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Dindori. डिंडोरी में कोहका गांव स्थिति नर्मदा राइस मिल में प्रशासन ने ताला डाल दिया है। ईओडब्ल्यू जबलपुर की टीम ने जांच करते हुए गड़बड़ी पाई थी। जिसके बाद एसडीएम, तहसीलदार और नान के जिला प्रबंधक ने पुलिस की मौजूदगी में राइस मिल को सील कर दिया। बता दें कि राइस मिल ने शासन से 60 लाट धान ली थी, जांच में मौके पर इससे काफी कम धान और तैयार हुआ चावल मिला था।
300 टन का था अनुबंध
जानकारी के मुताबिक नर्मदा राइस मिल के संचालक रमेश राजपाल का मप्र स्टेट सिविल सप्लाई कारपोरेशन से 3 सौ टन का अनुबंध था। जिसमें संचालक ने 282 टन धान का उठाव किया था और जिसके एवज में 222 लाट चावल 2 मई तक जमा किया गया। शेष 60 लाट मिल संचालक के पास जमा थे। जांच के दौरान इसका भौतिक सत्यापन किया गया। जिसमें सीएमआर शीट में शेष 60 लाट धान के एवज में 9 लाट धान और 16 लाट चावल पाया गया। बाकी के 35 लाट धान के बारे में संचालक की ओर से संतोषजनक उत्तर नहीं मिला पाया।
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शासन को 3 करोड़ की क्षति
मिल के संचालक और प्रोप्राइटर द्वारा शासन से धोखाधड़ी की गई, जिससे शासन को 3 करोड़ 3 लाख 10 हजार की आर्थिक क्षति पहुंची है। जिसके बाद संचालक के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। नान के जिला प्रबंधक मुकुल त्रिपाठी ने बताया कि ईओडब्ल्यू द्वारा मामले की जांच की गई थी। मिल में शासन द्वारा दिए धान में कमी पाई गई है। जितना धान उठाया गया उसके एवज में उतना चावल जमा नहीं किया गया। कम पाए गए लाट की अनुमानित कीमत 3 करोड़ के आसपास है। प्रोप्राइटर 30 जून तक डिफरेंस को जमा कर सकते हैं।
कांग्रेस का हूं इसलिए द्वेषपूर्ण कार्रवाई हुई
उधर मिल मालिक रमेश राजपाल ने कहा है कि ईओडब्ल्यू को जवाब दिया था कि मेरे धान परिसर के अलावा मेरे वेयर हाउस, ट्रांसपोर्ट और गाड़ियां निगवानी गोदाम में 3 दिन से खड़ी हुई हैं जो खाली नहीं हुई हैं। अनुबंध के अनुसार 17 मार्च 2023 से 30 जून तक जमा करने की समय सीमा है। समय सीमा में चावल जमा नहीं करने पर सिक्योरिटी राशि से एमाउंट काटना चाहिए। लेकिन मैं एक राजनैतिक दल से हूं इसलिए यह द्वेषपूर्ण कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाऊंगा।