BHOPAL. मध्यप्रदेश बीजेपी में पिछले दिनों से चल रही सिर फुटव्वल का मामला दिल्ली दरबार पहुंच गया है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान 7 मई को दिल्ली जा सकते हैं। इस दौरे के पीछे कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवराज शीर्ष नेतृत्व को पिछले दिनों एमपी बीजेपी में घटी घटनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। प्रदेश में घटे ताजा घटनाक्रम से बीजेपी के कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जा रहा है, जिसे लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी चिंतित है। कहा जा रहा है कि सीएम शिवराज दिल्ली में अमित शाह समेत पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकत कर उन्हें रिपोर्ट देंगे।
दीपक जोशी मामले से शीर्ष नेतृत्व खफा
सूत्रों की माने तो जिस तरह से पिछले दिनों दीपक जोशी मामला उठ कर आया और अंतत: पार्टी की सभी कोशिशों को नकारते हुए पूर्व सीएम कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया, उसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई दी। जिसके बाद सीएम शिवराज के मैनेजमेंट पर भी सवाल खड़े हुए हैं। दीपक जोशी ने आज कांग्रेस की सदस्यता लेते समय सीएम शिवराज सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए। दीपक ने कहा कि- कोरोना में उनकी पत्नी को ठीक से इलाज तक नहीं मिल सका था, जिसका कारण सीएम शिवराज सिंह चौहान थे। दीपक ने उनके पिता के सम्मान में की गई कमी को आत्मसम्मान का मुद्दा बनाकर बीजेपी से इस्तीफा दिया। 6 मई को दीपक जोशी अपने पिता कैलाश जोशी की तस्वीर लेकर पीसीसी पहुंचे थे। जहां उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली। इतना ही नहीं दीपक ने शिवराज सिंह को चुनौती देते हुए बुधनी से उनके खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए ताल भी ठोंकी है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व सीएम शिवराज सिंह से विस्तार से चर्चा करना चाहता है इसलिए उन्हें दिल्ली बुलाया गया है।
सत्तन की कविता और भंवर के बयानों ने भी उलझाया
सूत्रों की मानें तो दीपक जोशी के साथ ही इंदौर के बड़े बीजेपी नेता और कवि सत्यनारायण सत्तन और भंवर सिंह शेखावत के तीखे बयानों ने भी मामला उलझा दिया है। आपको बता दें कि सत्तन गुरु अपनी कविताओं के माध्यम से लगातार शीर्ष नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व के साथ संगठन पर भी गंभीर सवाल खड़ रहे हैं। साथ ही साथ भंवर सिंह शेखावत के बयान भी कुछ कम नहीं है। दोनों ही नेताओं ने सिंधिया और उनके समर्थकों समेत मंत्रियों पर भी जमकर आरोप लगाए हैं। इसके साथ ही मूल कार्यकर्ताओं की अवहेलना और सिंधिया समर्थकों के भ्रष्टाचार और अवैध धंधों को प्रोत्साहन देने के आरोप लगाए हैं। इन दोनों ही नेताओं की तीखी बयानबाजी को देश और प्रदेश के मीडिया ने जमकर उठाया। साथ ही सिंधिया के प्रति पनप रहे आक्रोश को भी लिखा। जिसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने इन तमाम मुद्दों से कैसे निपटा जाए और डैमेज कंट्रोल के लिए संभावित क्या रणनीति हो इसके लिए शिवराज को चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया है।
कर्नाटक चुनाव के बाद मध्यप्रदेश पर फोकस!
10 मई को कर्नाटक के चुनाव खत्म होते ही बीजेपी शीर्ष नेतृत्व का पूरा फोकस एमपी पर रहेगा। एमपी में मची उथल-पुथल और पार्टी की साख समेत कार्यकर्ताओं के मनोबल को बनाए रखने के लिए शीर्ष नेतृत्व कुछ कदम उठा सकता है। इसी कड़ी में पूरे घटनाक्रम और उससे निपटने के संभावित विकल्पों के लेकर पार्टी प्रदेश के मुखिया से बातचीत कर तय करेगी की आगे पार्टी का स्टैंड क्या होगा।