Jabalpur. जबलपुर की ग्रे आयरन फाउंड्री में शारंग तोप बनाने का काम तेजी से चल रहा है। वित्तीय वर्ष में लक्ष्य के अनुरूप उत्पादन किया जा रहा है। अभी एक दर्जन तोप बनी हैं। आधा दर्जन का परीक्षण जल्द होगा। उसके बाद इन्हें सेना के सुपुर्द किया जाएगा। 38 किलोमीटर की दूरी तक मारक क्षमता वाली इन तोपों का उत्पादन जबलपुर में 3 आयुध निर्माणियां मिलकर कर रही हैं। इनमें जीआईएफ के अलावा व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर और गन कैरिज फैक्ट्री शामिल हैं। तीनों के पास अपने-अपने लक्ष्य हैं। फाउंड्री को इस साल 40 से अधिक तोप बनानी है। बताया जा रहा है कि पूर्व में फाउंड्री 10 तोपें तैयार कर उनका परीक्षण लॉन्ग पू्रफ रेंज में करा चुकी है। फिर उन्हें सेना के हवाले भी किया गया था।
सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनी यंत्र इंडिया लिमिटेड के अंतर्गत देश की सबसे छोटी आयुध निर्माणियों में शामिल जीआईएफ के लिए यह तोप बड़े काम की साबित हुई है। इससे उसे वर्कलोड मिला है। खास बात यह है कि बहुत कम समय में निर्माणी ने इस तोप को तैयार कर लिया था। 130 एमएम तोप को अपग्रेड कर 155 एमएम 45 कैलिबर शारंग तोप तैयार की गई है। इसका इस्तेमाल सेना कर रही है। अब वित्तीय वर्ष के लक्ष्य की पूर्ति के लिए फाउंड्री में प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि इतने कम समय में 30 और तोपों का निर्माण कठिन चुनौती भी है।
एक दर्जन तोपों का जल्द होगा परीक्षण
जीआईएफ के महाप्रबंधक राजीव कुमार ने बताया कि शारंग तोप प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। एक दर्जन से ज्यादा तोपें बनाई जा चुकी हैं। इनमें से कुछ तोप की फायरिंग हो गई है। सेना को इनकी सप्लाई की गई है। आधा दर्जन तोपों का परीक्षण शीघ्र ही किया जाएगा।
जबलपुर में होती है तोपों की रिपेयरिंग
शारंग तोप की अपग्रेडिंग के साथ फाउंड्री में इसकी ओवहहॉलिंग की भी योजना है। सैकड़ों की संख्या में शारंग तोप तैयार होनी हैं। एक समय अवधि के बाद इन तोपों की ओवरहालिंग भी करनी पड़ती है। यह काम भी जबलपुर में ही 506 आर्मी बेस वर्कशॉप में होता है, लेकिन यहां देश भर से सेना की अलग-अलग प्रकार की तोप ओवरहॉलिंग के लिए लाई जाती है। ऐसे में कई बार इसमें देरी होती है। इस बात को ध्यान में रखकर फाउंड्री ओवरहॉलिंग की भी योजना तैयार कर रही है।