BHOPAL. मध्यप्रदेश में इन दिनों कांग्रेस के नेता केसिरया चोला ओढ़े हुए नजर आ रहे हैं। बीजेपी के हिंदुत्व की काट के लिए कांग्रेस भी भगवामय नजर आ रही है। कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में भगवाधारियों का आवागमन बढ़ गया है। कांग्रेस ने हाल ही में पुजारी प्रकोष्ठ का गठन कर धर्म संवाद का आयोजन भी कर लिया है। अब प्रदेशभर में कांग्रेस का पुजारी प्रकोष्ठ धर्म यात्राएं निकालने की तैयारी कर रहा है। अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस ने बीजेपी के हिंदुत्व की काट तलाश ली है या फिर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए हिंदुत्व का प्रतीक भगवा चोला पहनना जरूरी हो गया है।
2018 में कांग्रेस ने अपनाया था सॉफ्ट हिंदुत्व
2018 में कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व का रास्ता अपनाया था तो उसका 15 साल का वनवास खत्म हुआ और सत्ता में वापसी हुई थी। भले ही कम समय के लिए सरकार रही। अब कांग्रेस पूरे समय सरकार के लिए खुलकर इस रास्ते पर निकल पड़ी है।
हिंदुत्व से हिंदुत्व की काट
बीजेपी ने तय कर लिया है कि इस बार वो मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ेगी। धर्म, हिंदुत्व हमेशा से बीजेपी का कोर एजेंडा रहा है। कांग्रेस इसकी लाख आलोचना करे, लेकिन वो इस मुद्दे पर बीजेपी से मात खाती नजर आई है। बीजेपी के हिंदुत्व की काट के लिए कांग्रेस भी अब खुलकर हिंदुत्व के रास्ते पर चल पड़ी है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने इसके लिए बाकायदा पुजारी प्रकोष्ठ का गठन कर दिया है। कांग्रेस मुख्यालय में भगवा बैनर झंडे लगाने से कोई परहेज नहीं रहा है। यहां तक कि कमलनाथ भी भगवा ओढ़ने लगे हैं। साधु-संतों और पुजारियों की पीसीसी में आवाजाही बढ़ गई है। कमलनाथ कहते हैं कि हिंदुत्व पर बीजेपी का ठेका नहीं है।
मध्यप्रदेश में निकलेंगी धर्म यात्राएं
कांग्रेस पूरे प्रदेश में अब धर्म यात्राएं निकालने की तैयारी कर रही है। हर जिले, हर ब्लॉक में ये धर्म यात्राएं निकलेंगी। इन धर्म यात्राओं में स्थानीय साधु-संतों और मंदिर के पुजारियों को शामिल किया जाएगा। एजेंडा बहुत साफ है कि कांग्रेस को धर्म या हिंदुओं से परहेज नहीं है। कांग्रेस धर्म से जुड़े लोगों को बीजेपी से ज्यादा महत्व देती है। कांग्रेस सरकार आने पर न सिर्फ मठ मंदिरों को सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त कराया जाएगा बल्कि मंदिरों और पुजारियों की पूरी चिंता की जाएगी।
वचन पत्र में धार्मिक रंग
कांग्रेस का वचन पत्र भी धार्मिक रंग में रंगा हुआ नजर आएगा। वचन पत्र को अंतिम रूप भी दे दिया गया है। वचन पत्र में नर्मदा संरक्षण की बात होगी तो सड़कों पर बेसहारा घूम रहे गौवंश की चिंता की जाएगी। इसके अलावा राम वन पथ गमन के निर्माण और प्रदेश के मठ मंदिरों के जीर्णोद्धार की बात भी की जाएगी। ये मुद्दे कांग्रेस के पिछले वचन पत्र में भी नजर आए थे, लेकिन इस बार इनको और प्रमुखता से रखा जा रहा है। इसके अलावा कमलनाथ प्रदेश के सभी बड़े मंदिरों में मत्था टेकने भी जाएंगे। कमलनाथ ने ये भी तय किया है कि वे जिस जगह प्रचार के लिए जाएंगे वहां के धार्मिक स्थल पर भी जाएंगे।
हिंदुत्व का चुनावी रंग
हिंदुत्व का गाढ़ा चुनावी रंग भी है। प्रदेश में भी चुनाव में ये रंग का भरपूर असर नजर आता है। प्रदेश की 230 विधानसा सीटों में से डेढ़ दर्जन सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक माने जाते हैं। ये सीटें मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती हैं, लेकिन बाकी सीटों पर हिंदू वोट बैंक ही जीत-हार तय करता है। यही कारण है कि कांग्रेस इस डगर पर भी मजबूती से कदम बढ़ा रही है। इन दिनों प्रदेश में कथा महोत्सव भी चल रहा है। अधिकांश नेता अपने यहां कथा कराते हुए नजर आ रहे हैं। कथा में भी राजनीति का प्रवेश हो गया है। बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने विंध्य जनता पार्टी का ऐलान किया तो धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा की तारीख चुनाव के बाद की हो गई। पंडित प्रदीप मिश्रा के छिंदवाड़ा में कथा करने पर भी संशय बना हुआ है। इन घटनाओं को भी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। कमलनाथ भले ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से बागेश्वर धाम में मिलकर आए हों, लेकिन नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर बीजेपी का प्रचार करने का आरोप लगा दिया।
'कांग्रेस के नेता चुनावी हिंदू'- बीजेपी
बीजेपी इसे कांग्रेस का चुनावी स्टंट बताती है। बीजेपी के प्रदेश संवाद प्रमुख लोकेंद्र पाराशर कहते हैं कि कांग्रेस के नेता चुनावी हिंदू हैं। चुनाव के समय ही उनको हिंदू, पंडित, धर्म, जनेऊ ये सब याद आते हैं।
हरि अनंत हरि कथा अनंता
रामचिरत मानस में एक चौपाई है कि हरि अनंत हरि कथा अनंता। यही कारण है कि चुनाव में भी धर्म का सियासी चेहरा नजर आता है। धर्म का हर चुनाव में सियासी इस्तेमाल साफ दिखाई दे जाता है।