Bhopal. कांग्रेस (Congress) के अखबार नेशलन हेरॉल्ड (National Harold) और इसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के विवाद का नाता भोपाल (Bhopal) से भी जुड़ा है। यहां 1981 में एसोसिएटेड जनर्ल्स लिमिटेड (Associated Generals Limited) को हिंदी अखबार नवजीवन के प्रकाशन (Navjeevan Publications) के लिए प्रेस कॉम्प्लेक्स (Press Complex) में करीब पौने दो एकड़ जमीन लीज पर आवंटित की गई थी। महाराणा प्रताप नगर जोन-1 (एमपी नगर) में ये वही जमीन है जिस बने कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स (commercial complex) में अब विशाल मेगा मार्ट (Vishal Mega Mart) , मंगलम इलेक्ट्रॉनिक्स (Mangalam Electronics) और लोटस (lotus) जैसे शोरूम और अन्य निजी संस्थानों के ऑफिस संचालित हो रहे हैं। हालांकि 2018 में विधानसभा चुनाव (assembly elections) से पहले जमीन के दुरुपयोग का मामला उठने पर भोपाल विकास प्राधिकरण (bda) ने बेहद रियायती दर पर आवंटित जमीन की लीज रद्द कर दी थी। इसके बाद ये मामला हाईकोर्ट (High Court) में चला गया।
वीडियो देखें
मप्र में पिछले विधानसभा चुनाव में भी उछला था मुद्दा
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को ईडी (Ed) के नोटिस के बाद नेशनल हेराल्ड अखबार (National Herald newspaper) की संपत्तियों को बेचे जाने का मामला इन दिनों फिर सुर्खियों में है। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में पिछले विधानसभा चुनाव (2018) से पहले भी भोपाल में एसोसिएटेट जर्नल्स लिमिटेड (Associated Journals Limited in Bhopal) को 1981 में भोपाल विकास प्राधिकरण (Bhopal Development Authority) से बेहद रियायती दरों पर जनजीवन अखबार के संचालन के लिए आवंटित जमीन पर कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाकर बेचे जाने का मामला बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना था। आपको बता दें कि ये जमीन 30 साल के लिए लीज पर दी गई थी।
भोपाल में 1981 में एजेएल को सिर्फ 1 रुपए प्रति वर्गफुट पर मिली जमीन
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अस्सी के दशक में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह (Arjun Singh) की सरकार ने राजधानी भोपाल में कई मीडिया संस्थानों को अखबारों के संचालन के लिए महाराणा प्रताप नगर के इंदिरा प्रेस कॉम्प्लेक्स में बेहद रियारती दर पर जमीन आवंटित की थी। सरकार से जमीन हासिल करने वाले संस्थानों में एसोसिएटेट जर्नल्स लिमिटेड भी शामिल थी। बताया जाता है कि इसे हिंदी में प्रकाशित होने वाले जनजीवन अखबार के संचालन के लिए करीब पौने दो एकड़ की प्लॉट सिर्फ एक रूपए प्रति वर्गफुट आवंटित किया गया था। यहां प्रिंटिंग प्रेस स्थापित करके नवजीवन समाचार पत्र का प्रकाशन भी शुरु किया गया। लेकिन 1992 में इसका प्रकाशन बंद हो गया। इसके बाद इस जमीन पर एक बड़ा और भव्य कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स तान दिया गया। इसमें कई निजी कंपनियों के शोरूम और ऑफिस खुल गए।
2011 में कॉमर्शियल यूज पर बीडीए ने रद्द कर दी जमीन की लीज
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले 2018 में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस मुद्दे को जोरशोर से उछालकर कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला। भोपाल विकास प्राधिकारण (बीडीए) के तत्कालीन अध्यक्ष ओम यादव (Om Yadav) ने आरोप लगाया था नेशनल हेरॉल्ड की मालिक एसोसिएटेट जर्नल्स लिमिटेड को आवंटित की गई जमीन की लीज अवधि वर्ष 2011 में खत्म हो गई थी। इसके बाद कंपनी ने लीज का नवीकरण नहीं कराया। इसके विपरीत उसने गैरकानूनी रूप से सरकार से अखबार संचालन के लिए मिला प्लॉट किसी दूसरे को बेच दिया। तब इस बेशकीमती जमीन की कीमत करीब 50 करोड़ रुपए बताई गई थी। बताया जाता है कि बीडीए ने कुछ साल पहले अपने इंजीनियरों से सर्वे करवाकर जमीन का कॉमर्शियल उपयोग करने और गैर कानूनी रूप से बेचने के मामले में एसोसिएटेड जर्नल की लीज निरस्त कर दी थी।
बीडीए के फैसले के खिलाफ भोपाल कोर्ट में गई एजेएल लेकिन हार गई
बीडीए की जनसंपर्क अधिकारी विभा शर्मा (Public Relations Officer Vibha Sharma) ने जमीन का सर्वे कराए जाने की पुष्टि करते हुए कहा था कि यह जमीन बहुत मामूली दर पर एजेएल कंपनी को आवंटित की गई थी। 2011 में जमीन की लीज के नवीनीकरण के आवेदन के समय बीडीए ने पाया कि एजेएल को अखबार के प्रकाशन के लिए आवंटित जमीन का उपयोग व्यावसायिक रूप से किया जा रहा है। इसीलिए बीडीए ने नवीनीकरण करने से इंकार कर दिया। बीडीए प्रशासन ने कंपनी को नोटिस भेजकर लीज रद्द कर दी। जमीन की लीज रद्द होने के बाद एजेएल समूह ने बीडीए प्रशासन के खिलाफ भोपाल की जिला अदालत में मुकदमा दायर किया लेकिन वो हार गया। कोर्ट ने बीडीए की कार्रवाई को सही ठहराया। इसके बाद कंपनी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट (district court) के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट चली गई। बीडीए प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक जमीन का पट्टा रद्द किए जाने पर बीडीए को पता चला कि जमीन का मालिकाना हक कई हाथों में बदल चुका है।
एजेएल की प्रॉपर्टी पर निजी फर्म ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका
भोपाल में नेशनल हेराल्ड की प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की प्रॉपर्टी से संबंधित एक मुकदमे में वादी बनने के लिए एक निजी फर्म में भोपाल की निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट (High Court) का रुख किया। निजी फर्म ने अपनी पिटीशन में भोपाल विकास प्राधिकरण और एजेएल कंपनी को प्रतिवादी बनाया। निचली अदालत ने उसके समक्ष लंबित मुकदमे में पक्षकार बनाने के लिए 18 सितंबर 2015 को फर्म के आदेश को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उसे संपत्ति के एक हिस्से पर पट्टे का अधिकार मिला है क्योंकि उसके पास प्रेस कॉम्प्लेक्स में एजेएल के कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स में ऑफिस स्पेस है। इसके लिए वह भोपाल नगर निगम (Bhopal City Corporation) को बकायदा टैक्स का भुगतान कर रहा है।
बीजेपी के संबित पात्रा ने कहा था, ये कांग्रेस के भ्रष्टाचार की इमारत
मप्र में 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित ने बकायदा भोपाल में विशाल मेगामार्ट के सामने सड़क पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि नेशनल हेराल्ड और नवजीवन के प्रकाशन के लिए दी गई जमीन का एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड कंपनी ने कॉमर्शियल उपयोग कर बड़ा भ्रष्टाचार (Corruption) किया है। करीब 40 मिनट तक सड़क पर चले इस ड्रामे में पात्रा ने पत्रकारों के सवालों का कोई भी जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मामला अभी हाईकोर्ट में है। उन्होंने जमीन आवंटन के संबंधित पेपर्स भी मीडिया को दिखाए, जिसमें जमीन आवंटन का उद्देश्य समाचार पत्र को बताया गया था। हालांकि चुनावी आचार संहिता के दौरान हुई इस प्रेस कॉंफ्रेंस अवैधानिक बताते हुए प्रदेश कांग्रेस ने इसकी शिकायत केंद्रीय चुनाव आयोग (central election commission) से भी की थी।