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योगेश राठौर, INDORE. इंदौर में ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (आइएससीसीएम) ने जन जागरुकता कार्यक्रम हुआ। इसमें ड्रामा के जरिए विभिन्न तरह की बीमारियों के लक्षणों की एक्टिंग की गई और डॉक्टर्स ने इससे बचाव के बारे में बताया। डॉक्टरों ने समझाया कि इंटेंसिविस्ट इमरजेंसी जैसे लकवा, मिर्गी, हार्ट अटैक, इन्फेक्शन, दमा, ट्रामा, बर्न, सांप के काटने और पॉइजनिंग जैसे स्थिति में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
एक्टिंग के जरिए डॉक्टरों ने समझाया
ये अपने आप में बेहद अनोखा कार्यक्रम था जिसमें हर परिस्थिति को अभिनय के जरिए दिखाया जा रहा था। वीडियो से उसके बारे में समझाया जा रहा था। इसके साथ ही विशेषज्ञों डॉक्टरों द्वारा ऐसी परिस्थिति में क्या करना चाहिए इस बारे में जानकारी दी जा रही थी। जरूरत पड़ने पर मैंक्यूइन की मदद भी ली गई। इस पूरे कार्यक्रम को डॉ. संजय धानुका, डॉ. आनंद सांघी, डॉ. राजेश पाण्डेय, डॉ. विवेक जोशी और डॉ. निकलेश जैन ने मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ मिलकर किया था।
शरीर में कुछ भी अचानक नहीं होता, लक्षणों को पहचानें
डॉक्टर्स ने बताया कि आमतौर पर लोग कहते हैं कि सब अच्छा था, अचानक इनकी तबीयत बिगड़ी या सिर्फ सर्दी-झुकाम था और बुखार आ रहा था, पर शरीर में कुछ भी अचानक नहीं होता। किसी भी बड़ी बीमारी के पहले शरीर छोटे-छोटे सिग्नल्स देता है, जिसे पहचानकर हम बड़ी दुर्घटओं को टाल सकते हैं।
खाने की नली में यदि निवाला फंस जाएं तो खांसने का प्रयास करें
डॉक्टर ने डेमोस्ट्रेशन के जरिए बताया कि यदि बच्चों के केस में खाने की नली में निवाला फंस जाए तो बच्चे को उल्टा करके उसके पीठ पर थपथपाएं। यदि व्यस्कों के साथ ऐसा हो और आप अकेले हैं तो कुर्सी से पेट दबाकर आगे की तरफ झुककर खांसना चाहिए, यदि कोई साथ में है तो उसे पीछे से पेट दबवाएं और खांसने की कोशिश करें। अगर खांसी आ जाती हैं तो फंसा निवाला निकल जाएगा।
एक्सीडेंट के मामलों में शरीर को बिना हिलाए हॉस्पिटल ले जाएं
एक्सीडेंट के बारे में डेमोस्ट्रेशन देते हुए डॉक्टर ने कहा कि ज्यादातर एक्सीडेंट के मामलों में ये होता है कि भीड़ बहुत ज्यादा इकट्ठा हो जा जाती है। इस तरह के मामलों में सबसे जरूरी इस बात का ध्यान रखना है कि भीड़ ज्यादा ना लगाएं। अगर चोट गंभीर नजर आ रही है तो वाद-विवाद और गलती निकालने की बजाए हॉस्पिटल का रुख करें। सही समय पर हॉस्पिटल पहुंचने वाले ट्रामा केस में ज्यादातर पॉजिटिव रिजल्ट देखने को मिलते हैं। घायल को उठाते समय कोशिश करें, पूरे शरीर के नीचे हाथ लगाएं, गर्दन को सपोर्ट दें और कम से कम हिलाते हुए उसे सीधे स्ट्रेचर पर रखें या सीधे लिटाएं।
हार्ट अटैक आए तो अचेत मरीज को सीपीआर दें
किसी मरीज को यदि हार्ट अटैक आता है और वो होश में है तो उसे तुरंत हॉस्पिटल ले जाएं। यदि वो अचेत हो गया है तो एम्बुलेंस को बुलाकर उसे सीपीआर देना शुरू करें। सीपीआर 2 लोग दें तो बेहतर होता है। सीपीआर में मरीज की छाती के बीच में दोनों हथेलियों की मदद से एक सेकंड में 2 बार 5 सेंटीमीटर तक दबाना और फिर छोड़ना होता है। 1 मिनट में 100 से 120 बार इस प्रक्रिया को दोहराना होता है इसलिए 2 लोग इंटरचेंज करते हुए सीपीआर दें तो बेहतर होता है। 30 बार कम्प्रेस करने के बाद 10 सेकंड में 2 बार मरीज को एक फिल्टर लगाकर मुंह के जरिए सांस दें। फिर सीपीआर दोबारा शुरू कर दें। सीपीआर का डेमोस्ट्रेशन मेनीक्विन्स पर लाइव दिया गया। इसे टेक्निकली समझने के लिए डॉक्टर्स ने यूट्यूब देखने की सलाह भी दी।
जले हुए स्थान को नल के पानी से धोएं
डॉक्टरों ने कार्यक्रम में बताया कि सांप के काटने पर बांधने से कोई फायदा नहीं होता, जहर तुरंत शरीर में फैल जाता है।
इसी तरह खून चूसने से भी जहर नहीं निकलता बल्कि जो ऐसा कर रहा है, उसका जीवन भी खतरे में आ सकता है। इस प्रकार की परिस्थिति में बिना देर किए सीधे डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टर्स ने ड्रामा के जरिए बताया कि यदि कोई व्यक्ति जल जाता है तो उस स्थिति में नल का पानी सबसे पहले डालें। नल के पीने योग्य पानी को डालने पर किसी भी तरह का इन्फेक्शन नहीं होता है। इसके बाद डॉक्टर की सलाह पर आगे का इलाज कराएं।
लकवा लगने पर शुरुआती 4 घंटे सबसे कीमती
डॉक्टरों ने कहा कि यदि आप के आस-पास किसी व्यक्ति का चेहरा अचानक टेढ़ा हो जाए या व्यक्ति जुबान से बोल नहीं पा रहा हो तो या अचानक से हाथ या पांव चलना बंद हो जाए तो ये सभी लकवा के लक्षण होते हैं। इस तरह के मामलों में आपको उस व्यक्ति को सबसे पहले ऐसी जगह पर लेकर जाना चाहिए जहां सीटी स्कैन हो जाए और उसके तुरंत बाद इलाज शुरू हो जाएं। इस तरह के मामलों में 4 घंटे 30 मिनट का अधिकतम समय होता है। ऐसे में अगर आप सही समय पर पहुंच जाते हैं तो सीटी स्कैन की रिपोर्ट में क्लॉट दिखता है तो दवा देकर उसे रिकवर किया जा सकता है। ब्लीडिंग के मामले में भी इस समय सीमा पर पहुंचने पर रिकवरी अच्छी होती है।
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मिर्गी के दौरान हाथ पैर पकड़ें नहीं
डॉक्टरों ने कहा कि अगर किसी को मिर्गी आ रही है तो उसके हाथ और पैर को पकड़ने की कोशिश ना करें। अगर संभव हो तो उसके नीचे कोई मुलायम चीज रख दें जिससे की उसके हाथ-पैर में इधर-उधर टकराने की वजह से कोई गंभीर चोट ना लग जाए। जब मिर्गी रुक जाए तो उसे इस प्रकार से सपोर्ट दें ताकि उसके मुंह से निकली लार फेफड़ों में ना चली जाए। वहीं डॉक्टरों ने अभिनय के जरिए दर्शाया कि ब्रेन डेड के मामले में अब ये सोच बदलनी होगी कि शरीर को खंडित ना करें। एक ब्रेन डेड शरीर 6 लोगों को नई जिंदगी दे सकता है।