिल्म की स्टाइल में जनदर्शन और औचक निरीक्षण करके धूम मचाई थी। बायरोड कार से दौरा कर औचक निरीक्षण करते थे, रात को अफसरों के साथ किसी तहसील में चर्चा। शिकायत गंभीर होने पर एक्शन भी लेते थे। उस दौर में मामा को जमकर वाहवाही मिली थी। फर्क सिर्फ इतना है पहले सड़क से दौरे होते थे अब हवा में उड़ान भरकर हो रहे हैं।
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कॉमन सिविल कोड पर सहमे चार पत्नी वाले मंत्री
मुख्यमंत्री चाहते हैं कि आदिवासी महिलाओं का शोषण रुके इसलिए, एक से ज्यादा शादी वाली प्रथा को रोकने के लिए हाल ही में एक सभा में उन्होंने कॉमन सिविल कोड लागू करने का ऐलान किया। मुख्यमंत्री बोले एक कमेटी बना रहा हूं जो एक व्यक्ति एक शादी के नियम बनाएगी। सौभाग्य कहें या दुर्भाग्य जिस समय सीएम अपने दिल की बात बोल रहे थे उस समय एक मंत्री भी वहां मौजूद थे, जिन्होंने चार शादियां की हैं। सीएम के मुंह से कॉमन सिविल कोड का नाम सुनकर मंत्री सहम गए। मंत्री को डर था कि कहीं कोई सभा में चिल्ला कर ये न कह दे कि सीएम साहब आप एक व्यक्ति एक शादी की पैरवी कर रहे हो और मंच पर बैठे मंत्री ने तो चार-चार शादियां की हैं लेकिन कहते हैं ना भले व्यक्ति के साथ कोई बुरा नहीं करता, इसलिए मंत्री के मन का डर सच नहीं हुआ। कार्यक्रम के बाद जरुर मंत्री के चाहने वाले उनके चुनावी हलफनामें को वायरल करके सीएम से सवाल पूछ रहे हैं।
साले साहब को विधायक बनना है
जीजाजी की सालों तक सफल पारी को देखते हुए साले साहब भी विधायक बनने के लिए भारी बैचेन है। पहले जीजा के माध्यम से पार्टी में एंट्री मारने का भरपूर प्रयास किया, सफलता नहीं मिली तो विपक्षी दल का हाथ थाम लिया, चुनाव भी लड़ा। साले साहब की इस हरकत से जीजाजी नाराज हो गए और सबक सिखाने के लिए साले साहब की जमानत जब्त भी करवा दी। अब 4 साल बाद फिर से साले साहब एक्टिव हो गए हैं, हमारे सूत्र बताते हैं जीजा साले के रिश्तों में जमी बर्फ भी पिघल गई है। हालांकि साले साहब विपक्षी पार्टी से ही मैदान में उतरने की तैयारी में है, लेकिन इस बार साले साहब ने चुनावी मैदान जीजाजी के गृह क्षेत्र के पास वाला चुना है, साले साहब को पूरी उम्मीद है कि वहां समाज की मदद तो मिलेगी ही साथ में अंदरखाने में जीजाजी का आर्शीवाद भी।
सीएम के साइन से केन्द्र को भिजवा दिया झूठा पत्र
अफसरशाही कितनी ताकतवर होती है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वो अपने फायदे के लिए मुख्यमंत्री का भी इस्तेमाल करने से नहीं चूकते। ऐसा ही एक मामला पीएचई में सामने आया। यहां के प्रमुख अभियंता ने 10 हजार गांवों में पानी न होने का एक पत्र मुख्यमंत्री के साइन से केन्द्र सरकार को भिजवा दिया। केन्द्र के अफसरों ने ये बात पकड़ ली और मंत्रालय के आला अफसरों से जानकारी तलब की। सीएम की जानकारी में मामला आया तो नाराज हुए, दो दिन बाद प्रमुख अभियंता को हटा भी दिया गया। जानकार कह रहे हैं कि सीएम पानी के नाम पर वोट मांगने की तैयारी में हैं, लेकिन इन साहब ने तो पानी के नाम पर ही चोट कर दी।
चौबे गए थे छब्बेजी बनने दुबेजी बनकर लौटे
ये कहावत बहुत पुरानी है, लेकिन आज भी कई लोगों पर सार्थक बैठती है। अब युवा आईएएस ठाकुर साहब को ही देखिए। संचालनालय में अच्छे खासे पद पर पदस्थ थे, लेकिन ठाकुर साहब को कलेक्टरी का भूत सवार था, तो फिर क्या था अपने ठाकुर नेताओं के यहां गुहार लगाना शुरु कर दी। नेताओं ने भी अपनी बिरादरी के अफसर के लिए पैरवी करने में देरी नहीं लगाई। युवा अफसर की फाइल कलेक्टरी के लिए दौड़ पड़ी। इसी बीच बड़े साहब तक खबर पहुंच गई कि ठाकुर साहब ने तो संचालनालय में बैठकर बड़ा खेला कर दिया। ठेकेदार से बंगला ही बनवा लिया। फिर क्या था जो फाइल ठाकुर को कलेक्टर बनने के लिए चली थी, उसी फाइल में ठाकुर को लूप लाइन में चुनावी लहरें गिनने के लिए भेजने के आदेश हो गए।
पति को बचाने मैडम लगा रही जोर
रिटायर्ड महिला आईएएस अपने संबंधों का फायदा उठाते हुए अपने डॉक्टर पति की जांच को बंद करवाने के लिए जोर लगाए हुए हैं। जांचकर्ता अधिकारी पर भारी दबाव बनाया जा रहा है। मंत्रालय में उच्च पदों पर पदस्थ रिटायर्ड महिला आईएएस के परिचित भी उनकी मदद कर रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉक्टर साहब की कभी श्यामला हिल्स में सीधी एंट्री हुआ करती थी, लेकिन उनके हेर-फेर करने की आदतों के चलते उनकी एंट्री बंद हो गई। इसके बाद भी डॉक्टर साहब का खेल चलता रहा। डॉक्टर साहब अपनी आईएएस पत्नी को ढाल बनाकर अपने काले कारनामे छिपा लेते थे पत्नी के रिटायर होते ही डॉक्टर का रसूख कमजोर पड़ गया है। हालांकि रिटायरमेंट के बाद भी आईएएस पत्नी जोर लगा ही रही हैं, ये तो समय बताएगा कि कितनी सफल हो पाती हैं।
जो दिया है वो तो वसूल हो जाने दीजिए
सड़क वाले महकमे के साहब क्या बदले, विभाग की कार्यप्रणाली भी बदलना शुरु हो गई। विभाग में जूनियर को सीनियर को चार्ज देने वाले खेल को साहब ने पकड़ा तो तर्क दिया गया इंजीनियरों की कमी है, इसलिए ऐसा करना पड़ रहा है। साहब ने कहा ऐसा है तो पहले फिट लिस्ट बनाई जाए, सीनियरिटी से इंजीनियरों को वरिष्ठ पद का चार्ज दें। साहब के इस फरमान से उन जूनियर इंजीनियरों में हड़कंप मच गया जो पूजा भेंट करने के बाद सीनियर पोस्ट के चार्ज में हैं। क्योंकि फिट लिस्ट बनी तो उनका बाहर होना तय है। जूनियर इंजीनियर अब मंत्री के साहब के फरमान को रोकने के लिए चक्कर लगा रहे हैं, उनका कहना है जो दिया है पहले वो तो वसूल हो जाए, नहीं तो गांठ से जाएंगे। सीनियर इंजीनियर को ये साहब सुखवीर नजर आ रहे हैं तो जूनियर को दुखवीर।