मध्यप्रदेश में विधायकों ने सरकार पर दागे 1600 सवाल, सत्र के एक दिन पहले कांग्रेस देगी आरोप पत्र

author-image
Shivasheesh Tiwari
एडिट
New Update
मध्यप्रदेश में विधायकों ने सरकार पर दागे 1600 सवाल, सत्र के एक दिन पहले कांग्रेस देगी आरोप पत्र

BHOPAL. विधानसभा का शीतकालीन सत्र गरमाने के लिए तैयार है। विधायकों ने सरकार पर 1600 से ज्यादा सवालों के गोले दागे हैं। कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की सूचना देकर माहौल को गरमा दिया है। सत्र से एक दिन पहले कांग्रेस, सरकार के खिलाफ आरोप पत्र पेश करेगी। जिसमें कारम डेम और पोषण आहर जैसे घोटालों का जिक्र किया गया है। बहस इस बात पर भी है कि सरकार आरोपों से बचने के लिए छोटे-छोटे सत्र आयोजित कर रही है। आइए आपको दिखाते हैं कितने किन मुद्दों पर सरकार को घेरा जाने वाला है और छोटे सत्रों के लिए क्यों जानी जाने लगी पंद्रहवीं विधानसभा। 



सरकार पर सवाल



विधानसभा का शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर से शुरू होगा, जो 23 दिसंबर तक चलेगा। यानी सत्र सिर्फ पांच दिन का होगा। सत्र भले ही छोटा है लेकिन सरकार पर सवाल बड़े हैं। इस सत्र में विधायकों ने सरकार से 1632 सवाल पूछे हैं। अभी भी विधायक कंप्यूटर फ्रेंडली नहीं हो पाए हैं। 1632 सवालों में 783 सवाल ऑनलाइन पूछे गए हैं, जबकि 849 सवाल ऑफलाइन आए हैं। सवाल पूछने के आखिरी दिन 126 सवाल आए, जिनमें 58 सवाल ऑनलाइन और 68 सवाल ऑफलाइन पूछे गए। इस सत्र में 858 सवाल तारांकित और 774 सवाल अतारंकित आए हैं। 



अविश्वास पर गरमाएगी विधानसभा



इस सत्र में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सरकार पर गंभीर सवाल खड़े करना चाहती है। इसके लिए कांग्रेस ने आरोप पत्र तैयार किया है। इस आरोप पत्र में सौ से ज्यादा मुद्दे रखे गए हैं। कांग्रेस ने आरोप पत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत उनके पूरे मंत्रिमंडल पर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घोटालों की सरकार बताते हुए 101 घोटालों का आरोप पत्र तैयार किया है। इस आरोप पत्र में सरकार पर कारम डेम घोटाला, पोषण आहार घोटाला, कोरोना घोटाला, लचर कानून व्यवस्था, किसानों की बदहाली, महिला सुरक्षा, परीक्षाओं में धांधली जैसे विषयों को उठाया है। सत्र में सरकार से जो 1632 सवाल पूछे हैं, उनमें भी ये सवाल उठाए हैं। कांग्रेस 18 दिसंबर को सचिवालय में ये आरोप पत्र जमा करेगी। 



छोटे सत्रों पर बड़ी बहस



विधानसभा के लगातार छोटे होते जा रहे सत्रों पर भी बड़ी बहस चल पड़ी है। पंद्रहवीं यानी मौजूदा विधानसभा के सत्रों को देखें तो ये विधानसभा के इतिहास के अब तक के सबसे छोटे सत्रों में गिने जा सकते हैं। अकेले शिवराज सरकार में नहीं इससे पहले कमलनाथ सरकार में भी विधानसभा सत्र बहुत छोटे-छोटे हुए हैं। कुछ सत्र कोरोना काल के कारण भी प्रभावित हुए हैं। 



कमलनाथ सरकार में विधानसभा सत्र-

 




  • जनवरी 2019, 4 बैठकें


  • फरवरी 2019, 3 बैठकें

  • जुलाई 2019, 13 बैठकें

  • दिसंबर 2019, 4 बैठकें

  • मार्च 2020, 2 बैठकें 



  • शिवराज सरकार में विधानसभा सत्र




    • मार्च 2020, 1 बैठक


  • सितंबर 2020, 1 बैठक

  • फरवरी-मार्च 2021, 13 बैठकें

  • अगस्त 2021, 2 बैठकें

  • दिसंबर 2021, 5 बैठकें

  • मार्च 2022, 8 बैठकें




  • कांग्रेस ने बताया घोटालों की सरकार




    कांग्रेस ने कहा कि ये घोटालों की सरकार है। प्रदेश की जनता को सरकार पर विश्वास नहीं रहा है। यही कारण है कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है। सरकार अपने उपर लगने वाले आरोपों से बचना चाहती है। यही कारण है कि सत्र भी छोटे—छोटे रखे जा रहे हैं।



    सरकार का पलटवार



    वहीं सरकार ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को हास्यास्पद बताया है। संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि प्रदेश की जनता का विश्वास खो चुकी कांग्रेस पार्टी विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात कर रही है। मिश्रा ने कहा कि सरकार हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है। 



    बहरहाल विधानसभा में सबसे पहले तो अविश्वास प्रस्ताव की ग्राहता पर चर्चा होगी। इस चर्चा के बाद ही प्रस्ताव को ग्राह करने पर विचार किया जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करना या अस्वीकार करना विधानसभा अध्यक्ष के ऊपर निर्भर है। यदि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई तो सदन की गरमाहट पूरे प्रदेश में महसूस की जा सकेगी। हालांकि छोटे सत्र को देखते हुए इसके आसार कम नजर आ रहे हैं।


    विधायकों ने पूछे सवाल शिवराज सिंह चौहान पर घोटालों के आरोप कांग्रेस लाएगी अविश्वास प्रस्ताव एमपी विधानसभा का शीतकालीन सत्र MLAs asked questions मध्यप्रदेश न्यूज allegations of scams on Shivraj Singh Chauhan Congress will bring no-confidence motion Winter session of MP Vidhan Sabha Madhya Pradesh News