महाकाल लोक में 11 और मूर्तियों में आईं दरारें, 28 मई की आंधी में सप्तऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां हो गई थीं धराशायी

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BP Shrivastava
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महाकाल लोक में 11 और मूर्तियों में आईं दरारें, 28 मई की आंधी में सप्तऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां हो गई थीं धराशायी

BHOPAL/ UJJAIN. उज्जैन के महाकाल महालोक में बहुत कुछ गड़बड़ चल रहा है। 28 मई को आई आंधी में महालोक में स्थापित सप्तऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां धराशायी हो गईं थीं। यह टूट- फूट, यहां अभी रुकी नहीं है। तहकीकात के बाद पता चला है कि भगवान शिव समेत 11 और मूर्तियों में भी दरारें आ गई हैं। गजासुर संहार की मूर्ति भी हिल गई है। महाकाल लोक की घटना से आला अफसरों की नींद उड़ गई है। हालांकि, सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि क्षतिग्रस्त हुई सभी मूर्तियों को नए सिरे से व्यवस्थित किया जाएगा।





महाकाल लोक की बाकी मूर्तियां भी मजबूत नहीं





एक अखबार की रिपोर्ट में बताया गया है कि महाकाल लोक में लगी बाकी मूर्तियां भी बहुत मजबूत और सुरक्षित दिखाई नहीं दे रही हैं। कई में दरारें पड़ने लगी हैं। कुछ का रंग भी उड़ने लगा है। कुल 11 मूर्तियों के अलग-अलग हिस्से में दरार हैं। बाकी करीब 11 मूर्तियों के किसी हिस्से का रंग उड़ने लगा है तो किसी में कोई और गड़बड़ी समझ आ रही है।





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इन मूर्तियों में आई दरारें





भगवान शिव की एक प्रतिमा के तो सीने पर ही दरार आ गई। गजासुर संहार दर्शाने वाली मूर्ति का बेस कमजोर हो गया है। यह वजह सप्तऋषियों की मूर्ति गिरने की भी रही है और यदि फिर आंधी आई तो अन्य मूर्तियां भी गिर सकती हैं। त्रिपुरासुर वध- महाकाल लोक में सबसे बड़ी प्रतिमा है। इसके रथ के पहिये में दरार है तो भगवान शिव के रथ के छत्र में भी दरार आ चुकी है। रथ के अन्य हिस्से भी कमजोर हो चुके हैं।





कई मूर्तियों का रंग खराब तो कई ने बेस छोड़ा





भगवान कार्तिकेय की भाला पकड़े मूर्ति के हाथ का रंग खराब हो गया है। इसमें भी दरार आ गई है। कमलासना महालक्ष्मी की सबसे ऊंची तीन मूर्तियां पास-पास हैं। भगवती शक्तिस्वरूपा कमलासना महालक्ष्मी के कमल की पत्तियां जगह छोड़ चुकी हैं वहीं भगवान शिव की प्रतिमा का हाथ की दरार देखकर लगा कि कहीं गिर ना जाए। बेहद सुंदर आकृति में से एक बटुकभैरव ने बेस ही छोड़ दिया है। इसमें हवा-पानी अंदर जा सकता है। हाथ उठाए शिव की मूर्ति के पैर और पास स्थित शेर की प्रतिमा में भी दरार आ चुकी है। शेर की प्रतिमा ने भी बेस छोड़ दिया है। यहां भगवान पहाड़ पर खड़े हैं, पहाड़ का भी रंग कई जगह से निकल चुका है।मणिभद्र की नीचे लेटी हुई प्रतिमा के पैर में भी दरार पड़ गई है। घोड़े पर आकर्षित प्रतिमा दर्शकों का ध्यान खींचती है लेकिन इसके हवा में उठे पैर के घुटनों से रंग की पपड़ी उखड़ गई है। भगवान पशुपति नाथ की मूर्तियों के पास नंदी की मूर्ति भी रखी हुई है। इसका रंग भी उखड़ गया है।





शिव बारात की मूर्तियों में दरारें





महाकाल लोक में शिव बारात में कुछ बारातियों की मूर्तियों में दरारें आ चुकी है। शिव जिस नंदी पर विराजमान है, उसमें दरार हैं वहीं एक बाराती के कमर, वस्त्रों में भी दरारे हैं। नंदी के नीचे वाले हिस्से में पानी से रंग भी खराब हो चुका है। शिव लीला की प्रतिमा में भगवान शिव की प्रतिमा पर तो सीने में ही दरार पड़ चुकी है। वहीं जिस बेस पर मूर्ति को बैठाया गया है उसमें भी बड़ा गड्‌ढा हो रहा है, जिसमें पानी भरा है। कमलकुंड में भगवान शिव का स्ट्रक्चर सबसे बड़ा है। यहां शाम को फव्वारे चलते हैं, जिससे श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र यही होता है। लेकिन पानी के बीच लगी मूर्ति का रंग भी उड़ने लगा है। फिलहाल इस पर रंगरोगन शुरू कर दिया है।





 सप्तऋषियों की नई मूर्तियां लगेंगी- सीएम





महाकाल लोक में सप्तऋषियों की मूर्तियां टूटने के बाद गरमाई सियासत के बाद मुख्यमंत्री का भी बड़ा निर्णय सामने आया है। सप्त ऋषियों की टूटी मूर्तियों को सुधारने की कवायद शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिया कि खंडित मूर्तियां महाकाल लोक में नहीं लगाई जाएंगी। उनकी जगह नई मूर्तियां लगेंगी। 



 



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