विंध्य में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस थोड़ी मजबूत, आप बिगाड़ सकती है चुनावी समीकरण

author-image
Rahul Garhwal
एडिट
New Update
विंध्य में बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस थोड़ी मजबूत, आप बिगाड़ सकती है चुनावी समीकरण

BHOPAL. राज्य का पूर्वी इलाका विंध्य क्षेत्र दिवंगत अर्जुन सिंह और सफेद शेर के नाम से विख्यात दिवंगत श्रीनिवास तिवारी के जमाने में कांग्रेस का इलाका माना जाता था। अब बीजेपी की ताकत बन गया है। विंध्य क्षेत्र में कुल 7 जिले हैं और वहां पर विधानसभा की 30 सीटें हैं। इनमें से 15 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस पिछले तीन विधानसभा चुनावों एक जीत के लिए तरस रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को 6 सीटें मिली थी, जिसमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह अपने अभेद्य किले से चुरहट विधानसभा से 6000 से अधिक मतों के अंतर से हार गए थे। 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 2 सीटें ही नसीब हुई थीं। यही नहीं, लोकसभा की चारों सीटें बीजेपी के पास ही हैं। हालांकि आगामी विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में बीजेपी के पक्ष में माहौल अनुकूल नहीं है।



बीजेपी में भी बढ़ी गुटबाजी की बीमारी



विंध्य क्षेत्र में बीजेपी की पकड़ काफी मजबूत थी, लेकिन कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के चलते धीरे-धीरे नाराजगी के स्वर उभरने लगे हैं। कार्यकर्ताओं की नाराजगी की वजह से रैगांव विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी को हार का स्वाद चखना पड़ा। रैगांव विधानसभा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है। इसके कारण ही नगरीय निकाय चुनाव में भी बीजेपी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा है। सिंगरौली महापौर के चुनाव में भी बीजेपी की पराजय हुई। सिंगरौली से आप की महापौर प्रत्याशी रानी अग्रवाल बीजेपी को हराकर विजयी रही। इसके अलावा 5 पार्षद भी आप के जीते। सिंगरौली विधानसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस को पिछले 3 चुनाव में कोई जीत हासिल नहीं हुई। कांग्रेस की गुटबाजी की बीमारी अब बीजेपी में भी दिखाई देने लगी है। सतना में सांसद गणेश सिंह और ब्राह्मण नेता एवं मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी के बीच लंबे समय शह और मात का खेल चल रहा है। बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी पार्टी से बगावत कर सकते हैं। त्रिपाठी ने विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर उम्मीदवार लड़ाने की घोषणा कर चुके हैं। कमोबेश यही स्थिति रीवा में भी है। यहां विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम और पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला के बीच 36 का आंकड़ा चल रहा है। कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल हुए खाद्य आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह को अनूपपुर के खांटी बीजेपी नेता पसंद नहीं कर रहे हैं। यही नहीं, बिसाहूलाल सिंह के बिगड़े बोल भी बीजेपी के लिए मुसीबत बन गए हैं।



विधानसभा की इन 15 सीटों पर बीजेपी मजबूत



विंध्य क्षेत्र में विधानसभा की कुल 30 सीटें हैं। इनमें से आधी सीटें यानी 15 सीटें रामपुर बघेलान, रैगांव (उपचुनाव में कांग्रेस जीती है), सिरमौर, सेमरिया, त्यौथर, देवतालाब, मनगवां, रीवा, सीधी, सिंगरौली, देवसर, धौहनी, जयसिंह नगर, जैतपुर, बांधवगढ़ और मानपुर है। इनमें से विंध्य की 8 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस 5 हजार से कम मतों के अंतर से हारी है। मसलन, नागौद (1234), मैहर (2964), सिंगरौली (3726), अमरपाटन (3747), धौहनी (3793), बांधवगढ़ (3903), जैतपुर (4216) और त्यौथर (5343) शामिल हैं।



गुटबाजी से कांग्रेस को नुकसान



वैसे तो विंध्य वह क्षेत्र है जहां हमेशा से ब्राह्मण और ठाकुर नेताओं का दबदबा रहा है, लेकिन एक और बड़े समुदाय कुर्मी का प्रतिनिधित्व भी असरदार रहा। कांग्रेस में दिवंगत नेता श्रीनिवास तिवारी और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह दोनों का अपनी-अपनी बिरादरी में वर्चस्व रहा करता था। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के खास क्षत्रप दिवंगत पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता इंद्रजीत पटेल कुर्मियों का नेतृत्व करते रहे। यही वजह रही कि विंध्य में कांग्रेस चुनाव में अपना परचम फहराती रही है। अब राजनीतिक परिस्थितियां बदलीं। बीएसपी का दलित और कुर्मी वोट बैंक बिखरा और इसका फायदा बीजेपी को मिला। कुर्मी समाज का नेतृत्व अब बीजेपी सांसद गणेश सिंह कर रहे हैं। इस काम में उन्हें प्रदेश के पिछड़ा वर्ग और पंचायत ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल का साथ मिल रहा है जो कि मध्यप्रदेश कुर्मी समाज के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। कांग्रेस में कुर्मी नेता के रूप में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल और सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा को जिम्मेदारी दी किंतु वे सफल नहीं हो पा रहे हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि कांग्रेस में कमलेश्वर पटेल को विंध्य क्षेत्र का नेता स्थापित करने के फेर में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को न केवल चुरहट से सुनियोजित ढंग से हरवा दिया गया बल्कि उन्हें पार्टी की मुख्यधारा से हाशिए पर धकेल दिया गया। कांग्रेस नेता अजय सिंह और कमलेश्वर पटेल के बीच चल रहे राजनीतिक द्वंद से भी कांग्रेस कमजोर हो रही है।



आप बिगाड़ सकती है कांग्रेस का समीकरण



विंध्य क्षेत्र में तीसरे दल के रूप में आप अपने अवसर तलाशने आम आदमी पार्टी रणनीति बना रही है। आप की संभावना नगरीय निकाय चुनाव में मिली सफलता के बाद और बढ़ गई है। नगरीय निकाय चुनाव में आप ने सिंगरौली में न केवल महापौर चुनाव जीता, बल्कि 5 पार्षद भी निर्वाचित हुए हैं। विंध्य क्षेत्र में आप के कुल 12 पार्षद जीते हैं। आप विंध्य की सभी 30 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है। विंध्य क्षेत्र में आप के दो से तीन सीटों पर जीत का दावा किया जा रहा है।



कांग्रेस को 5.5 और बीजेपी को 4.5 अंक



प्रदेश में वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य के लिहाज से कांग्रेस की सरकार बनने की संभावना अधिक है। इसकी वजह क्षेत्र में सिंधिया समर्थक और बीजेपी के खांटी नेताओं के बीच चल रही खींचतान है। पिछले विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस को 6 सीटें मिली थीं। इस बार उसकी सीटें बढ़कर दोगुना हो सकती हैं। अभी के हालात के हिसाब से 10 अंकों में से कांग्रेस को 5.5 और बीजेपी को 4.5 अंक मिलेंगे।


Whose government will be formed in MP गर्भ में सरकार-किसकी होगी जय-जयकार एमपी में किसकी बनेगी सरकार एमपी विधानसभा चुनाव 2023 Assembly Election MP-2023 एमपी में कांग्रेस की चुनौती एमपी में बीजेपी की चुनौती Scindia-Chambal and JYAS will decide the results in MP एमपी में सिंधिया-चंबल और जयस तय करेंगे नतीजे MP Assembly Election 2023