जितेंद्र सिंह/कमल वर्मा, GWALIOR. ग्वालियर शहर को 10 साल पहले साइकिल ट्रैक की सौगात मिली थी। वर्ष 2012 में 50 लाख रुपए की लागत से 11 किमी लंबा साइकिल ट्रैक बनाया गया था। अगले 4 साल तक उस पर करीब 2 करोड़ रुपया खर्च किया गया, पर अब निगम अधिकारियों ने जनता के ढाई करोड़ रुपए से तैयार साइकिल ट्रैक को अतिक्रमण और यातायात के लिए जानलेवा बताकर उजाड़ दिया। अब शहर की सड़कों पर साइकिल ट्रैक पूरी तरह से गायब है। सड़क का चौड़ीकरण कर साइकिल ट्रैक को मिला दिया गया। कहीं-कहीं तो उस पर दुकानें सजने लगी हैं।
तत्कालिक निगमायुक्त वेदप्रकाश ने बनवाया था
नगर निगम आयुक्त वेदप्रकाश ने वर्ष 2012 में शहवासियों के स्वास्थ्य की चिंता जताकर 50 लाख की लागत से 11 किमी लंबा साइकिल ट्रैक बनवाया था। उनके जाने के बाद नए निगमायुक्त विनोद शर्मा आए तो उन्होंने 2 करोड़ की लागत से क्षतिग्रस्त साइकिल ट्रैक की मरम्मत करवाकर और आकर्षित बनवा दिया। उनके जाते ही अगले निगमायुक्त अजय माकिन के कार्यकाल में साइकिल ट्रैक को अतिक्रमण और यातायात के लिए जानलेवा बताते हुए उखड़वा दिया गया।
इन मार्ग पर बना था साइकिल ट्रैक
ग्वालियर शहर की गांधी रोड से यूनिवर्सिटी रोड की दोनों पट्टी, तानसेन रेसीडेंसी तिराहे से राजमाता चौराहे तक की दोनों पट्टी, राजमाता चौराहे से सिटी सेंटर पुल छोड़कर स्वामी विवेकानंद चौराहे तक की दोनों पट्टी, चेतकपुरी से चंद्रवदनी नाके के आगे तक दोनों पट्टी, सचिन तेंदुलकर मार्ग से गोविंदपुरी चौराहा, गोविंदपुरी चौराहा से अलकापुरी तिराहा तक साइकिल ट्रैक का निर्माण करवाया गया था।
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राष्ट्रपति आए तो बना दिया था फुटपाथ
जीवाजी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में शामिल होने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की यात्रा के दौरान ट्रैक के ऊपर फुटपाथ बना दिया गया था। तानसेन रेसीडेंसी से राजमाता चौराहे तक का ट्रैक उजाड़ दिया गया। एसपी ऑफिस के पास सीसी कर ट्रैक को खत्म ही कर दिया गया। सचिन तेंदुलकर मार्ग से गोविंदपुरी चौराहे तक का ट्रैक बीच-बीच में नजर ही नहीं आता है। सिटी सेंटर पुल से राजमाता चौराहे तक का मार्ग भी नहीं दिखता है।
स्मार्ट सिटी का साइकिल प्रोजेक्ट भी फेल
स्मार्ट सिटी की साइकिल चलाने के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट तैयार किया गया। शहर में जगह-जगह स्टेंड बनाकर साइकिल रखी गईं, लेकिन वह प्रोजेक्ट भी फेल हो गया। स्मार्ट सिटी ने एजेंसी को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। अब स्मार्ट सिटी साइकिल चलवाने के लिए नई एजेंसी की तलाश कर रही है।
निगम से ट्रैक को लेकर चर्चा की जाएगी
स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर का कहना है कि पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट टेंडर की शर्तों का पालन न करने पर वेंडर को टर्मिनेट किया गया है। उसे ब्लैक लिस्ट भी किया है। साइकिलों को उपयोग करने के लिए नया टेंडर करने जा रहे हैं। साइकिल ट्रैक को लेकर नगर निगम से चर्चा के उपरांत उसकी उपयोगिता को देखते हुए कुछ मार्गों पर उसे तैयार करने पर विचार किया जाएगा।
अधिकारी ध्यान दें जनता का रुपए बर्बाद न हो
निगम सभापति मनोज सिंह तोमर का कहना है कि हमारे यहां कमिश्नर वेदप्रकाश ने करोड़ों रुपए से साइकिल ट्रैक और फुटपाथ का निर्माण कराया था, लेकिन जिन अधिकारियों द्वारा बनाए थे वो ठीक से नहीं बनाए थे। जगह-जगह पानी भरा है, गंदगी है, गड्ढे हो रहे हैं। अधिकारियों से चर्चा करके उसे ठीक कराएंगे। अधिकारियों को देखना चाहिए कि प्रोजेक्ट में आम जनता का रुपया लगता है, इसलिए उन्हें सोचना चाहिए कि रखरखाव के अभाव में उनकी बर्बादी न हो।
अधिकारियों की उदासीनता से साइकिल ट्रैक खत्म हुए
नेता प्रतिपक्ष कल्लू दीक्षित ने कहा- शहर को खूबसूरत बनाने, पर्यावरण की दृष्टि से और जनता के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए साइकिल ट्रैक का निर्माण करवाया गया था। इसका उद्देश्य था कि साइकिलें चलें जिससे न सिर्फ लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहे, बल्कि साइकिल के प्रति लोग आकर्षित भी हों। परंतु नगर निगम का दुर्भाग्य रहा है कि साइकिल ट्रैक बनाया था वो सड़क चौड़ीकरण, सीवर लाइन आदि का निर्माण करने में खत्म हो गया। स्मार्ट सिटी ने भी साइकिल ट्रैक बनाया। साइकिल स्टैंड भी बनाए गए। लेकिन अधिकारियों की उदासीनता से साइकिल और साइकिल ट्रैक खत्म हो गए।