BHOPAL. चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की नई युवा नीति लाने जा रहे हैं। 23 मार्च को सीएम लाल परेड मैदान पर यूथ पंचायत करेंगे और उसी में नई युवा नीति का ऐलान होगा। इस युवा नीति में दावा किया गया है कि तीन हजार युवाओं के सुझावों को इसमें शामिल किया गया है। युवाओं के रोजगार की चिंता करना बहुत अच्छी बात है, लेकिन सवाल यही खड़ा हो रहा है कि आखिर चुनावी साल में ही युवा नीति क्यों। क्या इसे पौने तीन करोड़ से ज्यादा युवाओं के लिए लाॅलीपाॅप नहीं समझा जाना चाहिए।
ये हैं नई युवा नीति के मुख्य बिंदु
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ये अपील बताती है कि मामा को अपने भांजे-भांजियों की कितनी चिंता है। मामा ने युवाओं से सुझाव मांगे और उन्होंने सुझाव भेजे भी। अधिकांश सुझावों में रोजगार की बात थी। इस नई युवा नीति में तीन हजार सुझावों को शामिल किया गया है। सबसे पहले आपको युवा नीति के मुख्य बिंदु बताते हैं। नई युवा नीति युवाओं को सशक्त बनाएगी और उनकी क्षमता को विकसित करेगी।
ये है प्रदेश में युवा वोटर्स का समीकरण
प्रदेश में कुल 5 करोड़ 39 लाख 87 हजार 876 वोटर हैं, जो इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वोट डालेंगे। इनमें 2 करोड़ 85 लाख 49 हजार 138 युवा वोटर हैं यानी आधे से ज्यादा वोटर 18 साल से 39 साल तक के हैं। इस तरह हैं उम्र के हिसाब से युवा वोटर्स की संख्या
सरकार चुनाव को लेकर नई नीति नहीं बना रही
बीजेपी के प्रवक्ता आशीष अग्रवाल ने कहा कि सरकार चुनाव को लेकर नई नीति नहीं बना रही। उसकी चिंता तो हमेशा युवाओं के रोजगार पर रही है और सरकार ने इस पर लगातार काम किया है।
युवा नीति को कांग्रेस ने बताया छलावा
कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि सरकार युवाओं के साथ फिर छलावा करने की तैयारी में हैं। प्रदेश में 35 लाख से अधिक पंजीकृत बेरोजगार हैं। चुनावी साल में सरकार को अब युवा नीति की याद आई है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि रोजगार और निवेश के नाम पर करोड़ों खर्च करने के नाम पर धांधली की गई।
युवाओं को नजर आया लाॅलीपाॅप
बेरोजगार युवा राधे जाट ने बताया कि नौकरी के लिए महीनों से आंदोलन कर रहे युवाओं को सरकार की बात पर अब भरोसा नहीं रहा है। कभी पैदल मार्च तो कभी अर्धनग्न होकर अपनी पीड़ा बयां कर रहे बेरोजगार युवा कहते हैं कि प्रतियोगी परीक्षाओं में चयन के बाद भी सरकार नौकरी नहीं दे पा रही है। चुनाव में इस युवा नीति पर किस तरह भरोसा किया जाए। ये तो सिर्फ लाॅलीपाॅप नजर आता है। विधानसभा में आई रोजगार की जानकारी
विधानसभा में सरकार की तरफ से रोजगार को लेकर बड़ी हैरानी वाली बात सामने आई है। मध्यप्रदेश सरकार ने 2018 में युवाओं को रोजगार देने के लिए 15 जिला रोजगार कार्यालय के काम का संचालन महाराष्ट्र की निजी एजेंसी यशस्वी अकेडमी फॉर टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी को दिया गया। कंपनी को हर साल 35 हजार युवाओं को रोजगार देने का टारगेट दिया गया था। 1 अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक 6 महीने में 25 हजार युवाओं को रोजगार देने का अनुबंध किया गया। कंपनी ने 11 हजार 680 युवाओं को रोजगार देना बताया, लेकिन जब जांच की गई तो पता चला कि सिर्फ 4 हजार 421 युवाओं को ही रोजगार मिला। वहीं अगले वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 तक 32 हजार 848 बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने का टारगेट रखा गया। लेकिन कंपनी इस वित्तीय वर्ष में एक भी बेरोजगार युवा को रोजगार नहीं दे पाई। 2 साल में कंपनी ने 4 हजार 421 युवाओं को ही रोजगार दिया। इसके एवज में सरकार से 4 करोड़ 17 लाख 75 हजार रुपए फीस के बतौर कंपनी को भुगतान किया गया। इस हिसाब से प्रति बेरोजगार को रोजगार दिलाने के नाम पर 9 हजार 450 रुपए फीस के बराबर कंपनी ने सरकार से लिए।
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