Bhopal. असंतुष्ट होकर कांग्रेस को अलविदा कहने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्रियों को घेरने कांग्रेस पूरी रणनीति तैयार कर रही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस सिंधिया समर्थक मंत्रियों को उन्हीं के क्षेत्र में कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए वृहद स्तर पर रणनीति तैयार हो चुकी है, बस मंत्रियों को हराने में सक्षम दमदार प्रत्याशियों की खोज चल रही है। कांग्रेस की इस व्यूह रचना से सिंधिया समर्थक मंत्रियों के माथे पर भी बल पड़ने लगा है। वहीं दूसरी तरह कांग्रेस की रणनीति का जवाब देने सिंधिया भी पूरी तरह से तैयार दिखाई दे रहे हैं, यही कारण है कि आजकल वे दिल्ली से ज्यादा मध्यप्रदेश में समय बिता रहे हैं।
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कार्यकर्ताओं से हो रही रायशुमारी
कांग्रेस अपनी इस रणनीति पर आज से काम करना शुरू कर चुकी है, पीसीसी चीफ कमलनाथ आज बदनावरी पहुंचे, यह क्षेत्र उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव का विधानसभा क्षेत्र है। दत्तीगांव सिंधिया समर्थक मंत्री हैं। कमलनाथ ने यहां कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया और एक जनसभा भी ली। उधर दिग्विजय सिंह ने गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के क्षेत्र दतिया में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उनका मनोबल बढ़ाया। कांग्रेस के पर्यवेक्षक भी सिंधिया समर्थक मंत्रियों के क्षेत्र में पहुंचकर कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे। सभी सिंधिया समर्थक मंत्रियों के क्षेत्र में कम से कम एक बड़ी सभा करने की भी रणनीति तैयार हो चुकी है।
सिंधिया के साथ इन्होंने छोड़ी थी कांग्रेस
साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ जिन विधायकों और मंत्रियों ने इस्तीफा दिया था, उनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर, रघुराज कंसाना, कमलेश जाटव, जजपाल सिंह जज्जी, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, रक्षा संत्राव भांडेर, जसवंत जाटव, तुलसी सिलावट, सुरेश धाकड़, महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओपीएस भदौरिया, रणवीर जाटव, गिरिराज दंडोतिया, जसवंत जाटव, हरदीप डंग, गोविंद राजपूत, मुन्नालाल गोयल, बिजेंद्र यादव, मोहन सिंह राठौड़, बिसाहूलाल सिंह, एंदल सिंह कंसाना और मनोज चौधरी शामिल थे। इनमें से गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी और महेंद्र सिंह सिसोदिया मंत्री भी थे।
सिंधिया भी बना रहे रक्षा कवच
इधर कांग्रेस की रणनीति का तोड़ निकालने ज्योतिरादित्य सिंधिया भी रक्षा कवच बनाने तैयार हैं, सिंधिया दिल्ली के बजाय मध्यप्रदेश में ज्यादा समय बिता रहे हैं। हफ्ते में एक बार किसी न किसी जिले के दौरे पर रहते हैं। इस दौरान वे अपने समर्थक मंत्रियों-विधायकों के लिए जमीन भी मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।