Damoh. दमोह जिले में धर्मांतरण का मामला उजागर होने के बाद लगातार राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो इस मामले में ठोस कार्रवाई की बात जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन से कर रहे हैं, लेकिन अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। वहीं धर्मांतरण से जुड़े मामले की जांच दमोह सीएसपी अभिषेक तिवारी के द्वारा की जा रही थी जिनका शनिवार रात भोपाल स्थानांतरण हो गया।
अब इस बात की चर्चाएं जोर पकड़ रही है कि जिस पुलिस अधिकारी के द्वारा धर्मांतरण मामले की जांच की जा रही थी और पूरे प्रदेश में यह मामला अभी गर्माया हुआ है उसी का स्थानांतरण क्यों किया गया। कहीं आरोपियों को बचाने के लिए ट्रांसफर तो नहीं किया गया।
बता दें 13 नवंबर को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने ईसाई मिशनरी से जुड़े संस्थानों का औचक निरीक्षण किया था। जिसमें डिंडोरी निवासी आदिवासी बालक का धर्मांतरण कर उसे पादरी बनाया जा रहा था। साथ ही संस्थानों के दस्तावेजों के पंजीयन मौके पर नहीं मिले थे। जिसके बाद देहात थाना में 10 लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई गई थी।
वही चर्च पास्टर जिसे की केरल के लोगों द्वारा मरहार गांव में संचालन किया जाता है। यहां भी दलित समाज के 8 लोगों को पैसों का प्रलोभन देकर धर्मांतरण किया गया था। इस मामले में नाबालिग बच्चियों के साथ छेड़छाड़ की बात भी सामने आई थी। जिसके बाद राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के द्वारा एसपी डीआर तेनीवार और मध्य प्रदेश के डीजीपी को नोटिस जारी कर 7 दिन में जवाब तलब किया था। इस मामले की जांच कर रहे तत्कालीन सीएसपी अभिषेक तिवारी के द्वारा 8 लोगों पर नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोपियों की गिरफ्तारी अभी हो नहीं पाई कि शनिवार को उनका स्थानांतरण हो गया।
इस बात की जानकारी सामने आ रही है कि पहले जिन 10 लोगों पर धर्मांतरण मामले में एफआइआर दर्ज हुई थी उनमें से अधिकांश लोग विदेश चले गए हैं, कुछ लोग पहले से विदेश में मौजूद हैं और घर पर कोई नहीं है।