मुलताई सीट पर निर्दलीय सहित कांग्रेस, बीजेपी और सपा चख चुकी है जीत का स्वाद, जाति के बजाय काम पर मिलता है वोट

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Vivek Sharma
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मुलताई सीट पर निर्दलीय सहित कांग्रेस, बीजेपी और सपा चख चुकी है जीत का स्वाद, जाति के बजाय काम पर मिलता है वोट

MULTAI. मुलताई से निकली ताप्ती नदी महारष्ट्र और गुजरात से होती हुई खंबात की खाड़ी में मिलती है। मुलताई के एक छोटे से कुंड से निकली ताप्ती नदी महाराष्ट्र से होते हुए गुजरात पहुंचते-पहुंचते इतनी विशाल हो जाती है कि सूरत में इस नदी पर स्टीमर चलते हैं जितना धार्मिक महत्व मुलताई का है उतना ही राजनीतिक महत्व भी है। इस विधानसभा सीट का जिले ही नहीं प्रदेश में भी महत्वपूर्ण स्थान है। 



राजनीतिक मिजाज 



 मुलताई में किसी भी दल का एकछत्र राज नहीं है। यहां कांग्रेस-बीजेपी-समाजवादी और निर्दलीय सभी ने जीत दर्ज की है। यहां जातिगत समीकरण साधना भी अहम है। इस विधानसभा के लोगों की नजरों में जो प्रत्याशी इलाके का विकास करवाने में सक्षम हो वही जीत दर्ज कर सकता है। साल 1998 में यहां से निर्दलीय डॉ. सुनीलम विधायक बने थे। 2003 में सुनीलम ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और एक बार फिर जीत दर्ज की। 2008 के चुनाव में कांग्रेस के सुखदेव पांसे ने जीत दर्ज की। 2013 में बीजेपी के टिकट पर चंद्रशेखर देशमुख ने यहां से जीत दर्ज की तो वहीं एक बार फिर 2018 में कांग्रेस के सुखदेव पांसे विधायक बने।



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राजनीतिक समीकरण 



 मुलताई में जनता सिर्फ काम करवाने वाले चेहरे को ही चुनती है... इसी कारण यहां से हर दल के उम्मीदवार को चुनकर विधानसभा भेजा है। यहां से कभी कांग्रेस, कभी बीजेपी, कभी सपा तो कभी निर्दलीय विधायक भी दिए हैं आज की बात की जाए तो कांग्रेस से सुखदेव पांसे की प्रबल उम्मीदवारी है क्योंकि पांसे यहां से वर्तमान में विधायक है तो वहीं बीजेपी के पास सभी ऑप्शन खुले हैं।



जातिगत समीकरण



 मुलताई में कुनबी और पंवार समाज के वोट बड़ी संख्या में है यही वजह है कि प्रत्याशी चयन में बीजेपी-कांग्रेस इन दोनों समाजों के वोट बैंक को ध्यान में रखती आई है।  मुलताई में 35 फीसदी वोट कुनबी समाज के हैं वहीं 25 फीसदी वोट पंवार समाज के हैं। वर्तमान विधायक और कमलनाथ सरकार में पीएचई मंत्री रहे सुखदेव पांसे कुनबी समाज से आते हैं। 2018 में सुखदेव पांसे ने बीजेपी के राजा पंवार को करीब 18 हजार मतों से हराया था।



मुद्दे 



 मुलताई में भी प्रदेश की अन्य विधानसभाओं की तरह मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझती हुई जनता दिखाई पड़ती है। पवित्र नगरी घोषित किए जाने के बाद भी मुलताई को विकास के लिए कोई बड़ी सौगात नहीं मिली है।  यहां आने वाले लोगों को रुकने की बेहतर व्यवस्था तक नहीं मिलती तो वहीं इलाके के युवाओं को कोई बड़ा उद्योग इलाके में न होने के कारण रोजगार के लिए दर-दर भटकने पर मजबूर होना पड़ता है। इस इलाके के किसानों को भी अपनी उपज बेचने के लिए दूर दराज के इलाकों में जाना पड़ता है या फिर अन्य राज्यों के व्यापारियों से सौदा करना पड़ता है। जिसके चलते आए दिन किसानों के साथ ठगी की खबरें आती रहती है। मुलताई में कानून व्यवस्था की हालत भी बेहद खराब है बीजेपी का आरोप है कि विधायक की शह पर गैरकानूनी काम इलाके में होते हैं।

जनता की इन समस्याओं पर जब द सूत्र ने राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं से जवाब मांगे तो राजनीतक दल एक-दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए।

इसके अलावा द सूत्र ने इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और आम जनता से बात की तो कुछ और सवाल निकल कर आए




  •  4 साल इलाके में करवाए कोई 4 बड़े काम बताएं?


  • 15 महीने की सरकार में मंत्री रहते इलाके में क्या काम करवाए?

  • इलाके के कितने युवाओं को रोजगार मिला ?

  • मूलभूत सुविधाओं पर कितनी राशि विधायक निधि से खर्च की ?

  • आपके इलाके में किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए परेशान होना पड़ता है, आपने उनकी क्या मदद की ?

  • विधायक सुखदवे पांसे के पास जनता के इन सवालों के कोई जवाब नहीं थे। पांसे इन सवालों से बचते नजर आए।



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