संजय गुप्ता, INDORE. स्वास्थ्य विभाग में बाले-बाले छपी आशा डायरियों के मामले में कलेक्टर मनीष सिंह ने भले ही दो लोगों को तत्काल निलंबित कर दिया है और जांच कमेटी भी बना दी है। लेकिन इस मामले में खुलासा हुआ है कि ये डायरियां छापने का आदेश खुद स्वास्थ्य विभाग इंदौर ने ही दिया था। सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या के आदेश से 24 मई 2022 को ये डायरियां छापने का आदेश मध्यप्रदेश राज्य सहकारी उपभोक्ता भंडार एवं मर्यादित भोपाल को गया और वहां से फिर यह वेंडर शाहरूख उर्फ गुलजार के पास गया। आदेश के बाद वेंडर ने 800 डायरियां छाप कर दी और इसका बिल बना 1 लाख 72 हजार रुपए। वहीं सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या ने कहा कि मैंने ही आदेश दिए थे जो भोपाल गए थे लेकिन जिसने ये डायरियां छापी, उन्हें ये आदेश नहीं दिया था।
'मैंने आदेश के बाद ही छापी'
शाहरुख ने द सूत्र को बताया कि मैं औपचारिक तौर पर विभाग से अधिकृत हूं और आदेश मिलने के बाद ही सामग्री छापता हूं। ये 800 करीब डायरियां छापी गई थी और इनकी कीमत 200 रुपए थी इसमें जीएसटी अलग से था। स्वास्थ्य विभाग से संस्थान को आदेश मिला और वहां से मुझे ये दिया गया।
मौके पर जांच अधिकारी
जांच के लिए कलेक्टर के आदेश के बाद अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेडेकर मंगलवार सुबह पालिका प्लाजा में स्वास्थ्य विभाग के दफ्तर पहुंच गए। वहां दोपहर तक वो जांच करते रहे। करीब 150 फाइल जांच में ली गई है। उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा कि विभाग ने सामग्री खरीदी, प्रिंटिंग में नियमों को दरकिनार किया है और कुछ खास लोगों को ही ये काम मिलता था। इसकी जांच हो रही है।
सोमवार की मीटिंग में क्या हुआ ?
आशा डायरियां छापने के मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य समिति की बैठक में सोमवार को कलेक्टर मनीष सिंह ने हाथों हाथ अपर कलेक्टर अभय बेडेकर के नेतृत्व में जांच दल गठित कर बीते दो साल की खरीदी-बिक्री की जांच के आदेश दे दिए थे। साथ ही स्टोर प्रभारी इंद्रमणि पटेल एवं सहायक स्टोर प्रभारी कैलाश तायरे को निलंबित करने के निर्देश दिए। उक्त मामले में शाहरुख उर्फ गुलजार नाम के व्यक्ति की संलिप्तता भी पाई गई है। साथ ही जांच कर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए।