भिंड/ग्वालियर. भिंड के रौन ब्लॉक (Ron block bhind Funeral) के ईटाई गांव में मानवता शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। 6 जनवरी को गांव के 63 वर्षीय राम सिंह बघेल की मौत हो गई थी। लेकिन सरकारी सिस्टम की लापरवाही के कारण उनके परिजन को चिता के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। दरअसल, गांव में अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट (Ron muktidham) नहीं था। इसलिए गांव वाले बुजुर्ग को दाह संस्कार के लिए खेत में ले गए। इस दौरान बारिश हो रही थी। इस वजह से ग्रामीणों को तिरपाल (Tripal antim sanskaar) तानकर उनका अंतिम संस्कार करना पड़ा। ग्रामीणों का कहना है कि मुक्तिधाम के लिए उन्होंने पहले भी कई बार प्रशासन से मांग की है, लेकिन आज तक हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया। वहीं, ग्वालियर जिले के डबरा में भी ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां के दोनी गांव में भी महिला का तिरपाल के नीचे अंतिम संस्कार हुआ।
इसलिए नहीं बना श्मशान घाट: गांव के लिए श्मशान घाट स्वीकृत हो चुका है। फिर भी ग्रामीण खेतों में चिता जलाने के लिए मजबूर है। जब इस बारे में CEO, जनपद रौंन आलोक प्रताप इटेरिया से सवाल किया गया तो वो पल्ला झाड़ते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि मैंने 4 महीने पहले पंचायत सचिव सियाराम तिवारी को गांव में मुक्तिधाम निर्माण कराने के निर्देश दिए थे। अब तक निर्माण क्यों नहीं किया गया? इसको लेकर मैं पंचायत सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी करूंगा।
शराब की वजह से नहीं बना श्मशान घाट: मछन्ड़ ग्राम पंचायत (Machand panchayat) सचिव सियाराम तिवारी ने बताया कि ये काम कराने की जिम्मेदारी सरपंच की होती है। यहां की महिला सरपंच है, उनका पति शराब का नशा करता है। अभी की स्थिति में वो जेल में है। न वो काम करवा रहे थे, और न हमें कराने दे रहे थे। मैंने जनपद अध्यक्ष को वो भी बोला, लेकिन वो बोलते रहे कि आज करवा दूंगा, कल करवा दूंगा।
डबरा में दूसरे दिन अंतिम संस्कार: डबरा के चीनोर तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत दोनी गांव में बुजुर्ग महिला पारो बाई बाथम को सम्मानजनक विदाई नहीं मिली। बारिश के चलते उनका अंतिम संस्कार नहीं हो पाया। लेकिन दूसरे दिन भी जब बारिश नहीं रूकी तो ग्रामीणों ने तिरपाल डालकर उनका अंतिम संस्कार किया, क्योंकि गांव में श्मशान घाट नहीं था। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि हमारे गांव में लगभग ढाई हजार लोगों की आबादी है, लेकिन इसके बाद भी यहां पर हमें कोई भी सुविधा नहीं दी जा रही है।