UJJAIN. महाकाल महालोक में सप्तऋषि की छह मूर्तियां गिरकर खंडित होने के बाद सियासी ‘आंधी’ का रुख अब कांग्रेस की ओर हो गया है। शिवराज सरकार पर निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही कांग्रेस अब खुद निशाने पर है। मामले में लोकायुक्त संगठन ने संज्ञान लेकर जांच शुरू कर दी है। यह जांच तत्कालीन कमल नाथ सरकार के समय योजना मंजूर होने और कार्यादेश जारी होने से शुरू की जाएगी।
ऐसे पलट गई ‘बाजी’
कांग्रेस विधायक ने जब लोकायुक्त से भ्रष्टाचार की शिकायत की थी तब कुछ अधिकारियों को नोटिस देकर जवाब मांगा था। बाद में यह मामला दब गया। अब लोकायुक्त संगठन ने नई शिकायत दर्ज कर तीन सदस्यीय तकनीकी टीम बनाई है, जो तीन जून को जांच के लिए उज्जैन पहुंचेगी। यह टीम कमल नाथ सरकार के समय योजना की मंजूरी, बजट आवंटन संबंधी दस्तावेजों की जांच करेगी और निर्माण कार्यों से जुड़े दस्तावेज जुटाएगी। इसमें तकनीकी निविदा और वित्तीय निविदा से जुड़े कागजात भी लिए जाएंगे।
स्वीकृत किए थे 300 करोड़ रुपए
मालूम हो, महाकाल लोक के निर्माण के लिए तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने 300 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे और कार्यादेश सात मार्च 2019 को जारी किया था।
राजनीति कर प्रदेश को बदनाम कर रही है कांग्रेस- BJP
बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस जबरिया राजनीति कर महाकाल महालोक के मामले में प्रदेश को बदनाम कर रही है। लोकायुक्त को तत्कालीन नगरीय विकास मंत्री के कार्यादेश की गहराई से छानबीन करनी चाहिए।
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भ्रष्टाचार की फाइल
मूर्तियों के इस मामले की जांच का नंबर 0036/E/ 2023-24 है। जांच दर्ज कर आगे की कार्रवाई के लिए तकनीकी शाखा को नोटशीट भेज दी गई है। इसमें लिखा है कि लोकायुक्त संगठन में महाकाल लोक के निर्माण के कुछ घटकों की जांच पहले से चल रही है, लेकिन उसमें मूर्तियों की जांच शामिल नहीं है। ऐसे में इस मामले की अलग से जांच शुरू करने की जरूरत है। जांच के बिंदु इस तरह तय किए गए हैं।
लोकायुक्त जांच के पांच अहम बिंदु
- मूर्तियां एफआरपी (फाइबर रीइन्फोर्स प्लास्टिक) की लगेंगी, यह निर्णय किस स्तर पर लिया गया था।