अविनाश तिवारी, REWA. मध्यप्रदेश की रीवा जिला पंचायत से एक बड़ा फर्जीवाड़ा निकलकर सामने आया है। इसमें पूर्व सीईओ के फर्जी हस्ताक्षर करके रिक्त पदों पर विज्ञापन निकाले गए हैं। इस मामले में वर्तमान सीईओ स्वप्निल वानखेड़े पर संदेह जताया गया है। हालांकि वानखेड़े ने आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने एसपी को जांच के लिए पत्र लिख दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला ने आरोप लगाया है कि जिला पंचायत कार्यालय में पदस्थ राहुल वर्मा की मिलीभगत से इस फर्जी विज्ञापन के जरिए रिक्त पदों पर करोड़ों रुपए के वारे-न्यारे किए गए हैं।
यह है पूरा मामला
बीके माला ने कहा कि जिला पंचायत के 77 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए जिला पंचायत कार्यालय के द्वारा फर्जी तरीके से विज्ञापन निकाला गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्यालय में पदस्थ राहुल वर्मा ने तत्कालीन सीईओ मयंक अग्रवाल के नाम से फर्जी हस्ताक्षर कर विज्ञापन निकाला। रिक्त पदों की भर्ती के लिए करोड़ों रुपए का बंदरबांट किया। बीके माला ने वर्तमान सीईओ स्वप्निल वानखेड़े को संदेह के घेरे में लिया। जिला पंचायत सीईओ स्वप्निल वानखेड़े ने मामले में जांच का आश्वासन दिया है।
सीईओ ने आरोपों को झूठा बताया
सीईओ स्वप्निल वानखेड़े ने कहा की डिस्पैच रजिस्टर में 18 अक्टूबर 2018 और 18 अक्टूबर 2020 की जांच की गई है। जून 2020 में वह रीवा जिला पंचायत में सीईओ के पद पर आसीन हुए थे। 18 अक्टूबर 2020 को रविवार का दिन था। रजिस्टर में कोई भी डिस्पैच नहीं है, जिसका मतलब यह है कि विज्ञापन 100 फीसदी फर्जी है। सीईओ स्वप्निल वानखेड़े ने मीडिया से कहा कि मामला मेरे सामने आया है। मैंने दस्तावेज एकत्र कर पाया है कि किसी भी प्रकार का जिला पंचायत कार्यालय से कोई विज्ञापन जारी नहीं हुआ है। विज्ञापन में तत्कालीन सीईओ मयंक अग्रवाल के फर्जी हस्ताक्षर हैं। इसको लेकर जिला पंचायत सीईओ ने जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसपी को पत्र लिखा है।