BHOPAL. मध्यप्रदेश में बीजेपी तीन देवियों से बुरी तरह घिरी नजर आ रही है। असल में तो देवियां मुरादें पूरी करती हैं। लेकिन ये तीन देवियां पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रही हैं। जाने-अनजाने में इन तीन महिला नेत्रियों ने ऐसा काम किया है कि डैमेज कंट्रोल के लिए बीजेपी को बड़े पापड़ बेलने पड़ेंगे। बीजेपी की इन तीन देवियों को कम आंकने की गलती भी नहीं की जा सकती। खासतौर से दो नेत्रियां तो ऐसी हैं, जिनके नाम के डंके विदेशों तक में बज चुकी हैं। दोनों राष्ट्रीय स्तर पर जानी मानी नेत्रियां हैं। लेकिन हाल ही में कुछ ऐसे बयान दे चुकी हैं, जिसके नतीजे बीजेपी को चुनाव में भुगतने पड़ सकते हैं। प्रदेश की राजनीति में अपने बयानों से उबाल लाने वाली ये तीन देवियां हैं- पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर।
इनकी भाषण शैली पार्टी के लिए फायदे कम मुसीबत का सबब ज्यादा
बीजेपी की इन तीनों तेज तर्रार महिला नेत्रियों के गुणों से कोई अंजान नहीं है। तीनों की ही खासियत इनके भाषण देने की कला है। ये बात अलग है कि इनका ये हुनर पार्टी के लिए अक्सर नुकसानदायी साबित हो जाता है। उमा भारती अपने इसी हुनर के दम पर मध्यप्रदेश की सत्ता से कांग्रेस को बेदखल करने में कामयाब रहीं। प्रदेश की एकमात्र महिला मंत्री होने का गौरव उन्हें हासिल है। एक वक्त वो था जब उमा भारती माइक थाम कर भाषण देती थीं और रगों में जमा खून उबाल मारने लगता था। लेकिन धीरे-धीरे उनकी यही भाषण शैली पार्टी के लिए फायदे कम मुसीबत का सबब ज्यादा बनने लगी।
साध्वी प्रज्ञा भारती की भी यही कहानी है। हिंदुत्व का पर्याय बनने की कोशिश में अक्सर भोपाल सांसद ऐसे बयान दे जाती हैं कि खुद पीएम नरेंद्र मोदी को बैकफुट पर जाना पड़ता है। गांधी और गोडसे पर दिए उनके एक बयान पर तो पीएम को यहां तक कहना पड़ा कि मैं उन्हें कभी माफ नहीं कर सकूंगा। शिवराज कैबिनेट में पहली बार शामिल होने वाली उषा ठाकुर को भी तेज तर्रार कहा जाए तो बढ़ा-चढ़ाकर कहने वाली बात नहीं होगी। उमा भारती के मुकाबले उनकी सियासी उम्र कम ही सही लेकिन विवादित बोल बोलने के मामले में वो भी कम नहीं हैं।
अपने नए धमाकेदार बयानों के चलते ये तीनों नेत्रियां न्यूज हेडलाइन्स में छाई हुईं हैं। तीनों के बयान अलग-अलग जगहों पर हुए। दो बयानों का मजमून एक ही है और एक बयान बिलकुल अलग है। तीनों में कुछ समान है तो वो ये कि तीनों नेत्रियों के बयान ही बीजेपी में भूचाल लाने वाले हैं। जिनके वायरल वीडियोज का बवंडर तो सोशल मीडिया पर चक्कर लगा ही रहा है। आलाकमान के दरवाजे भी थरथरा रहे हैं।
इशारों-इशारों में क्या बोलीं- उमा
प्रीतम लोधी के चलते वैसे ही बीजेपी लोधी वोटर्स की नाराजगी झेल रही थी। अब उमा भारती के ताजा बयान ने उसमें आग में घी का काम कर दिया है। एक सामाजिक कार्यक्रम में लोधी समाज के लोगों के बीच उमा भारती अपना प्रेम जाहिर करने पहुंची। लोधी वोटर्स से खचाखच भरे मंच से उमा भारती ने इशारों-इशारों में कहा कि लोधी समाज बीजेपी को ही वोट करे, ऐसा जरूरी नहीं है। उन्हें जिस पार्टी में सम्मान मिले उस पार्टी को मतदान कर सकते हैं।
भोपाल सांसद प्रज्ञा भारती और मंत्री उषा ठाकुर का बयान हिंदुत्व के मुद्दे से जुड़ा है। कर्नाटक में एक कार्यक्रम में प्रज्ञा भारती ने कहा कि समय आ चुका है, जब अपने घर के सब्जी काटने वाले चाकू को तेज धार करके रखा जाए। उधर उषा ठाकुर ने वीर सावरकर व्याख्यान कार्यक्रम में सभी के लिए शस्त्र लायसेंस की मांग कर डाली।
बयानबाजी की बात करें तो विवादित बयान हों या पार्टी की मुश्किलें बढ़ाने वाले बयान हों तीनों ही नेत्रियां इस मामले में कभी पीछे नहीं रहीं। बात करें उमा भारती की तो शिवराज की नाक में दम करने में वो कभी पीछे नहीं रहतीं। शराबबंदी के मुद्दे पर भी वो बुरी तरह अड़ी रहीं। मुख्यमंत्री शिवराज के नाम ढेरों ट्वीट किए। मौका मिला तो शराब दुकान पर पत्थर भी बरसाए और धरना भी दिया। ये तेवर तब ठंडे पड़े जब आरएसएस ने अपना डंडा घुमाया।
प्रज्ञा ठाकुर के विवादित बयान-
- 26/11 के हमले में शहीद हेमंत करकरे के लिए कहा कि उन्हें श्राप दिया था, इसलिए उनकी आतंकी हमले में मौत हो गई। इस बयान पर विवाद हुआ तो साध्वी ने माफी मांग ली।
बयान देने में उषा ठाकुर भी पीछे नहीं रहीं-
- गरबा पांडल लव जेहाद का सबसे बड़ा केंद्र हैं। वहां आईकार्ड देखकर प्रवेश दिया जान चाहिए।
इन बयानों का आफ्टर इफेक्ट्स क्या होगा
इन नेत्रीयों के पुराने बयानों पर भी खूब बवाल मचा। नए बयानों पर भी सियासी भूचाल आना ही था, सो आया भी। राजनीतिक हलकों में इन बयानों पर वार पलटवार का दौर जमकर चला। पर सोशल मीडिया के रुख से तो ये साफ है कि ये तीनों बयान बीजेपी को फायदे से ज्यादा नुकसान में डाल सकता है। कहने को बयान धमाकेदार हैं, पर इस बार ये धमाका अपना ही घर जला सकता है। इन बयानों ने सियासी हलकों को तो हिलाकर रख दिया है। इसके साइडइफेक्ट्स नजर आने में कुछ वक्त जरूर लग सकता है। प्रचंड, तेज तर्रार, फायर ब्रांड- ये ऐसे शब्द हैं, जो इन नेत्रियों के नाम के साथ अक्सर जुड़ते रहे हैं। राजनीति के सीधे रास्ते चलें तो अपनी पार्टी के लिए ये एसेट भी साबित हो सकती हैं। पर, फिलहाल तो इनकी बयानबाजियां खुद ही इन्हें आलाकमान के भरोसे से दूर कर देती हैं। इस बार भी अपने बयान से जो बवंडर ये खड़ा कर चुकी हैं, उसके आफ्टर इफेक्ट्स से पार्टी को ही जूझना है।