Bhopal. कोरोना के चलते लोगों को काफी नुकसान हुआ। जिसके बाद अब पंडितों की तरफ से ली जाने वाली दक्षिणा की राशि में काफी इजाफा हो गया है। इस एक बड़ी वजह महंगाई भी है। लॉकडाउन के चलते दो साल तक मंदिरों और घरों में होने वाले पूजा-पाठ के आयोजन बंद रहे। लिहाजा पंडितों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया था। वहीं महंगाई के कारण हवन-पूजन सामग्री के दाम भी 20 फीसदी तक बढ़ गए हैं।
दक्षिणा के कोई रेट फिक्स नहीं
पंडितों का कहना है कि, यह एकदम सही है कि कोरोना महामारी में मंदिरों के बंद रहने और घरों में पूजा, कथा-यज्ञ आदि अनुष्ठान न होने के कारण काफी आर्थिक संकट उठाना पड़ा। सैकड़ों पंडित ऐसे हैं, जिनका कमाई का साधन पूजा-पाठ कराना ही है। उनके पास जो जमापूंजी थी, महामारी में वह खत्म हो चुकी है, उस पर महंगाई भी है। ऐसी स्थिति में कुछ बढ़ाकर दक्षिणा लेना स्वाभाविक है और उनकी विवशता भी। पंडितों ने दक्षिणा के कोई रेट फिक्स नहीं किए हैं। यजमान अगर आर्थिक रूप से कमजोर होता है, तो उससे दक्षिणा की राशि कम भी मिलने पर संतोष कर लेते हैं। लेकिन इसी में से कुछ राशि सहायकों को भी देना होती है।
दान-दक्षिणा देना क्यों जरूरी ?
कुछ धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि दक्षिणा शब्द में भेंट, उपहार, पारिश्रमिक का भाव है, लेकिन यह सम्मान राशि होती है। पारिश्रमिक और दक्षिणा में यही फर्क है। दूसरा खास तथ्य यह कि कोई भी यज्ञ-अनुष्ठान पुरोहित को दक्षिणा दिए बगैर अधूरा माना जाता है। दक्षिणा यज्ञ देवता की पत्नी का नाम है। चूंकि पत्नी अर्धांगिनी होती है, इसलिए उसकी उपस्थिति अनिवार्य है।
सूखे मेवे, फल और मिठाई के दाम 15% वृद्धि
पिछले एक महीने में पूजन सामग्री के दाम 20 फीसदी तक बढ़े हैं। हवन सामग्री का 30-35 रुपए वाला आधा किलो का पैकेट अब 50 से 55 में मिल रहा है। नारियल 15 रुपए से बढ़कर 20-25 रुपए प्रति नग हो गया है। सिंदूर 290 रुपए से 330 रुपए किलो, रोली-कुमकुम 120 से बढ़कर 150 रुपए किलो और अच्छी क्वालिटी का 200 रुपए किलो है। कपूर, धूप बत्ती, रुई, कलावा के दाम भी 5 से 10 प्रतिशत बढ़े है। पूजा के लाल-लफेद कपड़े का दाम प्रति मीटर 5 से 7 रुपए बढ़ा है। सूखे मेवे, फल व मिठाई के दामों में 10 से 15 फीसदी तक वृद्धि हुई है।