Jabalpur. नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय ने गाय की विदेशी और मिश्रित नस्लों को बढ़ावा देने का काम किया है। अब वह देसी गाय की प्रजातियों को बढ़ाने पर जोर देगा। इसके लिए विश्वविद्यालय, जबलपुर, महू और रीवा वेटरनरी कालेज में गो संर्वधन केंद्र शुरू करने जा रहा है। इन केंद्रों की मदद से वेटरनरी विश्वविद्यालय के विज्ञानी, वेटरनरी विभाग के डॉक्टर की मदद से स्थानीय प्रजातियों की पैदावार बढ़ाने पर काम किया जाएगा। महू में गो संवर्धन केंद्र शुरू किया जा रहा है। इसे पूरी तरह से संचालित करने के बाद जबलपुर और रीवा वेटरनरी कॉलेज में दो अन्य केंद्रों को शुरू किया जाएगा। विवि के डायरेक्टर एक्सटेंशन और रिसर्च विभाग इस पर काम करेंगे।
गो संवर्धन केंद्र कैसे करेंगे मदद
तीनों कॉलेज के तीनों गो संवर्धन केंद्र एक-दूसरे से तालमेल बैठाकर काम करेंगे। विश्वविद्यालय के शोध करने वाले विद्यार्थी, स्थानीय पशुपालकों से मिलकर गाय की जानकारी एकत्रित करेंगे। विश्वविद्यालय के विज्ञानी लैब में स्थानीय प्रजातियों की गाय की गुणवत्ता बढ़ाने पर अनुसंधान करेंगे। देसी गायों में ऐसी गायों को कृत्रिम गर्भाधान के लिए चुना जाएगा, जो कमजोर और दूध न देने वाली हैं।
स्थानीय प्रजातियों को बचाने की कोशिश
विश्वविद्यालय के विज्ञानियों की मदद से प्रदेश में पाई जाने वाली देसी गाय की नस्ल को बचाने की कवायद की जा रही है। इन गो संवर्धन केंद्र में उन प्रजातियों को बचाने और उनकी पैदावार बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा, जो नस्ल प्रदेश की पहचान हैं। इनमें जबलपुर की गावलाब, महू की निवाड़ी, मालवी, रीवा की केनकाथा जैसी प्रदेश की खास नस्ल को बचाने के लिए विवि के विज्ञानी कृत्रिम गर्भाधान से लेकर भ्रूण प्रत्यारोपण का काम करेंगे।