/sootr/media/post_banners/60ea3523a8c04b0e4b966870192fe4fea5d27078e01733bbf48828b1b010a8fa.jpeg)
देव श्रीमाली, GWALIOR. अभी चुनावों का दौर है और ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के वारिस महानआर्यमन सिंधिया के राजनीति में प्रवेश की लगातार मीडिया में अटकलें लग रही हैं। लेकिन अभी युवराज फिलहाल अपने स्टार्टअप के जरिए व्यापार में हाथ आजमा रहे हैं। वे ठेले लगाकर सब्जी और फल बेचने वालों को अपनी "माई मंडी" नामक प्लेटफार्म से जोड़ने में लगे हैं। खास बात ये है कि उनकी यह कंपनी महज छह माह में अपना कारोबार डेढ़ गुना तक बढ़ा चुकी है। इनको उम्मीद है कि अगले साल तक कंपनी ब्रेक इवन प्वॉइंट तक पहुंच जाएगी।
सिंधिया ने दोस्त के साथ मिलकर शुरू की थी ये कंपनी
महानआर्यमन ने यह कंपनी अपने मित्र और अमेरिका में साथ पढ़े सीओ फाउंडर सूर्यांश राणा के साथ मिलकर शुरू की। इसकी औपचारिक शुरुआत पिछले वर्ष यानी 2022 में एक स्टार्टअप के रूप में की। इस कंपनी का मकसद सब्जी बेचने वाले वेंडर्स को जोड़कर और कम मुनाफा लेकर अच्छी क्वालिटी की सब्जी उपभोक्ताओं तक पहुंचाना है। इसी के साथ कंपनी से जुड़े लोगों को अन्य प्रकार से सहायता उपलब्ध कराना भी इनका मकसद है।
ये भी पढ़ें...
कैस कंपनी करती है काम?
कंपनी के रिकॉर्ड के अनुसार माई मंडी एक बी2बी2सी मार्केटप्लेस है, जिसका उद्देश्य मौजूदा कार्ट-पुशर (ठेला) समुदाय को वन-स्टॉप शॉप, एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और अन्य मूल्य वर्धित सेवाएं (फिनटेक, ईवी और माइक्रोलेंडिंग) प्रदान करके एकत्र करना है। ऐसा करके हम भारत के सबसे बड़े लास्ट-माइल डिलीवरी नेटवर्क को जोड़ते हैं और उसका समर्थन करते हैं, जो बाजार को आपके दरवाजे तक लाता है और एक पिक एंड चूज मॉडल को शक्ति प्रदान करता है।
ये है इसकी सप्लाई चैन
कंपनी कहती है कि हमारी टीम हमारे स्थानीय आपूर्ति भागीदारों से हर रोज ताजा फसल लेती है। हम अपनी उपज में किसी भी कोल्ड स्टोरेज या परिरक्षकों का उपयोग नहीं करते हैं। हमारे गोदाम में सख्त गुणवत्ता नियंत्रण लागू किया जाता है। माय मंडी को हर सुबह हमारे वेंडरों को आपूर्ति की जाने वाली उपज की प्राकृतिक ताजगी बनाए रखने पर गर्व है।
यह है वितरण नेटवर्क
कंपनी के अपने वितरण नेटवर्क के बारे में कहती है कि हम छोटे और लघु उद्यमियों को एकत्र करके अपने वितरण को निचले लेवल तक पहुंचाने में लगे हैं। माई मंडी के ये वेंडर तकनीक और सेवाओं से लैस हैं, जो न केवल उनकी बिक्री बढ़ाने में मदद करते हैं। बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता में भी काफी सुधार करते हैं। हमारी प्रक्रिया में सभी ताजा उत्पादों की छंटाई की जाती है। अंतिम ग्राहकों को आगे खुदरा बिक्री के लिए उनके व्यवसाय के स्थान पर सुबह 6 बजे से 8 बजे के बीच हमारे विक्रेताओं को आपूर्ति की जाती है।
सीड राउंड से जुटाया चार करोड़ का फंड
ग्वालियर स्थित इस माई मंडी नामक स्टार्टअप में पूंजी जुटाने के लिए अपनी कार्ययोजना बनाई। इसमें बड़ी सफलता मिली। जब इस स्टार्टअप ने अपने सीड राउंड में कुल 4 करोड़ रुपए हासिल कर लिए। इसका नेतृत्व रियल टाइम एंजेल फंड ने किया था और इसमें लेट्स वेंचर व अतिरिक्त एंजेल निवेशक शामिल थे। यह सीड राउंड october 6, 2022 को हुआ था। इससे कंपनी के काम को और गति मिल गई।
क्या होती है सीड फंडिंग?
सीड फंडिंग (Seed Funding) या सीड स्टेज फंडिंग एक बहुत आरंभिक निवेश है, जिसका मकसद किसी बिजनेस को ग्रो करने में सहायता करना होता है और यह खुद की पूंजी को जनेरेट करती है। इसे सीड मनी या सीड कैपिटल के रूप में भी उल्लेखित किया जाता है और निवेशक अक्सर निवेश की गई पूंजी के बदले में इक्विटी हिस्सेदारी प्राप्त करते हैं।
माई मंडी के को-फाउंडर टाटा से भी मिले
माय मंडी के को फाउंडर महानआर्यमन सिंधिया और सूर्यांश राणा ने इस सिलसिले में टाटा ग्रुप के मुख्या रतन टाटा से भी मुलाकात की और उनसे इस प्रोजेक्ट पर जरूरी सुझाव व विनिवेश का आग्रह किया। टाटा ने प्रोजेक्ट में रूचि दिखाई और सुझाव के साथ फंडिंग भी उपलब्ध कराई। हालांकि फिलहाल कंपनी इस बात को गोपनीय ही रख रही है कि टाटा से उन्हें कितना सीड फंड या विनिवेश मिला?
अभी तक सौ वेंडर बना चुकी है माई मंडी
27 साल महानआर्यमन ने अपनी इस कंपनी की गतिविधियों को फिलहाल ग्वालियर तक ही सीमित रखा है और वे महज डेढ़ साल में अपने साथ जुड़ने वाले वेंडर्स की संख्या सौ तक पहुंचा चुके हैं। उनका मानना है कि वे इसके जरिए कृषि मंडी के अवशिष्ट और लॉजिस्टिक की लागत को कम कर वेंडर और आमजन को अच्छा और सस्ता सामान उपलब्ध कराना चाहते हैं। अब तक यह प्रयास सफल भी रहा है। इस मामले में उनका बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और सॉफ्ट में दी गई। सेवाओं का अनुभव भी काम आ रहा है। यही वजह है कि काम शुरू करने के महज छह महीनों में कंपनी के काम का विस्तार चार गुना बढ़ गया। कंपनी का राजस्व जुलाई 2022 में महज 11 लाख था, जो जनवरी 2023 में बढ़कर करीब 60 लाख तक पहुंच गया। उम्मीद है कि चालू वित्तीय वर्ष में यह बढ़ाकर डेढ़ से दो करोड़ तक पहुंच जाएगा। अगले वित्त वर्ष में इसे पांच करोड़ मासिक पहुंचाने का टारगेट है। उम्मीद है अगले साल दिसंबर ब्रेक इवन पार यानी लाभ की स्थिति में पहुंच जाएगी।
पूंजी जुटाने में लगी है कंपनी
कंपनी के को-फाउंडर ने दावा किया है कि संस्था का कैश फ्लो बहुत अच्छा है। हम अभी तक इसके लिए चार करोड़ से ज्यादा निवेश जुटा चुके हैं और अब हम इस पूंजी से ही पांच और शहरों में कंपनी के काम का विस्तार करने जा रहे हैं। उधर महानआर्यमन निवेशकों से और आठ करोड़ का निवेश जुटाने की तैयारी में लगे हैं। वे यह काम अगले छह माह में ही करना चाहते हैं। इसके लिए माय मंडी का एंटरप्रिन्योर की कीमत लगभग डेढ़ सौ करोड़ आंकी जा रही है।
ग्वालियर में जुड़े सौ वेंडर
रिकॉर्ड के अनुसार पिछली माह यानी फरवरी तक लगभग सौ वेंडर माई मंडी से जुड़ चुके है। कंपनी इन्हे ताजी सब्जी तो उपलब्ध करा ही रही है, लेकिन अगर वेंडर अपने सेल कवरेज को बढ़ाने के लिए ई वाहन की जरूरत महसूस करता है तो कंपनी उसे यह उपलब्ध कराने के लिए धन भी उपलब्ध करा रही है।
पहचान छुपाकर मंडी में जाते है युवराज
माई मंडी से जुड़े वेंडर्स और लोग बताते हैं कि अपने स्टार्ट अप को लेकर महान आर्यमन काफी संजीदा है और इसकी आरएनडी से लेकर अब तक अनेक बार वे वेश बदलकर संजय और फ्रूट नदी पहुंच जाते है। वे क्वालिटी से लेकर अन्य सभी मसलों पर डीलर्स और किसानों तक से छोटे-छोटे मामलों पर बातचीत कर फीडबैक लेते हैं। वे अपने वेंडर से भी बातचीत करके समस्याएं और सुझाव जानते हैं।
दून स्कूल के बाद अमेरिका में पढ़े हैं महानआर्यमन
ज्योतिरादित्य सिंधिया के इकलौते बेटे महान आर्यमन सिंधिया की प्राथमिक पढ़ाई अपने पिता की ही तरह देहरादून के दून स्कूल में ही हुई। लेकिन उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए थे। जहां शिकागो के प्रसिद्ध येल यूनिवर्सिटी से उन्होंने एमबीए की डिग्री हासिल की। फिर वहां कुछ नाम कंपनियों में उन्होंने नौकरी भी की। कोरोना काल शुरू होने के पहले ही वे भारत लौट आए और उन्होंने ग्वालियर में सामाजिक, सांस्कृतिक और खेल गतिविधयों के जरिए लोगों से जुड़ाव शुरू किया। उन्होंने अपनी मां प्रियदर्शनी राजे के साथ मिलकर जयविलास पैलेस में स्थित सिंधिया म्युजियम को नया रंग रूप देने में महती भूमिका अदा की। इसका उद्घाटन विगत वर्ष ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया था। इसी दौरान उन्हें ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन का उपाध्यक्ष भी बनाया गया। यहां आकर उन्होंने अपने मित्र के साथ मिलकर इस स्टार्टअप की योजना बनाई और अब उसी को आगे बढ़ाने में लगे हैं।